सेल कंपनियों की आड़ में फर्जीवाड़े की कोशिश

-कंपनी से बाहर होने के बाद भी होल्डिंग में अशोक अग्रवाल का नाम -जमीन की माप को लेकर भ्

By JagranEdited By: Publish:Fri, 25 Sep 2020 08:29 PM (IST) Updated:Fri, 25 Sep 2020 08:29 PM (IST)
सेल कंपनियों की आड़ में फर्जीवाड़े की कोशिश
सेल कंपनियों की आड़ में फर्जीवाड़े की कोशिश

-कंपनी से बाहर होने के बाद भी होल्डिंग में अशोक अग्रवाल का नाम

-जमीन की माप को लेकर भी नए तथ्यों का खुलासा

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : सालूगाड़ा स्थित जमीन के टुकड़े को लेकर सिलीगुड़ी के सूरज बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक सुरेश कुमार अग्रवाल और जमीन पर पैतृक अधिकार का दावा करने वाली सुशीला राय के बीच के विवाद में जमीन का परिमाण बढ़ता जा रहा है। जबकि दोनों पक्षों का विवादित जमीन के परिमाण का दावा खरीद-बिक्री हुए वास्तविक जमीन के परिमाण से काफी कम है। आरोप यह भी है कि सेल कंपनियों की आड़ में जमीन की खरीद-बिक्री हुई। जो एक बड़े वित्तीय घोटाले की ओर इशारा कर रहा है। क्योंकि विवादिज जमीन की खरीद-बिक्री में कई कंपनियों के नाम सामने आ रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इस विवाद के केंद्र में कुछ लोग ऐसे ही सामने आ रहे हैं जो कंपनी को छोड़ चुके हैं,लेकिन बाद में जो दस्तावेज जारी हुए हैं,उनमें कंपनी के निदेशक के रूप में उनका ही नाम है। ऐसा ही मामला होल्डिंग नंबर को दखने पर मिल रहा है। सिलीगुड़ी नगर निगम द्वारा 19 मई 2020 को निगर्त होल्डिंग नंबर प्रमाण पत्र में सूरज बिल्डकॉन के निदेशक का नाम अशोक कुमार अग्रवाल दर्ज है। जबकि 1 मार्च 2019 से ही अशोक कुमार अग्रवाल सूरज बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक मंडली से बाहर हैं।

दूसरी ओर दोनों पक्षों ने विवादित जमीन का परिमाण 106 कट्ठा बताया है। जबकि विवादित इस जमीन से जुड़े रहस्यों का परत दर परत खुलासे में कुल 22 डीड और एक पावर ऑफ अटार्नी के तहत जमीन का परिमाण 131 कट्ठा सामने आया। इस क्रम में पांच कट्ठा जमीन का एक और टुकड़ा सामने आया है। अब विवादित जमीन बढ़कर 136 कट्ठा हो रहा है। जमीन विवाद के इस मामले में सूरज बिल्डकॉम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कानूनी सलाहकार पिंटू घोष ने निदेशक सुरेश कुमार अग्रवाल का एक लिखित बयान, तीन खतियान नंबर 694, 696, 697 के कागजात और सिलीगुड़ी नगर निगम द्वारा 19 मई 2020 को प्रदत्त होल्डिंग नंबर का एक प्रमाण पत्र दैनिक जागरण की टीम को मुहैया कराया था। हमने उनक कागजातों को खंगालने की कोशिश की। उसमें कई चौंकाने वाले रहस्यों का पता चल रहा है।

वर्ष 2011 के 14 मई को नील कमल विनिमय प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक सुरेश कुमार अग्रवाल और विनोद कुमार गुप्ता ने दो सेल डीड (0705-03830 और 0705-03831) के तहत डाबग्राम मौजा के शीट नंबर-5 के आरएस प्लॉट नंबर 99/312 में दर्ज ढ़ाई-ढ़ाई कट्ठा जमीन रतन गिरी मर्सेटाइल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक विधान मार्केट निवासी लोकेश पेरीवाल से खरीदी। उस समय रतन गिरी मर्सेटाइल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक मंडली में अनुराग मित्तल, विनोद कुमार अग्रवाल और विष्णु कुमार केडिया भी शामिल थे। जरा और गहराई में चलें तो यह पांच कट्ठा जमीन वर्ष 2009 के 28 अप्रैल को रतन गिरी मर्सेटाइल प्राइवेट लिमिटेड के तत्कालीन निदेशक विनोद कुमार अग्रवाल ने सेल डीड नंबर-070201301 के तहत भरत राय उर्फ भरत चंद्र राय, अंधारी बाला राय और संजीत राय उर्फ सुजीत राय से खरीदी थी। अब पांच कट्ठे की इस जमीन का एक टुकड़ा अर्थात ढ़ाई कट्ठा से भी कम 0.04 एकड़ खतियान नंबर 694 के तहत नील कमल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक सुरेश कुमार अग्रवाल के नाम पर दर्ज है। बाकी ढ़ाई कट्ठा जमीन कहां गई इसका कोई दस्तावेज मुहैया नहीं कराया गया। विनोद कुमार गुप्ता नाम भी अपने आप में एक रहस्य है। जमीन खरीद-बिक्री के लिए बनाई सेल डीड के अलावा यह नाम ना ही खतियान में कहीं दर्ज है और ना ही नील कमल विनिमय प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक मंडली में इस नाम के होने का कोई प्रमाण मिला है। कितनी जमीन,106 कट्ठा या 136 कट्ठा

इसके अतिरिक्त अन्य दो खतियान नंबर 696 के तहत 43 कट्ठा और 697 के तहत 78 कट्ठा कुल 121 कट्ठा जमीन सूरज बिल्डकॉन के निदेशक अशोक कुमार अग्रवाल के नाम पर दर्ज है। लेकिन सूरज बिल्डकॉन के वर्तमान निदेशक विवादित जमीन का परिमाण 106 कट्ठा ही बता रहे हैं। जबकि सेल डीड और खतियान रिकॉर्ड के अनुसार नील कमल विनिमय प्राइवेट लिमिटेड, मधु व्यापार प्राइवेट लिमिटेड और सूरज बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा खरीदी गई कुल जमीन का परिमाण 136 कट्ठा हो जाता है। बहुत हाई प्रोफाइल है पूरा मामला

यहां बता दें कि जमीन विवाद का यह मामला बहुत ही हाई प्रोफाइल है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिस इलाके में यह जमीन है,वह भक्तिनगर थाने के अधीन है। जमीन कब्जा करने में सुरेश अग्रवाल का साथ देने के आरोप में भक्तिनगर थाने के आईसी तथा सेकेंड ऑफिसर पर गाज गिर चुकी है। दोनों को लाइन हाजिर कर दिया गया। उपर से विभागीय जांच भी कराई गई है।

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