कोरोना गाइडलाइन के साथ होगा नमाज

जागरण संवाददाता सिलीगुड़ी माह ए रमजान के पहले जुमे की नमाज आज अदा की जाएगी। नमाज पर पिछल

By JagranEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 05:27 PM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 05:27 PM (IST)
कोरोना गाइडलाइन के साथ होगा नमाज
कोरोना गाइडलाइन के साथ होगा नमाज

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :

माह ए रमजान के पहले जुमे की नमाज आज अदा की जाएगी। नमाज पर पिछले साल की तरह ही इस साल भी कोरोना का साया है। पहले जुमे की नमाज महिलाएं घर पर और पुरुष मस्जिदों में पढ़ेंगे। हालाकि पुलिस प्रशासन की ओर से कोरोना महामारी को देखते हुए समुदाय के लोगों से कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए नमाज अदा करने की अपील की गई है।

कैसे मनाते हैं जमात-उल-विदा

हाजी कलीमुद्दीन ने बताया कि यूं तो इस्लाम धर्म में रमजान मास का हर दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, किंतु जमात-उल-विदा के अवसर पर रखा गया रोजा इस्लाम धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस दिन प्रत्येक मुसलमान रोजा रखता है। जमात-उल-विदा के दिन मस्जिद अथवा घर में नमाज पढने के बाद कुरान पढ़ी जाती है। इस दिन का उल्लेख कुरान में भी है। नमाज पढ़ने के बाद लोग सामाजिक सेवा उदाहरण के लिए गरीबों और असहाय लोगों को खाना खिलाया जाता है और दान दिया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से अल्लाह खुश होते हैं, और उनकी विशेष कृपा से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं। मीठी ईद से पहले इस दिन को पूरे विश्व भर के मुस्लिमों द्वारा काफी धूम-धाम तथा उत्साह के साथ मनाया जाता है इफ्तार में तमाम पकवान के साथ रोजेदार नये कपड़े पहनकर मस्जिद जाते हैं। लेकिन कोरोना के दूसरे लहर की गंभीरता को देखते हुए ऐसा लगता है कि इस बार भी जमात-उल-विदा की नमाज घर पर ही पढ़नी पड़ सकती है।

क्यों मनाया है जमात-उल-विदा

जमात-उल- विदा के संदर्भ में मान्यता है कि इस दिन पैगम्बर मोहम्मद साहब ने अल्लाह की विशेष रूप से इबादत की थी। यही वजह है कि इस जुम्मे को बाकी जुम्मे के दिनों से ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। लोगों में ऐसी आस्था है कि जो लोग जमात-उल-विदा के दिन नमाज पढकर अल्लाह से इबादत करेंगे और मस्जिद में गरीबों को दान देंगे तो उस पर अल्लाह की विशेष रहमत और बरकत मिलती है। रमजान के आखिरी जुम्मे का महत्व इस्लाम में प्रत्येक जुम्मे (शुक्रवार) के दिन की अहमियत होती है,इसीलिए इस दिन लोग जमात में नमाज पढ़ते हैं और अल्लाह से अपने बुरे कर्मो को माफ करने की रहम मागते हैं, इसके साथ-साथ यह भी कहा जाता है कि इस दिन अल्लाह अपने फरिश्ते को मस्जिद में भेजते हैं, जो लोगों की नमाज को सुनता है, और उन्हें आशीर्वाद देते हुए उसके सारे गुनाह माफ कर देता है, इसीलिए जमात-उल-विदा को इबादत के दिन के रूप में भी जाना जाता है। मालूम हो कि सिलीगुड़ी और आसपास के क्षेत्रों में कोरोना महामारी तेजी से फैल रहा है। ऐसे में सरकार और प्रशासन की ओर से कोरोना को रोकने के लिए शारीरिक दूरी के साथ कई नियमों का एलान किया गया है।

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