कैलाश विजयवर्गीय ने कहा- सरकार हो रही कंगाल, सिंडिकेट राज हो रहा मालामाल

सुरक्षा एजेंसियों को पता चला है कि सरकारी खजाने को कंगाल करने वाले सिंडिकेट गिरोह में सिलीगुड़ी का धीराज घोष एंड ग्रुप के जिम्मे स्टेट-सेंट्रल जीएसटी पुलिस और कस्टम्स को संभालने की जिम्मेदारी है। उत्तर बंगाल में सिंडिकेट राज सरकारी खजाने को कंगाल कर खुद मालामाल हो रही है।

By PRITI JHAEdited By: Publish:Wed, 06 Jan 2021 11:44 AM (IST) Updated:Wed, 06 Jan 2021 11:58 AM (IST)
कैलाश विजयवर्गीय ने कहा- सरकार हो रही कंगाल, सिंडिकेट राज हो रहा मालामाल
सुरक्षा एजेंसियों के हाथ लगे पर्ची और कुछ ट्रकों के फोटो।

सिलीगुड़ी, अशोक झा। पश्चिम बंगाल के भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि बंगाल में होने वाली हर तरह की तस्करी में भतीजा शामिल है। उत्तर बंगाल हो या दक्षिण बंगाल सिंडिकेट राज कायम है। इन आरोपों की जांच में जुटी केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को कई चौंकाने वाले तथ्य हाथ लगे हैं। मवेशी तस्करी से जुड़े विनय मिश्रा के यहां सीबीआई छापामारी के बाद से वह फरार चल रहा है। उसका कनेक्शन उत्तर बंगाल में है या नहीं यह भी जानकारी जुटाई जा रही है। जांच में पता चला है कि  उत्तर बंगाल में सिंडिकेट राज सरकारी खजाने को कंगाल कर खुद मालामाल हो रही है। ऐसे अधिकारियों और सिंडिकेट से जुड़े लोगों के और उनके रिश्तेदारों बैंक बैलेंस और चल अचल संपत्ति का भी पता लगाया जा रहा है।

हाथ लगे हैं चौकानेवाले तथ्य

सुरक्षा एजेंसियों को पता चला है कि सरकारी खजाने को कंगाल करने वाले सिंडिकेट गिरोह में सिलीगुड़ी का धीराज घोष एंड ग्रुप के जिम्मे स्टेट-सेंट्रल जीएसटी पुलिस और कस्टम्स को संभालने की जिम्मेदारी है। इसमें मालदा गाजोल का सोमनाथ धुपगुरी का नीलकमल, श्याम कुमार तथा कोलकाता के शशि कुमार का नाम प्रमुख है। जो विदेशी सुपारी, कोयला तथा भूटान से अवैध रूप से आने वाले स्क्रैप के वाहनों से लाखों रुपए का टैक्स का चुना  लगा रहा है। इस काम के लिए  मासिक ओर प्रतिदिन अधिकारियों के मुट्ठी गर्म किया जाता है।

ये सभी ना अवैध कारोबार से जुड़े हैं बल्कि धीराज एंड कंपनी के नाम से अभी भी एक मोटी रकम लेकर पर्ची काटी जाती है। जिसे देखने के बाद कोई भी अधिकारी ऐसे ट्रक पर कारवाई नहीं करते। जो ट्रांसपोर्टर इस पर्ची को नहीं लेते हैं उसके ट्रक आगे जाकर किसी न किसी एजेंसी के कब्जे में चली जाती है। ऐसे कई पर्ची भी सुरक्षा एजेंसियों के हाथ लगे हैं जिसमें धीराज घोष एआर बागडोगरा लिखा हुआ है। इस संबंध में विस्तार से सभी प्रकार की जानकारियां जुटाई जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों की माने तो यह सिंडिकेट मालदा से श्रीरामपुर असम सीमा तक अपना साम्राज्य कायम किया हुआ है।

तस्करी  से आ रही विदेशी सुपारी

इंडोनेशिया की सुपारी को असम  और उत्तर बंगाल के सुपारी उत्पादकों का माल बताकर उसे सुपारी माफिया बाजारों में बेच रहे हैं। खत्री, टुटेजा, गनी, माेरवानी, जतिन, नितीन, पटवा, मेहता, राजू, कोठारी, अल्ताफ मामू उर्फ भोपाली, आसिफ सहित अन्य कई नाम ऐसे कुछ नाम एजेंसियों को मिला है जो असम से महाराष्ट्र तक विदेशी सुपारी के अवैध कारोबार में लिप्त बताए जाते हैं। इन पर आज तक न तो डीआरआई  और न ही पुलिस विभाग ने शिकंजा कसा है। विदेशी सुपारी के इस अवैध कारोबार ने असम व बंगाल में पैदा होने वाली गुणवत्ता वाली सुपारी की कीमत को बेहद कमजोर बना दिया है। सिंडिकेट कुछ अधिकारियों को सिलीगुड़ी के और कई प्रकार की कंपनियां तक खुलवा कर दे चुका है।

ऐसे लाई जाती है विदेशी सुपारी, ये है रूट

इंडोनेशिया में सुपारी की कीमत काफी कम है। खराब सुपारी को वहां फेंक दिया जाता है। विदेशी सुपारी इंडोनेशिया से बर्मा के रंगून पोर्ट से होते हुुए मोरे-चंपाई व टियाहू नामक अंतरराष्ट्रीय सीमा से भारत में  आता है। मोरे से इंफाल, दीमापुर (भारतीय सीमा अंतर्गत) में चंपाई व टियाहू बार्डर से मिजोरम (भारतीय सीमा) के कुछ गुप्त रास्तों, जिसमें एक विशेष नाला भी शामिल है, के जरिए इन सीमाओं के पास भारत में छोटे मालवाहक वाहनों में भेज दी जाती है। टियाहू (मिजोरम) से यह विदेशी सुपारी हैलाकांडी यानी की हाइलाकांढि (सिंलचर), करीमगंज, लालाबाजार में तक पहुंचती है। यहां पर गुप्त स्थानों पर 90 किलो की बोरी को 50 किलो की बनाई जाती है और फिर असम की सुपारी बताकर देश के सामान्य मंडी में यह पहुंचा दी जाती है।

फर्जी बिल्टी बनाने की चर्चा

जांच में जुटी एजेंसियों को पता चला है कि सुपारी उत्पादक किसानों से इसे खरीदने की जानकारी मंडियों में दी जाती है। नियम के अनुसार टैक्स भर दिया जाता है, जो काफी कम होता है। ट्रांसपोर्टर भी बोगस फर्म बनाकर नियम के अनुसार लगने वाले दस्तावेज तैयार करवा लेते हैं।

सुपारी के इस अवैध कारोबार में धर्मकांटा वालों की भूमिका भी संदिग्ध है। बंगाल  के सीमा से होते हुए  यह अवैध सुपारी बोगस फर्म में पहुंच जाती है। सूत्र बताते हैं कि इंडोनेशिया से विदेशी सुपारी को भारत में लाने पर 200 प्रतिशत कर लगता है। इस सीमा से सुपारी को आयात करने की अनुमति नहीं है।स्मलिंग के जरिए इतना टैक्स देने की जरुरत नहीं पडती है। एजेंसियों के सूत्र यह भी बताते हैं कि विदेशी से अवैध तरीके से सुपारी लाने के लिए कोड वर्ड का इस्तेमाल किया जाता है। पहले भारत में रमी,समी, धनी नामक कोडवर्ड उपयोग कर माल मंगाया जाता था। अब यह कोडवर्ड बदल दिया गया है।

व्हाट्सएप के माध्यम से चलता है यह धंधा

सिंडिकेट राज्य से जुड़े लोग असम, भूटान, धूपगुड़ी फालाकाटा और मेघालय के दर्जनों ट्रांसपोर्टरों से इस प्रकार के अवैध धंधे के लिए एक मोटी रकम महत्वपूर्ण थाना, कस्टम्स, स्टेट जीएसटी, सेंट्रल जीएसटी समेत एजेंसियों के लिए सिंडिकेट के माध्यम से मासिक भेंट पहुंचाया करते हैं। वह पैसा उन तक पूछता है या नहीं इसकी सत्यता जांचने में सुरक्षा एजेंसी की एक टीम लगातार लगी हुई है।

इसके बदले कोयला, विदेशी सुपारी, स्क्रैप लेकर निकलने से पहले व्हाट्सएप के माध्यम से ट्रकों का नंबर सिंडिकेट के पास पहुंचता है। नंबर पहुंचने के साथ ही सिंडिकेट की टीम उसे संबंधित अधिकारियों तक पहुंचा देता है जिसके बाद ऐसे ट्रक अश्वमेध यज्ञ के घोड़े की तरह बिना रोक-टोक सड़क  पार करती है।

जिसके नंबर नहीं होते वैसे पर होती है कार्रवाई

इस प्रकार के धंधे में जुड़े ट्रांसपोर्टरों के माध्यम से सिंडिकेट को जब यह पता चलता है तो उनके बिना सहमति के दूसरे ट्रांसपोर्ट इस प्रकार का धंधा कर रहे हैं तो वैसे ट्रकों को समय-समय पर अन्य एजेंसियों से पकड़वा कर खानापूर्ति की जाती है। खानापूर्ति इसलिए कहा जाता है क्योंकि सुपारी या कोली लगे ट्रक पकड़े जाने पर उस पर प्लेंटी की कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं कर फिर सिंडिकेट के माध्यम से मामला सुलझाने के लिए कोर्ट में एक रिपोर्ट दी जाती है जिसके बाद 3 से 4 दिन के अंदर जप्त वाहन सामान सहित रिलीज हो जाते हैं। ऐसे मामलों के भी रिपोर्ट खंगाली जा रही है।

मामला फंसने पर ली जाती वरिष्ठ अधिकारियों से मदद

सिंडिकेट राज्य से जुड़े लोग इस प्रकार के अवैध धंधे के सफल संचालन में कभी कभार अगर किसी टीम की कार्रवाई में फंस जाते है तो वरिष्ठ  अधिकारियों सेवानिवृत्त अधिकारियों की मदद से इससे बचने का तरीका जान कर उस पर पहल करते हैं। ऐसा ही एक मामला पिछले दिनों धूपगुड़ी के शारदा ट्रांसपोर्ट के फर्जी बिल्टी से जा रहे ट्रक को पकड़ा। जांच के क्रम में विजिलेंस सेंट्रल जीएसटी को कई प्रमाण मिले जिसके आधार पर जुर्माना लगाकर कार्रवाई की गई। उसके बाद विश्व विभाग के खिलाफ भी एक शिकायत हर बात करो जांच के घेरे में डाल दिया गया है। इसके पीछे भी सिंडिकेट राज का हाथ और मुंबई के एक वरिष्ठ अधिकारी का हाथ बताया जाता है।

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