जामताड़ा नेटवर्क के दो सदस्य गिरफ्तार
-गुवाहाटी से पीछा कर रही एसटीएफ की टीम ने दबोचा - डेढ़ लाख नगद के साथ 52 सिम कार्ड और कई
-गुवाहाटी से पीछा कर रही एसटीएफ की टीम ने दबोचा
- डेढ़ लाख नगद के साथ 52 सिम कार्ड और कई मोबाइल जब्त
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : साइबर ठगी के लिए मशहूर जामताड़ा नेटवर्क के दो सदस्यों को पश्चिम बंगाल पुलिस की एसटीएफ ने सिलीगुड़ी से गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपितों का नाम सोनू कुमार और संजय धनबीर बताया गया है। आरोपितों के पास से 52 सिम कार्ड, डेढ़ लाख नगद और कई मोबाइल फोन भी एसटीएफ ने जब्त किया है। आरोपितों को शनिवार जलपाईगुड़ी अदालत में पेश किया गया। अदालत ने आरोपितों को दस दिन की रिमांड पर एसटीएफ के हवाले कर दिया।
गुप्त सूचना के आधार पर एसटीएफ की टीम पड़ोसी राज्य असम के गुवाहाटी से एक स्काíपयो गाड़ी का पीछा कर रही थी। बीते शुक्रवार की देर रात सिलीगुड़ी से सटे फुलबाड़ी इलाके में गाड़ी को रोककर एसटीएफ की टीम ने गाड़ी की तलाशी ली। गाड़ी में सवार दो युवक सोनू कुमार और संजय धनबीर के पास से एसटीएफ ने डेढ़ लाख रुपये नगद, विभिन्न मोबाइल कंपनियों का 52 सिम कार्ड और कई मोबाइल फोन बरामद किया। उसके बाद एसटीएफ ने दोनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के अनुसार दोनों आरोपित हरियाणा के निवासी बताए गए हैं। गुवाहाटी से गाड़ी में सवार होकर दोनों कोलकाता के लिए रवाना हुए थे। एसटीएफ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ये दोनों आरोपित जामताड़ा नेटवर्क के सदस्य हैं। कैसे लगाते हैं लोगों का चूना
ये लोग नागरिकों को अलग-अलग नंबर से फोन कर लॉटरी और कौन बनेगा करोड़पति के खेल में लाखों रुपये का पुरस्कार जीतने, मोबाइल टावर लगाने और बैंक का केवाईसी, एटीएम व क्रेडिट कार्ड ब्लॉक होने का झासा देकर बैंक एकाउंट, एटीएम व क्रेडिट कार्ड की जानकारी हासिल कर रुपये उड़ा लिया करते हैं। आरोपितों को शनिवार जलपाईगुड़ी अदालत में पेश कर एसटीएफ की टीम ने पूछताछ करने और नेटवर्क की जड़े खंगालने के लिए 14 दिन के रिमांड की गुहार लगाई। अदालत ने आरोपितों की जमानत याचिका खारिज कर दस दिन की रिमांड पर एसटीएफ को सौंपा है। क्या है जामताड़ा नेटवर्क
जामताड़ा झारखंड का एक छोटा सा शहर है। इसकी पहचान साइबर ठगी के रूप में बन गई है। यहां के काफी संख्या में पढ़े-लिखे युवक जल्द पैसा बनाने की लालच में लोगों को साइबर तरीके से चूना लगा देते हैं। यदि कोई इनके फोन के झांसे में आ जाए तो पल भर में ये बदमाश सामने वाले का बैंक अकाउंट खाली कर देते हैं। ये बदमाश साइबर ठगी की बदौलत ही कुछ दिनों में काफी अमीर बन जाते हैं। ये लोग बीच-बीच में पकड़े भी जाते हैं,उसके बाद भी धंधा बंद नहीं करते। ऐसा कोई दिन नहीं होता जब किसी न किसी राज्य की पुलिस यहां दबिश नो देती हो। साइबर ठगी में महारत के कारण ही इसे जामताड़ा नेटवर्क कहा जाता है। हांलाकि ये दोनों आरोपित हरियाणा के रहने वाले हैं,लेकिन साइबर ठगी का वही तरीका देखकर इनके जामताड़ा नेटवर्क से जुड़े होने की बात कही जा रही है।