नेपाली व हिंदी संस्कृति के साझापन के साथ बेहतर भविष्य की कल्पना

नेपाली भाषियों के सद्भावना की पहल तैयार करेगी पश्चिम बंग हिंदी अकादमी दार्जिलिंग पश्चिम बंग हिंदी

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 07:09 PM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 07:09 PM (IST)
नेपाली व हिंदी संस्कृति के साझापन के साथ बेहतर भविष्य की कल्पना
नेपाली व हिंदी संस्कृति के साझापन के साथ बेहतर भविष्य की कल्पना

नेपाली भाषियों के सद्भावना की पहल तैयार करेगी पश्चिम बंग हिंदी अकादमी

दार्जिलिंग: पश्चिम बंग हिंदी अकादमी द्वारा दार्जिलिंग के होटल स्नो डेल के सभागार में स्थानीय शिक्षक, विद्यार्थी, साहित्यकार एवं बुद्धिजीवियों के साथ अकादमी के सदस्य सचिव श्री गौतम गागुली की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई। अपने स्वागत वक्तव्य में दार्जिलिंग जिला के जे एफ डायरेक्टर ऑफ फिल्म सूफीना सलोन ने कहा कि अकादमी की पहल अनोखी है और इससे हम नेपाली भाषियों के बीच सद्भावना का एक माहौल तैयार कर पाएंगे। भाषा ही है जिसके जरिए नेपाली और हिंदी संस्कृति के बीच साझापन के साथ हम बेहतर भविष्य की कल्पना कर सकते हैं। श्री गागुली ने कहा कि पश्चिम बंग हिंदी अकादमी वर्तमान सरकार के निर्देश के साथ बहुभाषी समाज में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए पूर्णत: समर्पित है। इस दिशा में परियोजनाएं प्रस्ताव के रूप में आमंत्रित हैं। अकादमी के सदस्य डॉ अजय कुमार साव ने कहा कि हिंदी प्रचार-प्रसार के लिए कार्यशाला एवं विद्यार्थी तथा नन्ही पीढ़ी केंद्रित तरह-तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित किए जाने की योजना बनाई गई है।

सदस्य मनोज कुमार यादव ने नेपाली साहित्यकारों की रचनाओं के अनुवाद द्वारा हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार को जरूरी बताया। सदस्य विजय कुमार साव <स्हृद्द-क्तञ्जस्>निशात<स्हृद्द-क्तञ्जस्> ने कहा कि हिंदी सहज ही समझ में आने और बोली जाने वाली भाषा है। इसलिए अन्य भाषा-भाषियों के बीच भी यदि उनकी संस्कृति को हिंदी भाषा में प्रस्तुत किया जाए, तो उनके लिए यह सुखद संयोग रहेगा, तो साथ ही हिंदी के विकास की सहज संभावनाएं भी बन जाएंगी। दूसरी ओर सदस्य संजय जायसवाल ने संस्कृति के साझा स्वरूप के विकास में हिंदी की महती भूमिका को स्पष्ट किया। दार्जिलिंग की रुईया स्कूल की शिक्षिका वंदना गुप्ता ने अकादमी के समक्ष हिंदी के प्रचार-प्रसार को दार्जिलिंग में संभव बनाने के लिए यह प्रस्ताव रखा कि नई पीढ़ी में बोलने और समझने की दिशा में हिंदी अत्यंत ही सुबोध है, लेकिन लिखने के दौरान उन्हें काफी दिक्कतें होती है। इसलिए मात्रा संबंधी जानकारी को उपलब्ध कराने के लिए कार्यशाला एवं प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएं। विद्यार्थी भी इस दिशा में सक्त्रिय रूप से भाग लेंगे और वह बोलने के साथ लिखने भी लग जाएंगे। इतना ही नहीं अकादमी ऐसी पहल करे कि घर-घर में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए जरूरी बीजारोपण भी हो जाए। यहा हिंदी तृतीय भाषा है, इसलिए इसके विकास की शैक्षणिक संस्थाओं में संभावनाएं सीमित है, लेकिन उच्च शिक्षा व्यवस्था में हिंदी ऑनर्स के अध्ययन और अध्यापन की व्यवस्था की जाए, तो एक उम्मीद जगेगी। श्रवण गुप्ता ने हिंदी हिमाचल भवन के प्रयास का स्मरण कराते हुए पश्चिम बंग हिंदी अकादमी के समक्ष यह प्रस्ताव रखा के अधिक से अधिक हिंदी सिखाने के लिए कार्यशाला आयोजित किए जाने की जरूरत है। साथ ही शिक्षण संस्थानों में हिंदी को बढ़ावा मिले।। छात्रख वंदना ठाकुर ने स्मरण कराया कि हिंदी माध्यम के विद्यालय अंग्रेजी माध्यम में बदल चुके हैं। अकादमी से यह अपील है कि हिंदी माध्यम के स्कूल को हिंदी माध्यम में विकसित होने का मौका उपलब्ध कराने की हरसंभव चेष्टा करें। साथ ही यदि दार्जिलिंग गवर्नमेंट कॉलेज में हिंदी ऑनर्स की पढ़ाई हो, तो हम विद्यार्थियों को एक नया आयाम उपलब्ध होगा। इस अवसर पर साथी श्रवण गुप्ता के अलावा अन्य अनेक विद्यार्थी एवं विशिष्ट हिंदी प्रेमी उपस्थित रहे। डॉक्टर मस्जिद मिया ने पश्चिम बंग हिंदी की विभिन्न परियोजनाओं से मिलने वाले लाभ की सफल संभावनाओं के प्रति दर्शकों एवं श्रोताओं को आश्वस्त करते हुए बैठक का कुशल संचालन किया।

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