होली पर जल संरक्षण का दिया जा रहा संदेश

जल संरक्षण - स्वास्थ्य के लिए खेले सुखी होली कहा जनप्रतिनिधियों को भी आना चाहिए आगे -ह

By JagranEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 01:01 PM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 01:01 PM (IST)
होली पर जल संरक्षण का दिया जा रहा संदेश
होली पर जल संरक्षण का दिया जा रहा संदेश

जल संरक्षण

- स्वास्थ्य के लिए खेले सुखी होली, कहा जनप्रतिनिधियों को भी आना चाहिए आगे

-होली पर न हो जल की बर्बादी, स्वच्छ पानी का होता है नुकसान

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : लगातार गिरते जा रहे जलस्तर से पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इसको लेकर दैनिक जागरण ने लगातार मुहिम चलाया है। इसे अपने जीवन में उतारने का समय आ गया है। क्योंकि मार्च के अंतिम सप्ताह में होली का त्योहार है। हम धरातल पर विभिन्न आयोजनों में जल को बेवजह ही बर्बाद करते हैं। इन्हीं आयोजनों में एक खुशी व उल्लास का पर्व होली भी समाहित है। इस दिन रंगों में खुद तथा अपने लोगों को सराबोर करने में हम लाखों लीटर पानी बेवजह ही जाया कर देते हैं। इसको लेकर बिहारी कल्याण मंच और जल संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था नैफ ने चिंता व्यक्त की है। नैफ के संयोजक अनिमेष बसु और बिहारी कल्याण मंच के अध्यक्ष गणेश त्रिपाठी ने कहा कि होली में उत्साह व खुशी बाटने के साथ ही पर्यावरण व स्वास्थ्य को बचाने के लिए सूखी होली खेलना समय की माग बन गई है। सभी जानते हैं कि स्वच्छ जल ही जीवन है। पानी में रंग मिलाकर लोगों को सराबोर करने से जहा स्वच्छ पानी बर्बाद होता है। रंगों के कारण हमारे त्वचा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। हमें अपने उल्लास व खुशी के इजहार के लिए गुलाल से सूखी होली खेलनी चाहिए। भू-गर्भ में जलस्तर नीचे जा रहा है। जिले के विभिन्न भागों से चापाकल सूखने की खबर मिलती रहती है। इधर नदी में भी जल की तीव्रता में कमी आई है। ऐसे में उल्लास व उत्साह में होली मनाने को लेकर पानी बर्बाद करने से परहेज करना चाहिए। इसके लिए लोगों को गुलाल, सेंट, पकवान व फूल से सूखी होली खेलनी चाहिए। होली खुशी व मिलन का पर्व है। प्राय: रंग के कारण उत्साह में भंग पड़ते देखा जाता है। कभी-कभी रंगों के कारण आपसी रंजिश भी हो जाती है। रंगों से होल खेलने पर जहा जल की बर्बादी, स्वास्थ्य की हानि व आपसी रंजिश होता है वहीं गुलाल से सूखी होली उत्साह प्रकट करने और सौम्यता का प्रतीक बन रहा है। जल संरक्षण वर्तमान की माग बन चुकी है। पर्व व त्योहार के साथ ही विभिन्न सामाजिक आयोजनों पर भी हमें जल के बचाव पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। होली में लोगों द्वारा रंगों के साथ जल को भी बेवजह बर्बाद किया जाता है। जबकि सूखी होली खेलकर हम अपने उत्साह व भावना के साथ त्योहार मना सकते हैं। समाज में अब सूखी होली का प्रचलन भी बढ़ गया है। इसके लिए नगर निगम और महकमा परिषद को भी सभी पंचायत व वार्डो में जागरुकता अभियान चलाया जाना चाहिए।

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