हिदी में है दम, हिदी वाले बनें दमदार

-हिदी के मुद्दे पर जागरण विमर्श में उभर कर आई बात -नई पीढ़ी में हिदी दशा और दिशा प

By JagranEdited By: Publish:Sun, 12 Sep 2021 11:55 PM (IST) Updated:Sun, 12 Sep 2021 11:55 PM (IST)
हिदी में है दम, हिदी वाले बनें दमदार
हिदी में है दम, हिदी वाले बनें दमदार

-हिदी के मुद्दे पर जागरण विमर्श में उभर कर आई बात

-'नई पीढ़ी में हिदी : दशा और दिशा' पर हुआ मंथन जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : हिदी दिवस (14 सितंबर) के मद्देनजर दैनिक जागरण (सिलीगुड़ी) की ओर से रविवार 12 सितंबर को सालूगाड़ा स्थित अपने कार्यालय में विशेष परिचर्चा गोष्ठी 'जागरण विमर्श' का आयोजन किया गया। इसमें 'नई पीढ़ी में हिदी : दशा और दिशा' विषय पर शहर के शिक्षा जगत के प्रबुद्धजनों ने मंथन किया। पेश हैं उनकी राय के प्रमुख अंश

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आज दुनिया भर में हिदी फैल रही है। एशिया व यूरोप के कई देशों में इसे अपनाया जा रहा है। वैश्विकरण ने इसे एक नया सशक्त आयाम दिया है। पर, विडंबना है कि अपने देश में हिदी को उतना महत्व नहीं दिया जा रहा है, जितना कि दिया जाना चाहिए। आज की नई पीढ़ी में हिदी के प्रति बेहतर लगाव का अभाव है। वे सोचते हैं हिदी में, उनका कृत्य भी हिदी वाला ही होता है लेकिन दिखावा वे अंग्रेजी का ही करते हैं। हिदी को खुलेआम अपनाने का प्रदर्शन करने में उन्हें झिझक होती है। ऐसा नहीं होना चाहिए। अंग्रेजी से बैर न हो। पर, अपनी मातृभाषा को भी दिल खोल कर अपनाया जाना चाहिए। आज की नई पीढ़ी इसे जितना ज्यादा अपनाएगी, यह उतनी ही ज्यादा समृद्ध होगी व इसकी दिशा यानी भविष्य को उतना ही ज्यादा बल मिलेगा।

डॉ. अनिल कुमार सिंह

प्रधानाध्यापक

इला पाल चौधरी मेमोरियल ट्राइबल हिदी हाईस्कूल, सिलीगुड़ी

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हिदी के साथ विडंबना यह है कि इसके महत्व को अब तक सही तरह से समझा नहीं गया है। इसकी अवस्था उतनी दयनीय नहीं है जितनी सोची जा रही है। अन्य, भारतीय भाषाओं के विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या कम होती जा रही है। पर, हिदी विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। इसके साथ ही फिल्म, सिनेमा, ऑनलाईन दुनिया व हर जगह हिदी का ही बोलबाला है। इसके बावजूद इसे स्वीकार करने में लोग विशेष कर नई पीढ़ी के युवा हिचकते हैं। वे हिदी से ज्यादा अंग्रेजी को महत्व देते हैं और उनके बीच हिदी की जगह हिगलिश का चलन ज्यादा है। इसे दुरुस्त करने की आवश्यकता है। इस दिशा में घर-परिवार व समाज में एक अनुशासन अपनाया जाना चाहिए, सरकारी स्तर पर भी योजनाओं को बेहतर किया जाना चाहिए।

सीता राउथ

प्रधानाध्यापिका

सिलीगुड़ी हिदी हाईस्कूल फॉर ग‌र्ल्स

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हिदी हर जगह है। फिल्म, सिनेमा से लेकर ऑनलाईन दुनिया व आम समाज तक जहां देखिए, हिदी नजर आएगी। पर, फिर भी नई पीढ़ी हिदी को उस तरह से नहीं अपना रही है जिस तरह से इसे अपनाया जाना चाहिए। इसकी वजह मानसिकता है। अभी भी हम पाश्चात्य गुलामी की मानसिकता से उबर नहीं पाए हैं। आज हिदी बोलना दोयम दर्जे का माना जाता है। इसके पीछे की वजह वही गुलामी की मानसिकता व हीन-भावना है। इससे उबरना जरूरी है। हिदी अब सीमित नहीं रह गई है। इसका बहुत विस्तार हुआ है। सूचना प्रौद्योगिकी से लेकर डिजिटल दुनिया व नए वैश्विक कारोबार जगत तक में हर जगह हिदी छा रही है। हिदी की अनगिनत नई-नई राहें खुली हैं। बस, नई पीढ़ी इसे बेहिचक दिल खोल कर अपनाए व पुरानी पीढ़ी भी नई पीढ़ी में तन-मन-धन से हिदी का संचार करे और राजनीतिक सदिच्छा के साथ हिदी के उत्थान के प्रति सच्चा प्रयास किया जाए तो हर जगह बस हिदी ही हिदी होगी।

विपिन कुमार गुप्ता

वरिष्ठ शिक्षक

भारती हिदी विद्यालय

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हिदी में बहुत दम है। हिदी किसी से भी नहीं कम है। इसके बावजूद हिदी वाले हिदी से सच्चा प्रेम नहीं करते हैं। यही विडंबना है। केवल कथनी नहीं बल्कि करनी में भी हिदी को अपनाना होगा। इसे अपने व्यवहार में लाना होगा। इसके प्रति जन-जन तक जागरुकता फैलानी होगी। नई पीढ़ी में हिदी की दशा बहुत अच्छी नहीं है। पर, यह खत्म भी नहीं हुई है। अब तक बरकरार है। सो, इसे बचाया जा सकता है। इसे बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए हमें बुनियादी स्तर से सच्चा प्रयास करने की आवश्यकता है। हर घर व हर परिवार में माता-पिता की यह जिम्मेदारी है कि वह अपने नन्हे-मुन्ने को हिदी के साथ बढ़ाएं। इसके अलावा जो जहां हैं, जिस स्तर पर हैं वे जिस तरह से भी संभव हो हिदी को अपनाएं व औरों को भी इस हेतु प्रेरित करें। अंग्रेजी साधन रहे, ठीक है, पर साध्य हिदी ही हो।

पूजा गुप्ता

शिक्षिका

डॉ. राजेंद्र प्रसाद ग‌र्ल्स हाईस्कूल

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हिदी को विकल्प के तौर पर लिया जाना बहुत बड़ी विडंबना है। जब कहीं कोई संभावना नहीं होती है तो थक हार कर, और कोई चारा नहीं पा कर मजबूरन विकल्प के रूप में हिदी को अपनाते हैं। ऐसे में बिना रुचि के हिदी को अपनाने से न हिदी का भला हो पाएगा और न ही अपनाने वाले का। हिदी से प्रेम जरूरी है। सच्चा प्रेम। हिदी के प्रति एक विडंबना भरी धारणा यह है कि इसमें अवसर सीमित हैं। यह कदापि सही नहीं है। इसमें अनगिनत अवसर हैं। उसके प्रति समय व समाज को सजग होना होगा। शासन-व्यवस्था भी ऐसी होनी चाहिए कि हिदी आसानी से बहुआयामी फलक पा सके। हिदी के प्रति लोगों की हीन-भावना को भी दूर किए जाने की आवश्यकता है। गर्व से हिदी को अपनाएं तो ही हिदी गौरवान्वित होगी।

पंकज कुमार ठाकुर

छात्र - हिदी स्नातकोत्तर

कोचबिहार पंचानन बर्मा विश्वविद्यालय

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