अलग राज्य की मांग कर बवाल में फंसे बारला

-तृणमूल ने बनाया सबसे बड़ा राजनीतिक हथियार -थाने में सांसद के खिलाफ मुकदमा दर्ज -पार्टी नेत

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 07:24 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 07:24 PM (IST)
अलग राज्य की मांग कर बवाल में फंसे बारला
अलग राज्य की मांग कर बवाल में फंसे बारला

-तृणमूल ने बनाया सबसे बड़ा राजनीतिक हथियार

-थाने में सांसद के खिलाफ मुकदमा दर्ज

-पार्टी नेताओं ने भी बयान से किया किनारा -जॉन बारला ने अलग राज्य की मांग को कहा जनप्रतिनिधियों की मांग

-भाजपा का इस बयान से कोई लेना देना नहीं है

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी: अलग उत्तर बंगाल राज्य की माग कर अलीपुरद्वार भाजपा सासद जॉन बारला बवाल में फंस गए हैं। एक ओर जहां विरोधी तृणमूल कांग्रेस ने इस बड़ा राजनीतिक हथियार बना लिया है तो भाजपा ने भी उनके बयान से किनारा कर लिया है। भाजपा के अधिकांश नेताओं ने इसे बारला का निजी बयान बताया है। प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष भी कह चुके हैं कि भाजपा के एजेंडे में अलग राज्य नहीं है। इसके अलावा उनके खिलाफ तृणमूल समर्थकों ने मुकदमे भी दर्ज करा दिए हैं। हांलाकि बारला अभी भी अपनी माग पर मजबूती के साथ खड़े हैं। हांलाकि उन्होंने भी इसे अपनी पार्ट की मांग नहीं कहा है। उन्होंने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा है कि यह भाजपा का एजेंडा या माग नहीं है। यह माग उत्तर बंगाल के ज्यादातर जनप्रतिनिधि और यहा रहने वाले लोगों की है। हम सभी जनता के प्रतिनिधि हैं। चाहे वह सासद हों या विधायक। जनता की आवाज को सदन तक पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है। बारला ने जोर देकर कहा कि वह लोगों की भावना और यहा की सच्चाई सदन के अंदर पहुंचाने का काम करेंगे। हमारे साथ कूचबिहार जिला के सासद और विधायक भी साथ हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर बंगाल के दूसरे दलों के जनप्रतिनिधि भी चाहते हैं उत्तर बंगाल के चौमुखी विकास, शाति, रोजगार, तथा उद्योग स्थापना के साथ चाय बागान की जटिल समस्याओं को दूर किया जाए। वर्तमान सरकार पिछले 11 सालों से यहा समस्या का कोई समाधान नहीं कर पाई है। जहा तक मेरे खिलाफ मामला किए जाने का सवाल है यह आज से नहीं काफी दिनों से चला रहा है। कभी पुलिस तो कभी मामला दर्ज कर मेरी आवाज को दबाने की कोशिश लंबे समय से चलती आ आ रही है। जनता जब तक हमारे साथ है इस प्रकार के मामलों से हम डरने वाले नहीं हैं।

उत्तर बंगाल का हो रहा है दोहन-राजू बिष्ट

पहले वाम मोर्चा और पिछले 11 वर्षो में तृणमूल काग्रेस सरकार ने उत्तर बंगाल का सिर्फ दोहन किया है। मुख्यमंत्री ने कोलकाता को लंदन और उत्तर बंगाल को स्वीटजरलैंड बनाने की बात करती थी,लेकिन ऐसा नहीं हो पाया है। इतना ही नहीं पिछले 11 वर्षो में उत्तर बंगाल में एक भी कल कारखाने नहीं लग पाए हैं।

उन्होंने कहा कि उत्तर बंगाल पिछले 45 वर्षो से उपेक्षा का दंश झेल रहा है। आजादी के बाद अब तक यहा के चाय श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी तक नहीं मिल पाई है। वन क्षेत्र और चाय बागान क्षेत्र में रहने वाले लोगों को अब तक जमीन का पट्टा नहीं मिल पाया। विपक्ष के जनप्रतिनिधियों और समर्थकों पर लगातार हमले हो रहे हैं और हत्या करवाई जा रही है। संवैधानिक प्रमुख राज्यपाल की बातें भी अनसुनी की जा रही है। चुनाव जीतने वाले जनप्रतिनिधियों को महत्त्व नहीं देकर हारे हुए अपने नेताओं को सत्ता सुख पहंचाया जा रहा है। बाग्लादेशी,रोहिंग्या घुसपैठ के साथ राष्ट्र विरोधी ताकतों को बढ़ावा दिया जा रहा है। स्थानीय लोगों की बातों की अनदेखी की जा रही है।

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