सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने किया किसान आदोलन का समर्थन

-तीनों कृषि कानून तत्काल वापस लेने की मांग -दिल्ली ही नहीं पूरे देश में चक्का जाम की धमकी

By JagranEdited By: Publish:Tue, 01 Dec 2020 07:02 PM (IST) Updated:Tue, 01 Dec 2020 07:02 PM (IST)
सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने किया किसान आदोलन का समर्थन
सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने किया किसान आदोलन का समर्थन

-तीनों कृषि कानून तत्काल वापस लेने की मांग

-दिल्ली ही नहीं पूरे देश में चक्का जाम की धमकी

जागरण संवाददाता ,सिलीगुड़ी:

केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र में कंपनी राज लागू करना चाहती है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। किसान विरोधी कानून को वापस लेना चाहिए। ऐसा नहीं होता है तो किसानों के समर्थन में सेंट्रल ट्रेड यूनियन का आदोलन सिलीगुड़ी ही नहीं पूरे देश में एक साथ किया जाएगा। यह कहना है इंटक के राष्ट्रीय मंत्री आलोक चक्रवर्ती का। मंगलवार दोपहर सिलीगुड़ी प्रधान डाकघर के सामने गाधी मूíत के निकट सभी 10 सेंट्रल ट्रेड यूनियन के नेताओं ने धरना प्रदर्शन दिया। कहा कि सरकार ने कृषि से संबंधित तीन कानून बनाए हैं, तब से किसानों की नाराजगी बढ़ी है और उनके गुस्से का प्रसार हुआ है। लेकिन यह गुस्सा कई दशकों की किसानों की अनदेखी के चरम के रूप में फूटा है। हरित क्राति के समय से ही पंजाब और हरियाणा में एपीएमसी मंडी का जाल बिछाया गया था। क्योंकि देश को खाद्यान्न की जरूरत थी। इसके अलावा इन वर्षो में एपीएमसी मंडियों से लेकर किसानों के खेतों तक ग्रामीण सड़कों का जाल बिछाया गया। तब यह जानते हुए कि ज्यादा उत्पादन होने पर किसानों की उपज की कीमतें गिरेंगी, सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था बनाई। यानी जब किसान अपनी फसल लेकर मंडी में जाएगा और कोई व्यापारी उसे समर्थन मूल्य से ज्यादा कीमत देने को तैयार नहीं होगा, तो सरकार भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से आगे आएगी और एमएसपी पर किसानों से खाद्यान्न खरीदेगी। कोरोना महामारी का लाभ लेकर केंद्र सरकार ने कृषि विधेयक को पारित करा दिया। इन विधेयकों को पास कराना संघीय ढाचे पर घातक हमला है। सीटू नेता समन पाठक ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान सरकार की ओर से कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर दी गई है। अभी जो तीनों केंद्रीय कानून आए हैं, हालाकि उसमें कहा गया है कि एमएसपी को खत्म नहीं किया गया है, लेकिन किसान जानते हैं कि कई दशकों से ऐसे प्रयास हो रहे थे कि एपीएमसी की मंडियों को खत्म किया जाए और एमएसपी को हटाया जाए। राजनेता, अर्थशास्त्री आदि कहा करते थे कि इनको हटाए बिना किसानों की तरक्की नहीं हो पाएगी। इसलिए किसानों का कहना है कि केंद्र द्वारा लाए गए ये तीनों कानून कॉरपोरेट को फायदा पहुंचाएंगे और किसानों का दोहन बढ़ जाएगा। भाकपा माले नेता अभिजीत मजूमदार और एसयूसीआई नेता गौतम चक्रवर्ती ने कहा किये तीनों कानून अमेरिका और यूरोप में छह-सात दशकों से चल रहे कानूनों की तर्ज पर ही हैं। वहा भी खेती गहरे संकट में फंसी हुई है। तो फिर उस विफल मॉडल को हम क्यों भारत में लाना चाहते हैं? आज भी अमेरिका में किसानों पर 425 अरब डॉलर का कर्ज है। एक अध्ययन के अनुसार, वहा के 87 फीसदी किसान खेती छोड़ना चाहते हैं। यूरोप में भी भारी सब्सिडी मिलने के बावजूद किसान खेती छोड़ रहे हैं। इस धरना प्रदर्शन मंच से विकास सेन, बासुदेव बसु आदि ने कहा कि माग है कि इन तीनों केंद्रीय कानूनों को हटाया जाए। लेकिन मेरा मानना है कि एक चौथा कानून लाया जाए, जिसमें यह अनिवार्य हो कि देश में कहीं भी किसानों की फसल एमएसपी से कम कीमत पर नहीं खरीदी जाएगी। किसानों की आय बढ़ाने के लिए यह जरूरी है। इन लोगों ने दिल्ली ही नहीं पूरे देश में चक्का जाम की भी धमकी दी।

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