-ब्लैक फंगस के इलाज में आड़े आ रही दवाइयों की कमी

-लाइपोजोमल इंजेक्शन नहीं मिलने से ऑपरेशन किए हुए मरीज की इलाज में हो रही दिक्कत 20 दिनों में ब्

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 08:13 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 08:13 PM (IST)
-ब्लैक फंगस के इलाज में आड़े आ रही दवाइयों की कमी
-ब्लैक फंगस के इलाज में आड़े आ रही दवाइयों की कमी

-लाइपोजोमल इंजेक्शन नहीं मिलने से ऑपरेशन किए हुए मरीज की इलाज में हो रही दिक्कत

20 दिनों में ब्लैक फंगस के आए 15, मामले, फिलहाल एनबीएमसीएच में सात मरीजों का चल रहा है इलाज, पाच मरीजों की हो चुकी है मौत

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : कोरोनावायरस महामारी के बीच शुरू हुई नई मुसीबत ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) के मामले जहा एक बढ़ना शुरू हो गए हैं, वहीं कुछ जरूरी दवाइयों की कमी से ऐसे मरीजों के इलाज मैं दिक्कतें भी सामने आ रही हैं। उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आधिकारिक सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार कुछ ऐसे इंजेक्शन हैं, जो ब्लैक फंगस के साथ किडनी संबंधी बीमारी से ग्रसित होने वाले मरीजों को दिया जाना जरूरी होता है। बताया गया कि पिछले दिनों उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ब्लैक फंगस से पीड़ित एक मरीज के साइनस का सफल ऑपरेशन किया गया ब्लैक फंगस के साथ मरीज किडनी संबंधित बीमारी से भी ग्रसित हैं। बताया गया कि ऐसे मरीज को एंफोटरीसिन बी की जगह लाइपोजोमल एंफोटरीसिन बी देने की जरूरत होती है। बताया गया कि यह दवा बाजार से आउट ऑफ स्टॉक है। ऐसे में बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है जब दवा ही नहीं रहेगी तुम मरीज का इलाज कैसे होगा। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जब देश के अन्य राज्यों में ब्लैक फंगस के मामले सामने आने शुरू हो गए तभी यहा पर भी जरूरी दवाइयों का इंतजाम कर लिया जाना चाहिए था ताकि आपातकालीन स्थिति जाने पर दवाइयों के लिए इधर-उधर भटकना न पड़े।

बताया गया कि अभी भी उत्तर बंगाल में इस बीमारी से निपटने की पूरी तैयारी नहीं है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार जिस तरह से उत्तर बंगाल में कोरोनावायरस महामारी का का प्रकोप देखने को मिल रहा है, इससे आने वाले दिनों में ब्लैक फंगस की मुसीबत और बढ़ने से इनकार नहीं किया जा सकता है। इन सबके बावजूद इस बीमारी से निपटने की पूरी तैयारी उत्तर बंगाल के विभिन्न सरकारी अथवा गैर सरकारी अस्पतालों में नहीं होना चिंता का विषय है। बताया गया कि जहा अन्य राज्यों के बड़े अस्पतालों व मेडिकल कॉलेजों में अलग पोस्ट कोविड वार्ड व ब्लैक फंगस वार्ड तैयार किया गया है, वहीं उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल समेत अन्य अस्पतालों में इस तरह की व्यवस्था अभी तक नहीं हो पाई है।

उल्लेखनीय है पिछले 20 दिनों में ब्लैक फंगस के 15 मामले उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में आए हैं सामने आए हैं। उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्राचार्य डॉक्टर इंद्रनाथ शाह ने पिछले दिनों बताया कि उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ब्लैक फंगस के 15 मामले सामने आ चुके हैं जिनमें मौत हो चुकी है। उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के अधिकारी सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल मेडिकल अस्पताल में इस बीमारी से संक्रमित सात मरीजों का इलाज चल रहा है। वहीं कुछ ब्लैक फंगस के संदिग्ध मरीज भी भर्ती हैं, कल्चर की जाच के लिए सैंपल भेजे गए हैं। बताया गया कि मेडिकल अस्पताल में भर्ती ब्लैक फंगस से अब तक पाच मरीजों की मौत हो चुकी है। मिली जानकारी के अनुसार उत्तर बंगाल में ब्लैक फंगस का पहला मामला आज से 21 दिन पहले आया था सिलीगुड़ी के प्रधान नगर थाना इलाके निवासी तथा ब्लैक फंगस से पीड़ित 48 वर्षीय महिला का जरूरी ऑपरेशन भी किया गया। उसके एक आख और जबड़ा को ऑपरेशन कर निकाल भी दिया गया था, फिर भी उक्त महिला 31 मई को हमें जीवन की जंग हार गई। जबकि उसी दिन मेडिकल अस्पताल के कोविड-19 भर्ती ब्लैक फंगस से पीड़ित एक और महिला की मौत हो गई थी। जबकी 2 जून को प्रधान नगर थाना इलाके के ही मिलन मोड निवासी एक 48 वर्षीय व्यक्ति की मौत उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में ब्लैक फंगस से संक्रमित होने के बाद हो गई। इस सप्ताह भी ब्लैक पंकज से पीड़ित 2 मरीजों की मौत मेडिकल अस्पताल में हो चुकी है।

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