छह महीने पहले ही हुआ था खुलासा,लैब ने दबाया

-सिर्फ नौकरी से निकालने की हुई कार्रवाई -पुलिस को नहीं दी गई मामले की जानकारी फज

By JagranEdited By: Publish:Fri, 11 Jun 2021 09:21 PM (IST) Updated:Fri, 11 Jun 2021 09:21 PM (IST)
छह महीने पहले ही हुआ था खुलासा,लैब ने दबाया
छह महीने पहले ही हुआ था खुलासा,लैब ने दबाया

-सिर्फ नौकरी से निकालने की हुई कार्रवाई

-पुलिस को नहीं दी गई मामले की जानकारी फर्जी टेस्ट रिपोर्ट

-कई और लोगों के मिलीभगत की बात सामने आई

-बैग से दस और फर्जी रिपोर्ट पुलिस ने बरामद किया

-पूछताछ में कई सनसनीखेज तथ्यों का हो रहा है खुलासा जागरण पड़ताल जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : कोरोना जांच के लिए फर्जी आरटी पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट देकर रुपये ठगने के मामले में रोज नए रहस्यों का खुलासा हो रहा है। कोरोना और ब्लैक फंगस के इस दौर में सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस प्राथमिकता के साथ इस मामले की जाच में जुटी है। फर्जी टेस्ट रिपोर्ट का तो एक मामला सामने आया है लेकिन पुलिस गिरफ्तार आरोपित के बीते छह महीने का रिकॉर्ड खंगाल रही है।

यहा बताते चलें कि बीते 8 मई की देर रात पंजाबीपाड़ा निवासी एक परिवार की सूझ-बूझ से फर्जी रिपोर्ट देकर रुपया ठगने वाले एक युवक को पुलिस के हाथों सौंप दिया। हालाकि सूझ-बूझ दिखाने में इस परिवार ने काफी देरी कर दी। इसका खामियाजा परिवार के मुखिया को भुगतना पड़ रहा है। दूसरी ओर आरोपित को धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार कर सिलीगुड़ी थाना पुलिस पूरे मामले की जाच में जुट गई है। आरोपित को अदालत में पेश कर 10 दिन के रिमाड पर लेकर पुलिस गहन पूछताछ कर रही है। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आरोपित विशाल दत्ता शहर से सटे माटीगाडा इलाके का निवासी है। विशाल दत्ता विज्ञान का छात्र रहा है। वर्ष 2017 में उसने कॉलेज की पढ़ाई अधूरी छोड़ दी। कॉलेज से निकलने के बाद वह माटीगाड़ा स्थित एक पैथोलोजी लैब में काम करने लगा। काम करते-करते वह जाच के लिए मरीजों के खून व अन्य सैंपल संग्रह करने लगा। इसके बाद लैब ने विशाल दत्ता को सैंपल संग्रह करने के लिए दवा दुकानों और मरीजों के घर भेजना शुरु किया। घर-घर जाकर सैंपल संग्रह करने का काम शुरु करते ही विशाल के दिमाग मे फर्जीवाड़े का आयडिया आया। उसने फर्जी जाच रिपोर्ट देकर रुपया ठगने का काम शुरु किया। करीब छह महीना पहले भी फरवरी महीने में उसके फर्जीवाड़े का मामला सामने आया। साख बचाने के लिए लैब ने पुलिस ने शिकायत किए बिना ही आरोपित विशाल दत्ता को 26 फरवरी को नौकरी से निकाल दिया। कोरोना महामारी के इस दौर में उसे दूसरी नौकरी भी नहीं मिली। बल्कि फर्जीवाड़े के रिकॉर्ड पर नौकरी मिलना भी मुश्किल ही था। पुलिस सूत्रों के अनुसार नौकरी छोड़ते समय लैब के कुछ दस्तावेज और कई मरीजों की जाच रिपोर्ट उसके पास रह गई थी। इसी के सहारे वह फर्जी रिपोर्ट मुहैया कर ठगने का काम करने लगा। इसमें लैब के और कई कर्मचारियों की मिलीभगत होने की बात पुलिस पुलिस जांच में सामने आई है। किसी प्रकार से चला रहा था नेटवर्क

सूत्रों की माने तो घर पर ही सैंपल देने वाले मरीज व उनका परिवार लैब से अधिक सैंपल संग्रह करने के लिए आने वाले विशाल को ही कॉल किया करते थे। उसके नौकरी से निकाले जाने की खबर किसी को नहीं थी। सैंपल संग्रह कर विशाल लैब में कार्यरत अपने अन्य साथियों की मदद से दूसरे मरीज की रिपोर्ट में नाम-पता बदल कर मुहैया कर दिया करता था। ये सभी फर्जी रिपोर्ट के बदले मिलने वाले रुपए को आपस मे बाट लिया करते थे। गिरफ्तारी के समय आरोपित के बैग से दस और मरीजों का फर्जी रिपोर्ट बरामद हुआ है। पुलिस ने उन दस मरीज व उनके परिवार से संपर्क किया है। बल्कि उन मरीजों की वास्तविक समस्या और फर्जी रिपोर्ट की वजह से उनके इलाज में हुई गड़बड़ी का पता कर रही है। दो और साथियों की तलाश

नौकरी छोड़ने के बाद बीते छह महीनों में आरोपित द्वारा मुहैया फर्जी रिपोर्ट को खंगालने के लिए पुलिस उनके क्लाइंट की तलाश में जुटी है। सिलीगुड़ी थाना पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार इस फर्जीवाड़े में आरोपित विशाल के अन्य दो साथी का नाम सामने आया है। पुलिस विशाल के साथियों की तलाश में जुटी है। क्या कहते हैं पुलिस अधिकारी

इस संबंध में सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस के एसीपी (ईस्ट) शुभेन्द्र कुमार ने बताया कि इस फर्जीवाड़े से जुड़े कई लोगों के नाम सामने आए हैं। पुलिस मामले की जाच में जुटी है। इस मामले में और भी कुछ लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है।

chat bot
आपका साथी