नई शिक्षा नीति अच्छी, कारगर क्रियान्वयन जरूरी
-वोकेशनल ट्रेनिंग पर जोर देना विशेष बात -सरकारी स्कूलों की स्थिति बेहतर करने की जरूरत
-वोकेशनल ट्रेनिंग पर जोर देना विशेष बात
-सरकारी स्कूलों की स्थिति बेहतर करने की जरूरत
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति पेश की है जिसे चहुंओर सराहना मिल रही है। इस पर सिलीगुड़ी के शिक्षाविदों ने भी अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की हैं। पेश हैं कुछ चुनिंदा शिक्षाविदों की प्रतिक्रियाएं। नई शिक्षा नीति का अभी तक जो मसौदा दिख रहा है वह तो अच्छा ही लग रहा है। मगर, सवाल यह है कि यह जमीनी स्तर पर कितने बेहतर तरीके से लागू हो पाएगा। कितनी ईमानदारी से इसका कार्यान्वयन हो पाएगा। यह अहम है कि प्री-प्राइमरी के बाद छठी कक्षा से ही वोकेशनल ट्रेनिंग पर जोर दिया गया है जो कि विद्याíथयों के शुरुआत से ही दक्षता विकास के लिए अहम है। मगर, यह सारी अच्छाई तभी अच्छाई लगेगी जब इसके लिए आवश्यक आवंटन हो, आधारभूत संरचना व मानव संसाधन सुनिश्चित किया जाए।
जय किशोर पाडेय
प्रधानाध्यापक-सिलीगुड़ी देशबंधु हिंदी हाई स्कूल
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नई शिक्षा नीति का मसौदा अच्छा है। पर, देखना होगा कि जमीनी स्तर पर किस तरह लागू होता है। पहले आधारभूत संरचना व मानव संसाधन जरूरी है। उसके बिना कोई भी नीति कारगर नहीं हो पाती है। वर्तमान में स्कूलों विशेष कर सरकारी स्कूलों की जो आधारभूत संरचना व मानव संसाधन के बलबूते ऐसी कोई बदलाव हो पाना असंभव है। वैसे इस मसौदे में शिक्षा व्यवस्था में सुधार की बहुत सी अच्छी बातें हैं।
बिपिन कुमार गुप्ता
शिक्षक-भारती हिंदी विद्यालय (सिलीगुड़ी)
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नई शिक्षा नीति अच्छी है। पहले के 10+2 शिक्षा ढाचा की जगह अब 5+3+3+4 का प्रारूप पेश किया गया है। अब केवल साल में एक या दो बार नहीं बल्कि सतत रूप में विद्याíथयों का मूल्याकन होगा। यह सब ठीक है पर यह जमीनी स्तर पर कितना कारगर होगा यह अहम सवाल है। क्योंकि, न ऐसी आधारभूत संरचना है न मानव संसाधन। वर्तमान आधारभूत संरचना और मानव संसाधन के बलबूते इस शिक्षा व्यवस्था परिवर्तन को लागू कर पाना अव्यावहारिक ही नहीं बल्कि असंभव है।
संचिता देव (देबनाथ)
प्रधानाध्यापिका-डॉ. राजेंद्र प्रसाद गर्ल्स हाईस्कूल (सिलीगुड़ी)
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नई शिक्षा नीति विद्यार्थी और विद्याíथयों के विकास को केंद्गित नजर आती है। छठी कक्षा से वोकेशनल ट्रेनिंग पर जो अच्छी चीज है। मगर यह कितनी कारगर सिद्ध हो पाएगी यह समय के गर्भ में है। विदेशों का अनुकरण करते हुए यह नई शिक्षा नीति बनाई गई है। पर, हमें यह गौर करना होगा कि विदेशों में विविधता नहीं है जबकि हमारे भारत में भाषा, संस्कृति, धर्म सब कुछ को लेकर बहुत सारी विविधता है। ऑर्थोडॉक्स मेंटलिटी भी है। इन सबके बीच इसे बेहतर तरीके से कार्यान्वित कर पाना ही बड़ी चुनौती होगी।
सीता राउत
प्रधानाध्यापिका-सिलीगुड़ी हिंदी गर्ल्स हाईस्कूल