जबतक सभी गोरखा एकजुट नहीं होंगे,तबतक गोरखालैंड का सपना व्यर्थ: राजू सेवा

केन्द्र व राज्य सरकार हमारा मुद्दा गोरखालैंड को हमेशा के लिए भटकाने की षड़्यंत्र कर रही जागरण

By JagranEdited By: Publish:Wed, 15 Sep 2021 07:06 PM (IST) Updated:Wed, 15 Sep 2021 07:06 PM (IST)
जबतक सभी गोरखा एकजुट नहीं होंगे,तबतक गोरखालैंड का सपना व्यर्थ: राजू सेवा
जबतक सभी गोरखा एकजुट नहीं होंगे,तबतक गोरखालैंड का सपना व्यर्थ: राजू सेवा

केन्द्र व राज्य सरकार हमारा मुद्दा गोरखालैंड को हमेशा के लिए भटकाने की षड़्यंत्र कर रही

जागरण संवाददाता,कíसयाग:

गोजमुमो कíसयाग महकमा कमेटी के प्रवक्ता राजू सेवा ने आज एक मुलाकात के दौरान कहा कि मेरे विचार में जबतक संपूर्ण गोरखा जाति एकवद्ध नहीं होंगे,तबतक अलग राज्य गोरखालैंड की सपना साकार नहीं होगा।

इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि जिस भूभाग को लेकर हम अलग राज्य गोरखालैंड के लिए दाबी कर रहे हैं,यह भूभाग बंगाल का नहीं है। इसके बारेमें केन्द्र व राज्य सरकार भी अवगत हैं। यदि हम संपूर्ण गोरखा जाति एकवद्ध होकर अलग राज्य गोरखालैंड की दाबी करें तो,इस भूभाग को अलग करने के लिए हम बाध्य होंगे यही सोंचकर आज केंद्र व राज्य सरकार गोरखा जाति को छोटे-छोटे समूह में विभाजन करने का कथित कार्य कर रही है। केन्द्र व राज्य सरकार हमारी प्रमुख मुद्दा गोरखालैंड से सदा के लिए ध्यान भटकाने का कथित षड़्यंत्र कर रही है।

उन्होंने कहा कि विश्व के दूसरी आबादी वाले देश भारत में हम गोरखा एक प्रतिशत भी नहीं हैं। इसमें भी यदि छोटे - छोटे समूह में विभाजन होकर आपस में शत्रुता को पालें तो,हमें लुप्त प्राय: जाति में पहुंचने में अधिक समय नहीं लगेगा,जिसे नकारा नहीं जा सकता। उन्होंने जैव विकास (अर्गानिक इवोल्यूशन)सिद्धात के जन्मदाता चा‌र्ल्स डाíवन के उक्त कथन का उठान करते हुए घोर नींद को त्यागकर लक्ष्य की ओर पहुंचने के लिए संपूर्ण गोरखा संतान को अग्रसर होने का आह्वान भी किया।

--------- जागरण संवाददाता,कíसयाग:

गोजमुमो कíसयाग महकमा कमेटी के प्रवक्ता राजू सेवा ने आज एक मुलाकात के दौरान कहा कि मेरे विचार में जबतक संपूर्ण गोरखा जाति एकवद्ध नहीं होंगे,तबतक अलग राज्य गोरखालैंड की सपना साकार नहीं होगा।

इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि जिस भूभाग को लेकर हम अलग राज्य गोरखालैंड के लिए दाबी कर रहे हैं,यह भूभाग बंगाल का नहीं है। इसके बारेमें केन्द्र व राज्य सरकार भी अवगत हैं। यदि हम संपूर्ण गोरखा जाति एकवद्ध होकर अलग राज्य गोरखालैंड की दाबी करें तो,इस भूभाग को अलग करने के लिए हम बाध्य होंगे यही सोंचकर आज केंद्र व राज्य सरकार गोरखा जाति को छोटे-छोटे समूह में विभाजन करने का कथित कार्य कर रही है। केन्द्र व राज्य सरकार हमारी प्रमुख मुद्दा गोरखालैंड से सदा के लिए ध्यान भटकाने का कथित षड़्यंत्र कर रही है।

उन्होंने कहा कि विश्व के दूसरी आबादी वाले देश भारत में हम गोरखा एक प्रतिशत भी नहीं हैं। इसमें भी यदि छोटे - छोटे समूह में विभाजन होकर आपस में शत्रुता को पालें तो,हमें लुप्त प्राय? जाति में पहुंचने में अधिक समय नहीं लगेगा,जिसे नकारा नहीं जा सकता।

उन्होंने जैव विकास (अर्गानिक इवोल्यूशन)सिद्धात के जन्मदाता चा‌र्ल्स डाíवन के उक्त कथन का उठान करते हुए घोर नींद को त्यागकर लक्ष्य की ओर पहुंचने के लिए संपूर्ण गोरखा संतान को अग्रसर होने का आह्वान भी किया।

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