बचाओ से करें ब्रेन स्ट्रोक से बचाव-डॉ स्वयम प्रकाश

-देश में तेजी से बढ़ रही है न्यूरो संबंधी बीमारी -स्ट्रोक होने पर पहला तीन घंटा बेहद म

By JagranEdited By: Publish:Fri, 06 Dec 2019 08:30 PM (IST) Updated:Fri, 06 Dec 2019 08:30 PM (IST)
बचाओ से करें ब्रेन स्ट्रोक से बचाव-डॉ स्वयम प्रकाश
बचाओ से करें ब्रेन स्ट्रोक से बचाव-डॉ स्वयम प्रकाश

-देश में तेजी से बढ़ रही है न्यूरो संबंधी बीमारी

-स्ट्रोक होने पर पहला तीन घंटा बेहद महत्वपूर्ण

-बगैर समय नष्ट किए जाएं डॉक्टर के पास जागरण संवाददाता,सिलीगुड़ी: ब्रेन स्ट्रोक की बीमारी काफी तेजी से बढ़ रही है। पहले 40 साल की उम्र के बाद ब्रेन स्ट्रोक की बीमारी होती थी। लेकिन अब बदलते जीवन स्तर के कारण कम उम्र में भी लोग ब्रेन स्ट्रोक के शिकार हो सकते हैं। अगर समय पर रोगी की चिकित्सा ना हो तो उसकी जान भी जा सकती है। यह बातें सिलीगुड़ी के प्रख्यात न्यूरोलोजिस्ट तथा बालाजी हेल्थकेयर के निदेशक डॉ स्वयम प्रकाश ने कही। वह शुक्रवार को दैनिक जागरण के प्रश्न प्रहर कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दैनिक जागरण कार्यालय आए हुए थे। उन्होंने उन्होंने कहा कि इंडियन स्ट्रोक ऑर्गेनाइजेशन ने ब्रेन स्ट्रोक से बचने के लिए बचाओ का नारा दिया है। इससे ब्रेन स्ट्रोक होने के लक्षण का पता कर सकते हैं। ब का मतलब है बाजू में कमजोरी। च का मतलब है चेहरे में टेढ़ापन और अ का मतलब है अवाज में लड़खड़ाहट। यह लक्षण किसी में दिखे तो समझ लें ब्रेन स्ट्रोक है। तब बिल्कुल भी समय नहीं गवाएं। 3 घटे के अंदर यदि रोगी की चिकित्सा शुरू कर दी जाए तो ना केवल उसकी जान बच सकती है बल्कि वह लकवे का शिकार भी नहीं होगा। इसलिए बगैर समय गवाए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉ प्रकाश ने आगे कहा कि ब्रेन स्ट्रोक दो तरह के होते हैं। इस्किमिक और हिमेरेजिक। इस्किमिक ब्रेन स्ट्रोक की घटनाएं ज्यादा होती है। इससे दिमाग की नश में खून जम जाता है। जबकि हिमेमरेजिक स्ट्रोक में दिमाग के नश से खून का रिसाव होने लगता है। दोनों ही परिस्थिति में यह बीमारी काफी खतरनाक है। भविष्य में ब्रेन स्ट्रोक की समस्या ना हो इसके लिए समय-समय पर ब्लड प्रेशर, शुगर तथा कोलेस्ट्रॉल की जाच कराना चाहिए।

डॉक्टर स्वयम प्रकाश मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले हैं। लेकिन पिछले सात-आठ सालों से उन्होंने सिलीगुड़ी को अपना कर्म स्थल बना लिया है। वह ब्रेन स्ट्रोक तथा न्यूरो समस्या से पीड़ित रोगियों की चिकित्सा वह कर रहे हैं। उनके पास न केवल सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल बल्कि पड़ोसी देश नेपाल,भूटान एवं बाग्लादेश से भी रोगी आते हैं। प्रश्न प्रहर कार्यक्रम में कई रोगियों ने फोन कर उन्हें अपनी समस्याओं की जानकारी दी। जिसका उन्होंने सटीक जवाब दिया।

प्रश्न- सिर के बाएं तरफ से सिहरन की समस्या है। क्या करना चाहिए।

-रामेश्वर ठाकुर, सिलीगुड़ी

उत्तर- हो सकता है कि आपको ब्लड प्रेशर और शुगर की समस्या हो। यदि आपने इससे पहले कभी सिटी स्कैन कराई है तो भी सिर के बाएं हिस्से में सिहरन जैसी समस्या हो सकती है। इसे सीजर डिस्ऑर्डर भी कहते हैं। आपको किसी न्यूरोलॉजिस्ट से जाच करानी चाहिए। इस बीमारी की चिकित्सा है। आपकी कई तरह की जाच कराई जाएगी। तभी समस्या का पता चल सकेगा।

प्रश्न- मेरा लड़का वर्ष 2014 में स्कूटर से गिर गया था। उसके माथे में क्लोटिंग हुई थी। उसकी चिकित्सा कराई गई। लेकिन अभी भी वह बीच-बीच में बेहोश हो जाता है। आखिर क्या समस्या है।

-बिनोद कुमार शर्मा,सिलीगुड़ी

उत्तर-इसे पोस्ट ट्रैमिक सीजर डिस्ऑर्डर कहते हैं। चोट लगने से दिमाग के कई तंतु नष्ट हो जाते है।ं इसलिए कभी-कभी सर्जरी के बाद भी मरीज को परेशानी होती है। मरीज का एमआरआई कराना बेहतर होगा। इसकी चिकित्सा की जा सकती है। दवा लेने से लाभ होगा।

प्रश्न-मेरी बेटी को माइथीनिया की शिकायत है। उसकी प्लाज्मा फोसिस करा दी गई है। क्या ऐसा दोबारा कराने की जरूरत है।

-संचिता देव,सिलीगुड़ी

उत्तर:माइथीनिया का रोगी आम जीवन जी सकता है। लेकिन उसकी नियमित चिकित्सा जरूरी है। माइथीनिया में हाथ पैर में कमजोरी होती है। यदि सास लेने में दिक्कत हो तो दोबारा प्लाज्मा फासिस कराने की जरूरत पड़ेगी। अन्यथा इसे दोबारा कराने की जरूरत नहीं है।

प्रश्न: पैरों और हाथ की मासपेशियों में कमजोरी है। आखें झुक जाती है और लोग दो-दो दिखाई पड़ते हैं।

- सोनी शर्मा,दार्जिलिंग

उत्तर: यह माइथीनिया का लक्षण हो सकता ह। इस बीमारी की पूरी चिकित्सा नहीं है। लेकिन कंट्रोल में किया जा सकता है। आरएनएसटी के साथ-साथ कुछ टेस्ट कराने की जरूरत पड़ेगी। आप किसी न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क कर अपनी चिकित्सा शुरू कराएं।

प्रश्न: माइग्रेन की बीमारी है। सिर में दर्द बना रहता है। इससे कैसे छुटकारा मिले।

-देवश्री देब,सिलीगुड़ी

उत्तर: सिरदर्द की बीमारी के कई कारण हो सकते हैं। नींद में कमी, थकान, धूप में निकलना, कॉफी अथवा चॉकलेट या शराब का नियमित सेवन करने से माइग्रेन की बीमारी होती है। इस बीमारी की चिकित्सा संभव है। यदि 6 महीने में कभी-कभी दर्द की शिकायत हो तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। नियमित रूप से चिकित्सा कराएं तो बीमारी खत्म हो जाएगी।

प्रश्न:घुटने के नीचे पैर में हमेशा दर्द रहता है। आराम करने और मसाज से यह ठीक हो जाता है। रात को यह परेशानी ज्यादा होती है।

- श्वेता झा,सिलीगुड़ी

उत्तर:यह एक प्रकार की बीमारी है। इसे रेलेस स्लिम सिंड्रोम कहते हैं। ब्लड टेस्ट की जरूरत पड़ेगी। आप न्यूरोलॉजिस्ट से चिकित्सा कराएं।

प्रश्न:मेरे पति की चिकित्सा बेंगलुरु में कराई गई थी। उनके हाथ पैर में कंपन की शिकायत है।

-प्रभावती गुप्ता, सिलीगुड़ी

उत्तर:यह पार्किन्सन की बीमारी हो सकती है। दवा लेने से यह समस्या दूर हो जाती है। रोगी को देखने के बाद ही चिकित्सा संभव है। आप किसी न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करें।

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