सांसद ने की परीक्षण व इलाज की व्यवस्था का विकेंद्रीकृत करने की मांग
-सांसद राजू बिष्ट ने दार्जिलिंग व कालिंपोंग जिले की डीएम को लिखा पत्र जागरण संवाददाता सिलीगुड
-सांसद राजू बिष्ट ने दार्जिलिंग व कालिंपोंग जिले की डीएम को लिखा पत्र
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र के सांसद व भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने दार्जिलिंग व कालिंपोंग जिले में कोरोना मरीजों के परीक्षण और उपचार सुविधाओं को विकेंद्रीकृत करने की मांग की है। इस मांग को लेकर उन्होंने रविवार को दाíजलिंग और कलिम्पोंग जिले के डीएम को पत्र भी लिखा है। उन्होंने कहा कि अपने निर्वाचन क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों के विभिन्न अस्पतालों के अपने दौरे के दौरान, मैंने डॉक्टरों, नर्सो, अन्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और आम लोगों के साथ बातचीत की है और यह महसूस किया है कि, पहली लहर के दौरान, मामले जनसंख्या केंद्रित क्षेत्रों तक ही सीमित थे। जबकि इस बार आसपास के मामले ग्रामीण क्षेत्रों में भी फैल गए हैं। लोगों ने मुझे सूचित किया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कई लोगों में तेज बुखार, खासी, छींकने जैसे लक्षण दिखने के बावजूद, वे अपने परीक्षण के लिए शहर आने से डरते और अनिच्छुक हैं।
उन्होंने कह कि हमारे क्षेत्र में स्वास्थ्य का बुनियादी ढाचा तथा बढ़ते हुए कोरोना के मामलों से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं है। डॉक्टरों, नर्सो और अन्य स्वास्थ्य कíमयों की भारी कमी है। अस्पतालों में बुनियादी परीक्षण सुविधाओं और अन्य उपकरणों की भी कमी है। इसके अलावा, उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में आरटी-पीसीआर परीक्षणों के परिणाम के लिए कई दिनों तक प्रतिक्षा करना पड़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक लोग इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं।
गंभीर स्थिति को देखते हुए, मैंने प्रशासन से क्षेत्र में तत्काल आधार पर कोविड-19 परीक्षण और उपचार सुविधाओं का विकेंद्रीकरण करने का अनुरोध किया है।
बिष्ट ने कहा कि मैंने सुझाव दिया है कि चाय और सिनकोना के बागान में 16 मई से 50 प्रतिशत कर्मचारियों की क्षमता पर काम होगा, इसलिए हम इस अवधि का उपयोग सभी चाय और सिनकोना बागानों में तेजी से परीक्षण करने के लिए कर सकते हैं। मेरा मानना है कि सभी चाय बागान के औषधालयों, स्वास्थ्य बुनियादी ढाचे और चिकित्सा कर्मचारियों का उपयोग परीक्षण उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। रोगियों की शीघ्र पहचान कर उन्हें समय पर उपचार प्रदान करने में एक लंबा रास्ता तय कर सकती है, और यह ग्रामीण क्षेत्रों में बीमारी के प्रसार को रोकने में भी मदद करेगी।
कोरोना की स्थिति से निपटने में बेहतर समन्वय को सुनिश्चित करने के लिए सुझाव दिया गया है कि हम जमीनी स्तर पर परीक्षण और उपचार के लिए एक मानक ढाचा विकसित करें। इसमें सभी राजनीतिक दलों, गैर सरकारी संगठनों और सामाजिक संगठनों के सदस्यों के स्वयंसेवकों की एक टीम भी विकसित करें। हम उसी टीम का उपयोग गावों में टीकाकरण अभियान को बढ़ाने के लिए कर सकते हैं। उन्होंने उम्मीद व्यक्त किया कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य अधिकारी इन सुझावों को जल्द से जल्द लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे।