धर्म का इस्तेमाल विरोध व राजनीतिक औजार के रुप में नहीं : चौरसिया

जागरण संवाददाता सिलीगुड़ी इन दिनों राजनीतिक दलों के लिए धर्म का इस्तेमाल विरोध करने का

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 06:48 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 06:48 PM (IST)
धर्म का इस्तेमाल विरोध व राजनीतिक औजार के रुप में नहीं : चौरसिया
धर्म का इस्तेमाल विरोध व राजनीतिक औजार के रुप में नहीं : चौरसिया

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : इन दिनों राजनीतिक दलों के लिए धर्म का इस्तेमाल विरोध करने का राजनीतिक औजार बन गया है। यह ठीक नहीं है। इस प्रकार से उसका महत्व उसकी गरीमा कम हो जाता है। इस बात को सभी धर्म से जुड़े बड़े लोगों को इस बात को धर्म गुरुओं को समझाना चाहिए। यह कहना है नेपाली संस्कृति परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक चौरसिया का। उन्होंने बताया कि धर्म की शांति, विकास और स्थायित्व को बढ़ावा देने में है। इसके इस्तेमाल से लोगों के अधिकारों और उनकी गरिमा को समाप्त करने या उन्हें इससे वंचित करने जैसा नहीं होना चाहिए। इसके माध्यम से भाई भतिजावाद और अपनी इच्छापूर्ति के लिए करते आ रहे है। कुछ धार्मिक संगठन तो इसके इस्तेमाल से

आपसी सद्भाव खत्म कराने में लगाते है। धर्म विभिन्न समाजों के निर्माण करने और एक स्वस्थ्य व परस्पर मजबूत समाज के निर्माण में सहायक होता है। सभी धर्म अच्छे है। किसी भी धर्म को दूसरे धर्मो से उत्तम नहीं मानना चाहिए। इस पूरी दुनिया को एक बड़े घर की तरह मानना चाहिए। इसका सबसे बड़ा उदाहरण भारत है। यहां सभी धर्म और संप्रदाय के लोग मिलजुल कर रहते है। चौरसिया ने कहा कि धर्म में यह क्षमता हाती है कि वह दुनिया को एक बेहतर भविष्य के लिए बदल सकता है। शर्त यह है कि इसका इस्तेमाल सार्थक रुप से किया जाए। इन दिनों कुछ संगठन धर्म का इस्तेमाल समाज को तोड़ने के लिए कर रहे है यह समाज और देश के हित में नहीं है। इसका उपयोग समाज के कल्याण के लिए होना चाहिए, जिससे समाज में शाति और सद्भाव आएं।

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