बोरो धान की उपज ही नहीं तो कैसे होगी खरीदारी

-जिले में बोरो धान की उपज नहीं 2.5 लाख क्विंटल की खरीदारी की सुगबुगाहट जागरण संवाददाता सिलीगुड़

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 06:31 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 07:58 PM (IST)
बोरो धान की उपज ही नहीं तो कैसे होगी खरीदारी
बोरो धान की उपज ही नहीं तो कैसे होगी खरीदारी

- एक बार फिर से घोटाले की सुगबुगाहट शुरू

-राज्यपाल को पूरे मामले की जानकारी देंगे किसान

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी: किसानों से सीधे धान खरीद घोटाले की जाच अब तक जिला प्रशासन के फाइलों में दफन है। जबकि एक बार फिर से 2.5 लाख क्विंटल बोरो धान की खरीदारी की सुगबुगाहट तेज हो गई है। वह भी तब जब इसी घोटाले के कारण फूड एंड सप्लाई विभाग के डिस्ट्रिक्ट कंट्रोलर का तबादला किया गया है। यहां सबसे आश्चर्यजनक है कि जिले में बोरो धान की खेती ही नहीं होती है। जब उत्पादन ही नहीं होगा तो बोरो धान की खरीदारी कैसे होगी।

आरोप है कि धान खरीद के नाम पर घोटाले की साजिश रची जा रही है। इन सभी मुद्दे को लेकर दाíजलिंग जिले के किसानों का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मिलकर इसकी शिकायत करेगा। इस बात की शिकायत की जाएगी कि मिल मालिक, प्राइवेट बैंक और खाद्य आपूíत विभाग के लोग मिलकर किसानों से धान खरीद के नाम पर लूट मचाए हुए है। दाíजलिंग जिला में कई मिल मालिकों की मिलीभगत से 6 लाख क्विंटल से ज्यादा की धान खरीद हुई है। उस खरीद के मास्टर रोल की जाच करायी जाए तो ज्यादातर फर्जी निकलेंगे।

कागजों में उगाया जाता है धान

धान खरीद घोटाले को लेकर आंदोलन कर चुके भारतीय मजदूर संघ के जिला सचिव विश्वजीत गुहा ने बताया कि बंगाल में किसान से सीधे धान खरीद के नाम पर व्यापक घोटाला हो रहा है। यहा तो कागज पर ही धान उगाया जाता है और दलालों को किसान बना कर बाहर से धान लाकर मंडी में बेचा जाता है। इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर मिलीभगत होती है। गुहा ने बताया कि उत्तर बंगाल के ज्यादातर जिले के किसानों के बैंक एकाउंट यहां के बैंको में नहीं खोल सिलीगुड़ी के कई निजी बैंक ममें फर्जी तरीके से खोले जाते हैं। जबकि नियम है कि जहा का जो किसान है,उनका खाता वहीं खुलना चाहिए। कागज में किसानों से धान खरीद दिखाकर भुगतान मिल मालिकों और अधिकारियों को कर दिया जाता है।

जांच हो तो कई तथ्यों का खुलासा

गुहा ने आगे बताया कि यदि जाच हो तो कई तथ्यों का खुलासा होगा। रायगंज,अलीपुरद्वार,जलपाईगुड़ी, कूचबिहार के किसानों के नाम पर फर्जी अकाउंट खोले जाने की बात सामने आएगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों से 1868 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान की खरीद करती है। अभी खरीद नहीें होने से किसान 15 सौ रुपया प्रति क्विंटल की दर से धान बेचने पर मजबूर हैं। बीच के 368 रुपए का कटमनी का बंदरबाट किया जाता है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि दाíजलिंग जिले में 23 राइस मिल हैं। लेकिन जो कटमनी देता है उसी के मार्फत किसानों की धान की खरीदारी की जाती है।

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