टीकाकरण में खामियों पर भड़के भाजपा विधायक

-44 साल तके के दिव्यांगों को टीका मिलने में काफी परेशानी -जिलाधिकारी को पत्र लिखकर सम

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 09:59 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 09:59 PM (IST)
टीकाकरण में खामियों पर भड़के भाजपा विधायक
टीकाकरण में खामियों पर भड़के भाजपा विधायक

-44 साल तके के दिव्यांगों को टीका मिलने में काफी परेशानी

-जिलाधिकारी को पत्र लिखकर समस्या के समाधान की मांग

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : कोरोना वायरस टीकाकरण प्रक्रिया में हर तरफ अनियमितता देखने के मिल रही है। इसके कारण लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा रहा है। इन समस्याओं से दिव्यांगों को भी उसी तरह से जूझना पड़ा रहा है, जिस तरह से आम लोग जूझ रहे हैं। 18 से 44 वर्ष तक के दिव्यांगों के टीकाकरण प्रक्रिया में समस्याएं उत्पन्न होने का आरोप सिलीगुड़ी विधानसभा क्षेत्र के विधायक व भाजपा नेता शंकर घोष ने लगाया है। उन्होंने इन समस्याओं को दूर करने की मांग को लेकर दार्जिलिंग जिले के डीएम को पत्र भी लिखा है। उन्होंने दिव्यांगो को आसानी से टीका उपलब्ध कराने की मांग सरकार से की है। बुधवार को दिव्यांगों के लिए संचालित टीकाकरण केंद्रों का दौरा करने के बाद उन्होंने संवाददाताओं को इस बात की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दिव्यांगों के लिए संचालित कई टीकाकरण केंद्रों का दौरा किया। इस दौरान मैंने देखा कि 45 वर्ष उम्र से अधिक की श्रेणी के दिव्यांगों के टीकाकरण की व्यवस्था नियम-कायदों के अनुसार की गई है। मौजूदा पंजीकरण सूची के अनुसार उनका टीकाकरण सुचारू रूप से चल रहा है।

वहीं 18-44 वर्ष की आयु वर्ग के तहत शारीरिक रूप से दिव्यांग के संबंध में नियमों का पालन नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस संबंध को डीएम को पत्र के माध्यम से मांग की है कि कि 18-44 वर्ष की श्रेणी में शारीरिक रूप से दिव्यांगों के लिए टीकाकरण मामले को तत्काल तरीके से देखने और प्राथमिकता के आधार पर समस्या को हल करने में सहायता प्रदान करें। घोष ने कहा कि राज्य सरकार व स्वास्थ्य विभाग के कुप्रबंधन के चलते 18 वर्ष से 44 वर्ष तक आम लोगों के लिए अभी तक टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। टीकाकरण के लिए लोगों को रात में ही लाइन में लग जाना पड़ रहा है, इसके बाद भी उन्हें टीका नहीं मिल रहा है। सिलीगुड़ी में टीकाकरण प्रक्रिया को लेकर राज्य सरकार तथा स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से उदासीन बने हुए हैं।

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