कोरोना के मामले सौ से नीचे,बड़ी राहत

-मरीजों की मौत की संख्या में नहीं आई कमी -पिछले चौबीस घंटे के दौरान पांच लोग मरे जा

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 06:50 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 06:50 AM (IST)
कोरोना के मामले सौ से नीचे,बड़ी राहत
कोरोना के मामले सौ से नीचे,बड़ी राहत

-मरीजों की मौत की संख्या में नहीं आई कमी

-पिछले चौबीस घंटे के दौरान पांच लोग मरे जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : शहर व आसपास के क्षेत्रों में कोरोना के मामलों में लगातार उतार-चढ़ाव का दौर देखने के बाद पिछले ढाई महीने में सबसे बड़ी राहत मिली है। पिछले चौबीस घंटे में सौ से भी कम संक्रमित मरीज मिले हैं। जिला प्रशासन द्वारा मिले आकड़ों के मुताबिक गुरुवार को सिलीगुड़ी और आसपास के क्षेत्रों में कोरोना वायरस के 87 नए मामले सामने आए। जबकि पांच मरीजों की मौत हुई है। इनमें सिलीगुड़ी नगर निगम क्षेत्र में 48 मामले सामने आए हैं। जबकि सिलीगुड़ी महकमा के माटीगाड़ा प्रखंड में 8 , नक्सलबाड़ी प्रखंड में 4, फांसीदेवा प्रखंड में 7, खोरीबाड़ी प्रखंड में तीन तथा सिलीगुड़ी से सटे सुकना में कोरोना का एक मरीज मिला है। इस तरह से पिछले 17 दिनों में सिलीगुड़ी नगर निगम क्षेत्र में कोरोना वायरस के करीब 1800 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं शुक्रवार को 240 मरीजों ने कोरोना से जंग भी जीत ली है। इधर कोरोना वायरस के मामलों में कमी के बावजूद मौत का सिलसिला लगातार जारी है। गुरुवार की तरह शुक्रवार को भी पांच मरीजों की मौत हुई। इस तरह से पिछले 17 दिनों में उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल तथा शहर के विभिन्न नìसग होम मिलाकर 119 मरीजों की मौत हो चुकी है। उल्लेखनीय है कि सिलीगुड़ी व आसपास के क्षेत्रों में कोरोना के मामलों में कमी देखी जा रही है। पिछले दो महीने के बाद सोमवार को पहली बार सिलीगुड़ी नगर निगम क्षेत्र में सबसे कम 37 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि सिलीगुड़ी व आसपास के क्षेत्रों में 109 मामले दर्ज किए गए थे। जिससे इस बीमारी से जल्द छुटकारा मिलने की उम्मीद एक बार फिर जगी है।

वहीं पिछले महीने मई की बात करें, तो मई महीने में कोरोना ने अपना सारा रिकार्ड तोड़ दिया था। मई महीने में सिलीगुड़ी व आसपास के क्षेत्रों में कोरोना वायरस के लगभग 15 हजार मामले सामने आए थे। जबकि 338 मरीजों की मौत कोरोना के संक्रमण से हुई थी। इस दौरान आठ हजार से ज्यादा मरीज कोरोना वायरस के संक्रमण से मुक्त भी हुए थे।

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