किसानों व महिलाओं के अधिकारों के लिए कांग्रेस ने किया धरना प्रदर्शन
-इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि व सरदार पटेल की जयंती को किसान अधिकार रक्षा दिवस एवं महिला व दलि
-इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि व सरदार पटेल की जयंती को किसान अधिकार रक्षा दिवस एवं महिला व दलित उत्पीड़न विरोधी दिवस के रूप में मनाया जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री लौह महिला इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि (31 अक्टूबर) एवं भारत के पहले गृह मंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती (31 अक्टूबर) को कांग्रेस की ओर से किसान अधिकार रक्षा दिवस एवं महिला व दलित उत्पीड़न विरोधी दिवस के रूप में मनाया गया। इसे लेकर कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं ने हाशमी चौक स्थित दार्जिलिंग जिला कांग्रेस कार्यालय विधान भवन के सामने दिन भर धरना प्रदर्शन किया। इंदिरा गांधी व सरदार पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कांग्रेसियों ने भारत में किसानों, महिलाओं व दलितों के अधिकारों की रक्षा करने और उन पर अत्याचार व उत्पीड़न बंद किए जाने की मांग की।
इस अवसर पर दार्जिलिंग जिला कांग्रेस अध्यक्ष विधायक शंकर मालाकार ने कहा कि इंदिरा गांधी के भारत में, सरदार पटेल के भारत में आज किसानों पर अत्याचार हो रहा है। उनके अधिकारों का हनन हो रहा है। केंद्र की भाजपा नीत मोदी सरकार पूंजी पतियों के हितों की रक्षा करने में लगी हुई। इसके लिए किसानों के अधिकारों पर प्रहार किया जा रहा है। मोदी सरकार जो नए-नए कृषि विधेयक लाई है उसके तहत अब किसानों के अनाजों की कीमत सरकार या किसान नहीं बल्कि पूंजीपति तय करेंगे। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को समाप्त कर दिया गया है ताकि पूंजीपति अपनी सहूलत के हिसाब से कम से कम मूल्य पर किसानों से फसल खरीद सकें। इसके साथ ही अनाजों को अतिआवश्यक सामग्री की सूची से भी हटा दिया गया है ताकि पूंजीपति जितना चाहें उसका भंडारण व जमाखोरी कर सकें और कालाबाजारी कर चांदी पीटें। किसानों के देश में किसानों के अधिकारों का ऐसा हनन किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।
इसके साथ ही उन्होंने हाथरस दुष्कर्म कांड को लेकर भी केंद्र की मोदी व उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को जम कर कोसा। कहा कि, एक दलित बेटी का सामूहिक दुष्कर्म किया गया। थाने में उसकी शिकायत भी दर्ज नहीं की गई। अपराधी खुलेआम घूमते रहे। यहां तक कि उक्त बेटी ने दम तोड़ दिया तो उसके पजिनों को अंतिम दर्शन तक नहीं करने दिया गया। रातों-रात पुलिस ने उसका शवदाह करवा दिया। जब इसका विरोध किया गया तो विरोध करने वाले हर किसी को मारा पीटा गया। यहां तक कि बड़े-बड़े जनप्रतिनिधियों को भी नहीं बख्शा गया। क्या यही इंदिरा जी के सपनों का भारत है? सरदार पटेल के सपनों का भारत है? राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों का भारत है? नहीं कदापि नहीं। भारत की ऐसी दयनीय अवस्था को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। इसके खिलाफ उन्होंने सभी से एकजुट हो कर जोरदार आंदोलन करने अपील की।