'चुनावी मैदान' में कहां है 'कांग्रेस' का 'हाथ'?

चुनावी चक्कर -क्या अकेले ही लड़ेगी चुनाव या हाथ में होगा हंसुआ-हथौड़ी तारा? -2009 से

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 09:25 PM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 09:25 PM (IST)
'चुनावी मैदान' में कहां है 'कांग्रेस' का 'हाथ'?
'चुनावी मैदान' में कहां है 'कांग्रेस' का 'हाथ'?

चुनावी चक्कर

-क्या अकेले ही लड़ेगी चुनाव, या हाथ में होगा हंसुआ-हथौड़ी तारा?

-2009 से 2020 तक लगातार कांग्रेस-माकपा का रहा है साथ इरफान-ए-आजम, सिलीगुड़ी : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य भर में पालिका व पंचायत चुनाव आगामी मई-जून 2022 तक पूरा करा लिए जाने का इशारा दिया है। कोलकाता नगर निगम चुनाव का तो बिगुल भी बज गया है। इस कड़ी में राज्य के दूसरे सबसे बड़े शहर सिलीगुड़ी के नगर निगम के चुनाव की सुगबुगाहट भी अभी से ही तेज हो गई है। इसे लेकर सभी पार्टियों ने ताल ठोकना भी शुरू कर दिया है। इसमें राज्य की सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस तो औरों से चार कदम आगे ही चल रही है। कई महीने पहले से ही विभिन्न पार्टियों में तोड़-फोड़ मचा रखी है। कांग्रेस, माकपा व भाजपा इन सभी पार्टियों से कई पार्षदों व नेताओं को अपने पाले में कर चुकी है। भाजपा ने भी अभी से ही यहां चुनाव कमेटी तक का गठन कर डाला है। माकपा भी अशोक भट्टाचार्य की हवा बनाने में जुट गई है। पर, इस पूरे चुनावी माहौल में कांग्रेस कहां है? यह इन दिनों अहम सवाल हो गया है।

इस बारे में दार्जिलिंग जिला कांग्रेस अध्यक्ष शंकर मालाकार कहते हैं कि, कांग्रेस मैदान में थी, है और रहेगी। इस बार भी माकपा नीत वाममोर्चा संग गठबंधन कर पूरे दम-खम के साथ यहां सिलीगुड़ी नगर निगम चुनाव व सिलीगुड़ी महकमा परिषद चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस शांत नहीं बैठी हुई है। हर जगह बूथ स्तर पर, गांव स्तर पर, अंचल स्तर और वार्ड स्तर पर सांगठनिक ढांचे नया रूप दिया जा रहा है। आम जनों के मुद्दों को केवल मात्र कांग्रेस ही उठा रही है। उनके लिए सड़क पर अभी तक केवल कांग्रेस ही उतरी है। वह चाहे देश भर के किसानों का मामला हो, महंगाई व भ्रष्टाचार हो या फिर यहां सिलीगुड़ी के तीन नंबर वार्ड में महानंदा नदी किनारे बसने वाले गरीबों पर मनमाना अत्याचार हो। राष्ट्रीय, राज्य व स्थानीय हर स्तर पर आम जनों के मुद्दों को लेकर सड़क आंदोलन करती हुई, शासन-प्रशासन से जवाबदेही मांगती हुई केवल और कांग्रेस ही आपको नजर आएगी और कोई नहीं। कांग्रेस को कोई कम न आंके। केंद्र की सत्ता में नहीं रहने के बावजूद आज भी देश में कांग्रेस ही आम जनों के दिलों में बसने वाली अन्य सभी पार्टियों से सशक्त है।

इस बार सिलीगुड़ी नगर निगम चुनाव में कांग्रेस की क्या स्थिति होगी? इस बारे में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष शंकर मालाकार ने कहा कि अशोक भट्टाचार्य मेयर के चेहरे के रूप में सामने होंगे और कांग्रेस-माकपा नीत वाममोर्चा का गठबंधन होगा तो एक बार फिर यही गठबंधन सिलीगुड़ी नगर निगम में विजयी होगी। अन्य पार्टियों के लिए कोई जगह नहीं होगी। मगर, अशोक भट्टाचार्य तो चुनावी राजनीति से संन्यास की घोषणा कर चुके हैं? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि राजनीति में संन्यास कभी नहीं होता। उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल की माकपा नीत वाममोर्चा सरकार में अशोक भट्टाचार्य लगातार 20 साल व एक अंतराल छोड़ दें तो 25 साल तक सिलीगुड़ी के विधायक रहे। इसके साथ ही वह तब लगातार 15 सालों तक राज्य के मंत्री रहे। शहरी विकास जैसा महत्वपूर्ण विभाग संभाला। इधर, 2016 से 2021 तक भी सिलीगुड़ी के विधायक रहे। वहीं, 2015 से 2020 तक मेयर और उसके बाद दो पाली में लगभग 10 महीने सिलीगुड़ी नगर निगम की प्रशासकीय समिति के चेयरमैन रहे। अशोक भट्टाचार्य हों मेयर का चेहरा

उन्हीं अशोक भट्टाचार्य को इस बार पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव-2021 में उन्हीं के शिष्य शंकर घोष ने चुनौती दे डाली। माकपा छोड़ कर शंकर घोष भाजपा में चले गए और भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ कर अपने गुरु अशोक भट्टाचार्य को हराते हुए सिलीगुड़ी के विधायक बन गए। तब ही, अशोक भट्टाचार्य ने चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर डाली। मगर, खुद के माकपा के मार्गदर्शक बने रहने की भी बात कही। अब इधर, जब सिलीगुड़ी नगर निगम चुनाव सिर पर है तो माकपा और वाममोर्चा के अन्य घटक दलों ने पुन: अशोक भट्टाचार्य की ही हवा बनानी शुरू कर दी है। कांग्रेस की भी यही चाहत है कि, अशोक भट्टाचार्य मेयर का चेहरा हों और कांग्रेस व माकपा नीत वाममोर्चा गठबंधन चुनाव लड़े। याद रहे कि एक-दूसरे के प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष सहयोग से ही 2009 से 2014 तक कांग्रेस और 2015 से 2020 तक माकपा नीत वाममोर्चा ने सिलीगुड़ी नगर निगम चलाया। अब आगे क्या होगा? यह तो वक्त ही बताएगा।

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