सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल जाना होगा जेल
जागरण संवाददाता सिलीगुड़ी बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग के निर्देशानुसार इस बा
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग के निर्देशानुसार इस बार फेसबुक, ट्विटर, वाट्सएप और यू ट्यूब पर प्रचार के लिए प्रयोग होने वाले राजनीतिक विज्ञापनों को भी प्रमाणित करवाना होगा। दार्जिलिंग जिला में पांचवे चरण में 17 अप्रैल को चुनाव होना है। जिलाधिकारी सह जिलानिर्वाची पदाधिकारी शशांक सेठी ने बताया कि यही नहीं सोशल मीडिया प्लेटफार्म भी बिना प्रमाणित हुए किसी भी राजनीतिक विज्ञापन का प्रसार नहीं कर सकेंगे। चुनाव आयोग के तहत इस जद में फेसबुक, ट्विटर, वाट्सएप और यू-ट्यूब भी आएगा। देना होगा सोशल मीडिया अकाउंट का ब्योरा सभी उम्मीदवारों को इस बार अपने सोशल मीडिया अकाउंट का ब्योरा भी देना होगा। चुनाव आयोग ने साफ किया है कि नामाकन के समय उम्मीदवारों को अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट के बारे में भी जानकारी उपलब्ध करानी होगी। जिससे चुनाव के समय उन पर नजर रखी जा सके। संभल कर करें सोशल मीडिया का इस्तेमाल सोशल मीडिया पर किसी भी पोस्ट पर लाइक व कमेंट करने से पहले पूरी तरह पढ़ जरूर लें। यदि पोस्ट आपत्तिजनक है तो उस पर लाइक व कमेंट बिल्कुल न करें। ऐसा करने पर पोस्ट करने वाले के साथ ही साथ आपको भी आइटी एक्ट के तहत सजा हो सकती है। झूठे कंटेंट बढ़ा सकते हैं मुश्किल फेसबुक, वाट्सएप, ट्विटर पर अगर आप कोई ऐसी पोस्ट डालते हैं, जिससे किसी की भावनाएं आहत होती हैं या फिर मानहानि होती है तो आप सजा के हकदार हैं। इसके अलावा किसी भी फोटो से छेड़छाड़ या अश्लील टिप्पणी भी आपको तीन साल के लिए जेल पहुंचा सकती है या फिर पाच लाख तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। तीन साल तक की हो सकती है जेल सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों के तहत साझा होने वाली जानकारी और आकड़ों के आदान प्रदान पर लागू होता है। चुनाव आयोग के निर्देशानुसार कानून की धारा 66 ए के तहत झूठे और आपत्तिजनक संदेश भेजने पर सजा का प्रावधान है। कानून के तहत तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। मीडिया निगरानी सेल का गठन आचार संहिता लागू होने के बाद जिलाधिकारी मीडिया निगरानी सेल का गठन किया जा रहा हैं। इसे चुनाव आयोग के गाइडलाइन के आधार पर तय की जाएगी। हालाकि, चुनाव की तारीखों की घोषणा हो गई है। ऐसे में हमारी आइटी सेल सक्रिय है किसी भी शिकायत पर आइटी एक्ट के तहत कार्यवाई होगी। जिसमें तीन साल तक की जेल तक का प्रावधान है।
विकास कार्यो पर लगा ब्रेक
विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होते ही विकास कार्यो पर ब्रेक लग गई है। अब सिर्फ वहीं कार्य हो सकेंगे जिसके वर्कआर्डर जारी हो चुके है। इसके अलावा जहां नए उद्घाटन हुए है किंतु वर्क आर्डर जारी नहीं हुए है। ऐसा नहीं होने पर वह काम भी रूक जाएगा। राजनीतिक दलों के लिए चुनौती है कि अब उन्हें एक आम व्यक्ति की तरह काम करना पड़ेगा। वे अब राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। मेयर अपनी सरकारी गाड़ी भी प्रयोग में नहीं कर सकेंगे। आचार संहिता के कारण निगम के कई टेंडर बीच में ही लटक गए हैं। नए टेंडर नहीं लग पाएंगे।