30-30-40 फॉर्मूले से हर कोई संतुष्ट नहीं

-12वीं के रिजल्ट के आधार पर शिक्षक समाज की प्रतिक्रिया मिश्रित जागरण संवाददाता सिलीगुड़ी

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 09:22 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 09:22 PM (IST)
30-30-40 फॉर्मूले से हर कोई संतुष्ट नहीं
30-30-40 फॉर्मूले से हर कोई संतुष्ट नहीं

-12वीं के रिजल्ट के आधार पर शिक्षक समाज की प्रतिक्रिया मिश्रित जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : कोरोना महामारी के चलते इस वर्ष 12वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द कर दी गई है। ऐसे में परीक्षा से इतर विद्यार्थियों के मूल्यांकन के लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) व इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (आईसीएसई) ने एक फॉर्मूला दिया है। वह फॉर्मूला 30-30-40 है। इसके तहत विद्यार्थियों के 10वीं, 11वीं व 12वीं के प्री-बोर्ड तक के प्रदर्शन को आधार बना कर उनका 12वीं का रिजल्ट तैयार किया जाएगा। इनमें 10वीं और 11वीं के 30-30 फीसद और 12वीं के प्री-बोर्ड के 40 फीसद अंक शामिल किए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फॉर्मूले पर अपनी सहमति जता दी है। मगर, साथ ही इससे असंतुष्ट विद्यार्थियों के लिए कोरोना परिस्थिति सामान्य हो जाने के बाद परीक्षा के विकल्प को भी शामिल करने का निर्देश दिया है। अब इसी फॉर्मूले के आधार पर आगामी 31 जुलाई को 12वीं बोर्ड के परिणाम जारी किए जाएंगे। इसे लेकर आम समाज में मिश्रित प्रतिक्रिया है। वहीं, शिक्षक समाज भी पूरी तरह संतुष्ट नहीं है। इसे लेकर सिलीगुड़ी के विभिन्न सीबीएसई स्कूलों के प्राचार्यो की राय भी मिश्रित है। प्रमुख अंश प्रस्तुत हैं। और कोई उपाय भी तो नहीं

वर्तमान कोरोना महामारी में परीक्षा आयोजन संभव नहीं है। फिर, विद्यार्थियों का मूल्यांकन कर समय पर रिजल्ट भी देना है। सो, और कोई उपाय भी नहीं है। मूल्यांकन का 30-30-40 फॉर्मूला ऐसा है कि इससे कोई विद्यार्थी संतुष्ट हो भी सकता है तो कोई नहीं भी। ऐसे में असंतुष्ट विद्यार्थियों के लिए बाद में परिस्थिति सामान्य होने पर परीक्षा का भी विकल्प है। इसीलिए यह संतोषजनक है। वरना, यह संतोषजनक नहीं होता। परीक्षा का विकल्प नहीं होता तो फिर बच्चे विशेष कर मेधावी बच्चे असंतुष्ट हो जाते। इन सबके बावजूद मूल परीक्षा मूल परीक्षा होती है। उसका और विकल्प नहीं हो सकता।

सोनिका शर्मा

निदेशक प्राचार्या

जी.डी. गोयनका पब्लिक स्कूल (सिलीगुड़ी)

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परिस्थिति के अनुसार सही

12वीं बोर्ड के विद्यार्थियों के परीक्षा से इतर मूल्यांकन के लिए वर्तमान कोरोना महामारी की विकट परिस्थिति में सीबीएसई ने जो 30-30-40 का फॉर्मूला दिया है वह सही है। मूल्यांकन के लिए 10वीं, 11वीं, व 12वीं के प्री-बोर्ड तीनों को आधार बनाना तर्क संगत है। केवल एक ही आधार होता तो फिर सही नहीं होता। क्योंकि, एक परीक्षा किसी की खराब भी जा सकती है। पर, तीन की तीन परीक्षा तो खराब नहीं जाएगी। इसलिए तीन परीक्षा के प्रदर्शन के मूल्यांकन के आधार पर 12वीं का रिजल्ट तैयार करना तर्कसंगत व संतोषजनक है। पर, परीक्षा परीक्षा है, उसका कोई विकल्प हो ही नहीं सकता।

मुनव्वरा बी. अहमद

प्राचार्या

दिल्ली पब्लिक स्कूल (सिलीगुड़ी)

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थोड़ा और बेहतर हो सकता था

इस वैकल्पिक मूल्यांकन के लिए सीबीएसई ने जब देश भर में सीबीएसई स्कूलों के प्राचार्यो से राय मांगी थी तब यहां सिलीगुड़ी से भी हम लोगों ने राय दी थी। वह 30-20-50 की राय थी। मतलब, 10वीं के बोर्ड पर 30 प्रतिशत, 11वीं पर 20 प्रतिशत और 12वीं के प्री-बोर्ड पर 50 प्रतिशत आधार मान कर रिजल्ट हो। क्योंकि, 11वीं में ज्यादातर बच्चे गंभीर नहीं रहते सो, उसका आधार 30 की जगह 20 रखने की राय हम लोगों ने दी थी। पर, संभव है कि देश भर से राय अलग आई होगी। उसी के आधार पर सीबीएसई ने 10वीं के बोर्ड पर 30 प्रतिशत, 11वीं पर 30 प्रतिशत और 12वीं के प्री-बोर्ड पर 40 प्रतिशत आधार मानने का फॉर्मूला दिया है। खैर, यह उपाय भी बेहतर ही है। ऊपर से असंतुष्ट विद्यार्थियों के लिए परीक्षा के भी विकल्प खुले हैं। सो, वर्तमान परिस्थिति के मद्देनजर कुल मिला कर इसे संतोषजनक कहा जा सकता है।

तापसी पाल बणिक

प्राचार्या

डी.ए.वी. स्कूल (सिलीगुड़ी)

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सबके लिए संतोषजनक नहीं

अभी जो हालात हैं उसके तहत विद्यार्थियों के मूल्यांकन के लिए परीक्षा से इतर विकल्प के तौर पर यह फॉर्मूला दिया गया है। और कोई उपाय भी नहीं था। पर, इससे सब के सब संतुष्ट नहीं होंगे। विशेष कर मेधावी विद्यार्थी पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो पाएंगे। क्योंकि, मूल्यांकन औसत हो जाएगा। वजह यह है कि कई विद्यार्थी तो पिछली कक्षाओं में कई बार सप्लीमेंटरी दे के भी पास हुए होंगे। उन्हें भी इस नए फॉर्मूले में पास ही माना जाएगा। उनके अंतिम पास रिजल्ट को आधार मान कर उनका रिजल्ट होगा। कोई फेल नहीं होगा। इससे मेहनती बच्चों को घाटा होगा वे संतुष्ट नहीं होंगे। सो, यह उतना तर्कसंगत नहीं है। अकादमिक अवस्था डांवाडोल हो जाएगी। पर, परिस्थिति के मद्देनजर और किया भी क्या जा सकता था।

अर्चना शर्मा

प्राचार्या

एच. बी. विद्यापीठ (सिलीगुड़ी)

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