'बीएसएफ सीमा की पहरेदारी करे, अंदर की नहीं'

-कई संगठनों ने सयुंक्त रूप में केंद्रीय मंत्री के विचार हेतु राज्यपाल को लिखित एक ज्ञापन सिलीग

By JagranEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 07:57 PM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 07:57 PM (IST)
'बीएसएफ सीमा की पहरेदारी करे, अंदर की नहीं'
'बीएसएफ सीमा की पहरेदारी करे, अंदर की नहीं'

-कई संगठनों ने सयुंक्त रूप में केंद्रीय मंत्री के विचार हेतु राज्यपाल को लिखित एक ज्ञापन सिलीगुड़ी एसडीओ को सौंपा जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : फासीवाद विरोधी नागरिक मंच, सृजन (सिलीगुड़ी), उत्तर बंग चा मजदूर अधिकार मंच, राइट टू फूड एंड वर्क नेटवर्क, एवं ऑल इंडिया किसान महासभा आदि संगठनों ने सीमा से अंदर 50 किलोमीटर तक बीएसएफ को कार्रवाई का अधिकार दिए जाने का विरोध किया है। इसे लेकर इन संगठनों की ओर से संयुक्त रूप में, केंद्रीय गृह मंत्रालय के विचार हेतु राज्यपाल को लिखित एक ज्ञापन सिलीगुड़ी एसडीओ कार्यालय में जमा किया गया। वहीं, इन संगठनों के सदस्यों ने एसडीओ कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि, बीएसएफ सीमा की पहरेदारी करे, अंदर की नहीं। बीएसएफ को पहले जो सीमा से अंदर 15 किलोमीटर क्षेत्र तक कार्रवाई का जो अधिकार था वही रहे। उसे और अंदर 50 किलोमीटर तक बढ़ाया जाना सामान्य प्रशासन व पुलिस के अधिकार क्षेत्र में अनावश्यक हस्तक्षेप है। इतना ही नहीं यह मानवाधिकार का भी हनन है। इससे सीमांत क्षेत्र के आम निवासियों का मानवाधिकार प्रभावित होगा।

इस अवसर पर फासीवाद विरोधी नागरिक मंच की ओर से सदस्य पार्थ चौधरी ने कहा कि सीमा के बजाय अंदर 50 किलोमीटर तक बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ा दिए जाने का केंद्र सरकार का फैसला किसी भी परिस्थिति में तर्क-संगत नहीं है। इसकी युक्ति समझ से परे है। यह सब और कुछ नहीं अपने राजनैतिक हितों को साधाने का साधन है। इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस मुद्दे पर पुन: केंद्रीय गृह मंत्रालय विचार करे। उसी के लिए हम लोगों ने राज्यपाल को ज्ञापन लिखा है। वह ज्ञापन इस दिन सिलीगुड़ी एसडीओ कार्यालय में दिया गया। जहां से वह राज्यपाल को अग्रसारित कर दिया जाएगा और राज्यपाल इसे विचार हेतु केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजेंगे। केंद्रीय गृह मंत्रालय उक्त निर्णय पर पुनर्विचार करेगा। इसी उम्मीद के साथ हम लोगों ने ज्ञापन दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर हम सामाजिक, सांस्कृतिक व मानवाधिकार संगठनों का आंदोलन सतत रूप में जारी रहेगा।

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