बॉटलीफ फैक्टरी मालिकों ने की संकट से उबारने मांग

-आर्थिक संकट से बुरा हाल लागत से कम दाम में हो रही चाय नीलामी -भारत के नाम से बिक रही

By JagranEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 09:49 PM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 09:49 PM (IST)
बॉटलीफ फैक्टरी मालिकों ने की संकट से उबारने मांग
बॉटलीफ फैक्टरी मालिकों ने की संकट से उबारने मांग

-आर्थिक संकट से बुरा हाल, लागत से कम दाम में हो रही चाय नीलामी

-भारत के नाम से बिक रही नेपाल की चाय, बाजार को कर रही प्रभावित

-टी बोर्ड के विरुद्ध नियमों के तहत संरक्षण कार्य नहीं करने का आरोप

-बॉटलीफ फैक्टरियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : नॉर्थ बंगाल टी प्रोड्यूसर्स वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले बॉटलीफ फैक्टरियों के मालिकों ने मंगलवार को यहां टी पार्क स्थित टी बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय में विरोध प्रदर्शन किया। इसके साथ ही क्षेत्रीय उपनिदेशक को ज्ञापन दिया। इसके द्वारा मांग की गई है कि स्मॉल टी ग्रोवर्स की क्षेत्र सीमा व बॉटलीफ फैक्ट्रियों में चाय की कच्ची-हरी पत्तियों की सप्लाई के नियमों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। 10 एकड़ भूभाग के सीमा क्षेत्र के तहत ही स्मॉल ग्रोवर्स व नए बॉटलीफ की अनुमति का कार्य किया जाए। हर साल 60-70 करके नए बॉटलीफ की अनुमति दी जा रही है जबकि पहले से ही जो 187 बॉटलीफ वाले हैं उनकी हालत लचर है। उन्हें संकट से उबारने का कोई कार्य नहीं किया जा रहा है।

इन मांगों के बारे में बताते हुए एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीर शील ने कहा कि हमारी बॉटलीफ फैक्टरियों में चाय उत्पादन में प्रति किलो लागत 130-135 रुपये आती है, जबकि नीलामी 105-110 रुपये होती है। नेपाल की चाय भारत की बता कर यहां 90 रुपये से भी कम में बेची जा रही है। इस ओर टी बोर्ड कोई ध्यान नहीं दे रहा है। सरकार चाहे तो अपने स्तर पर प्रयास करके हम लोगों द्वारा उत्पादित चायों को सेना, रक्षा इकाई, रेलवे आदि जगहों पर आदि जगहों पर आपूर्ति कराने की सुविधा प्रदान कर हम सभी चाय उत्पादकों को संकट से उबार सकती है। पर, कोई कुछ नहीं कर रहा है। कोई हमारी सुध नहीं ले रहा है। हमारे बुरे हाल पर ध्यान दिया जाए। हमें संकट से उबारने के उपाय किए जाएं। अन्यथा, हम लोग जोरदार आंदोलन करने को बाध्य होंगे। यदि समय रहते हमारी सुध नहीं ली गई तो आने वाले दिनों में हम लोग अनिश्चितकालीन हड़ताल पर भी जा सकते हैं।

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