रेलवे के लिए वरदान साबित हो रहा है ब्रह्मपुत्र नदी पर बना बोगीबिल ब्रिज

असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर बना बोगीबिल ब्रिज रेलवे के लिए वरदान साबित हो रहा है। अब मालगाड़ियों का आवागमन सुगम हुआ है, साथ में समय की भी बचत हो रही है।

By Rajesh PatelEdited By: Publish:Thu, 17 Jan 2019 10:31 AM (IST) Updated:Thu, 17 Jan 2019 10:31 AM (IST)
रेलवे के लिए वरदान साबित हो रहा है ब्रह्मपुत्र नदी पर बना बोगीबिल ब्रिज
रेलवे के लिए वरदान साबित हो रहा है ब्रह्मपुत्र नदी पर बना बोगीबिल ब्रिज
सिलीगुड़ी [जागरण संवाददाता]। असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर बोगीबिल ब्रिज ने रेलवे को काफी राहत दी है। इसके कारण एनएफ रेलवे अंतर्गत मालगाडिय़ों की आवाजाही काफी हद तक सुव्यवस्थित कर दी गई है। यह उत्तरी बैंक मार्ग के माध्यम से तथा ऊपरी असम क्षेत्र में मालगाडिय़ों की आवाजाही के लिए वैकल्पिक मार्ग बन गया है।
गुवाहाटी को छोड़कर ऊपरी असम जाने वाली मालगाड़ियों के लिए न केवल दक्षिण बैंक की तुलना में डिब्रूगढ़ तक 170 किलोमीटर की दूरी कम हो गई है, बल्कि इन गाड़ियों को चलाने में मानवशक्ति की आवश्यकता में भी काफी कमी आई है। इससे पहले न्यू गुवाहाटी, लामडिंग व मरियानी में क्रू में बदलाव किया जा रहा था। अब इस मार्ग में केवल रंगपारा में परिवर्तन किया जाता है। इससे दो जोड़ी चालक दलों में कमी आई है।
एनएफ रेलवे द्वारा मिली जानकारी के अनुसार इससे पहले डिब्रूगढ़ तथा तीनसुकिया तक ट्रेनों को चलाने के लिए चार जोड़ी ड्राइवरों व सहायक चालकों की जरूरत होती थी। वहीं इस बैंक के माध्यम से मालगाड़ियों को पुन: निर्देशित कर लगभग आठ से 10 घंटे तक का समय की बचत हो रही है। एक अन्य महत्वपूर्ण लाभ वैगन टर्न अराउंड समय में कमी हुई है, जो गंतव्य में इसकी खेप उतारने के बाद एक रेलवे वैगन को अपनी मूल स्थिति में वापस लाने के लिए आवश्यक औसत समय है। कम टर्न अराउंड का अर्थ अधिक आर्थिक व अधिक प्रभावी वैगन का उपयोग है।
बताया गया कि पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस ब्रिज के उद्घाटन के बाद अब तक 41 रैक अप दिशा में यानी तीनसुकिया-डिब्रूगढ़ की ओर तथा 47 रैक डाउन दिशा यानी तीनसुकिया-डिब्रूगढ़ से चलाई गई हैं।
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