कोरोना को हरा चुके हैं तो तीन महीने रहें सावधान

जागरण विशेष -उत्तर बंगाल में ब्लैक फंगस का खतरा कायम -कोई लक्षण दिखते ही जाएं डॉक्टर

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 07:58 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 07:58 PM (IST)
कोरोना को हरा चुके हैं तो तीन महीने रहें सावधान
कोरोना को हरा चुके हैं तो तीन महीने रहें सावधान

जागरण विशेष :

-उत्तर बंगाल में ब्लैक फंगस का खतरा कायम

-कोई लक्षण दिखते ही जाएं डॉक्टर के पास

-मधुमेह और स्टोरॉयड लेने वाले रोगी को है ज्यादा खतरा

24

दिन पहले आया था पहला मामला

16

मरीज इस क्षेत्र में मिल चुके हैं अब तक

05

मरीजों की मेडिकल कॉलेज हो चुकी है मौत

शिवानंद पांडेय

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : कोरोना वायरस महामारी के बीच शुरू हुई नई मुसीबत ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले मरीज यदि थोड़ी से सावधानी बरत लेंगे तो इस बीमारी की चपेट में आने से बच जाएंगे। उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा बताया गया कि ब्लैक फंगस कोरोना काल में फैली हुई बीमारी नहीं है। यह बीमारी पहले से है। कोरोना महामारी के दौरान ब्लैक फंगस के मामले कुल ज्यादा सामने आने लगे हैं। उत्तर बंगाल मेडिकल व अस्पताल पैथोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर व कोविड केयर नेटवर्क, सिलीगुड़ी के संयोजक डॉक्टर कल्याण खान ने बताया कि कोरोना के संक्रमण के साथ यदि मरीज को पहले से डायबिटीज है तो कोरोना से मुक्ति के बाद भी कम से कम तीन महीने तक विशेष सावधानी बरतनी होगी। यदि मरीज को डायबिटीज नहीं है तथा कोरोना के संक्रमण के दौरान अस्पताल में स्टेरॉयड का प्रयोग किया गया है तो ऐसे मरीजों को भी कम से कम एक महीने तक सतर्क रहना होगा। यदि ब्लैक फंगस जैसे किसी तरह का लक्षण दिखे तो तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लेनी चाहिए।

वहीं उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के इएनटी विभाग के अध्यक्ष डॉ राधेश्याम महतो ने बताया कि ब्लैक फंगस वातावरण में मौजूद है। यदि कोई व्यक्ति कोरोना से संक्रमित हुआ है और डायबिटीज की भी शिकायत है तो ऐसे लोगों को सावधानी बरतते हुए घर के आसपास साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। घर के खिड़की व दरवाजे समय-समय पर खुला रखना चाहिए, ताकि घर में स्वच्छ हवा प्रवेश कर सके। फल व सब्जी घर में कई दिनों तक नहीं रहना चाहिए। क्योंकि इन सामानों में फंगस उत्पन्न होने की संभावना बनी रहती है। यदि घर में मौजूद किसी समान व जगह पर फंगस बनता है, तो इससे भी मरीज के संक्रमित होने की संभावना बनी रहती है। इसलिए इन सब प्रमुख बातों पर विशेष ध्यान रखने से इस बीमारी के खतरे से बचा जा सकता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जो मरीज कोविड-19 से उबर चुके हैं या ठीक हो रहे ऐसे मरीजों में इस बीमारी के होने का पता चल रहा है। इसके अलावा जिसे भी मधुमेह है और जिसकी प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक से काम नहीं कर रही है, उसे इसे लेकर सावधान रहने की जरूरत है।

बताया गया कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा जारी किए गए एक परामर्श के अनुसार, कोविड-19 रोगियों में अनियंत्रित डायबिटीज, स्टेरॉयड के उपयोग के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना, लंबे समय तक आईसीयू/अस्पताल में रहना

अन्य बीमारियों से संक्रमित होना, अंग प्रत्यारोपण के बाद/कैंसर

वोरिकोनाजोल थेरेपी (गंभीर फंगल संक्रमण का इलाज करने के लिए इस्तेमाल की जाती है) ऐसे मरीजों में इसका खतरा बना रहता है।

इसके अलावा, आईसीयू में ह्यूमिडिफायर का उपयोग किया जाता है, वहा ऑक्सीजन थेरेपी ले रहे कोविड मरीजों को नमी के संपर्क में आने के कारण फंगल संक्रमण का खतरा होता है।

हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि इसका मतलब यह नहीं है कि हर कोविड मरीज म्यूकोरमाइकोसिस से संक्रमित हो जाएंगे।

उल्लेखनीय है पिछले 24 दिनों में ब्लैक फंगस के 16 मामले उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में आए हैं सामने आए हैं। जिनमें पांच मरीजों की मौत हो चुकी है। उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के अधिकारी सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल मेडिकल अस्पताल में इस बीमारी से संक्रमित आठ मरीजों का इलाज चल रहा है।

सामान्य लक्षण क्या हैं

1.माथे, नाक, गाल की हड्डियों के पीछे और आखों एवं दातों के बीच स्थित एयर पॉकेट में त्वचा के संक्रमण के रूप में म्यूकोरमाइकोसिस दिखने लगता है। यह फिर आखों, फेफड़ों में फैल जाता है और मस्तिष्क तक भी फैल सकता है। 2.इससे नाक पर कालापन या रंग मलिन पड़ना, धुंधली या दोहरी दृष्टि, सीने में दर्द, सास लेने में कठिनाई और खून की खासी होती है।

3.आईसीएमआर ने सलाह दी है कि बंद नाक के सभी मामलों को बैक्टीरियल साइनसिसिस के मामलों के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए, खासकर कोविड-19 रोगियों के उपचार के दौरान या बाद में बंद नाक के मामलों को लेकर ऐसा नहीं करना चाहिए।

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