देश में अघोषित आपातकाल के खिलाफ सड़क पर उतरे भाजपाई, बोले-बंगाल में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं

देश में घोषित आपातकाल 146 में वर्षगांठ के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी सिलीगुड़ी संगठन की जिला की ओर से शुक्रवार की शाम हाशमी चौक के निकट बंगाल में चल रहे अघोषित आपातकाल के खिलाफ सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया गया।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 06:22 PM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 06:22 PM (IST)
देश में अघोषित आपातकाल के खिलाफ सड़क पर उतरे भाजपाई, बोले-बंगाल में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं
सिलीगुड़ी में बंगाल में अघोषित आपातकाल के खिलाफ प्रदर्शन करते भाजपाई।

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी: देश में घोषित आपातकाल 146 में वर्षगांठ के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी सिलीगुड़ी संगठन की जिला की ओर से शुक्रवार की शाम हाशमी चौक के निकट बंगाल में चल रहे अघोषित आपातकाल के खिलाफ सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन में तीन विधायक शंकर घोष आनंदमय बर्मन तथा शिखा चटर्जी के अलावा प्रदेश महासचिव रथीन बोस, जिला सचिव कन्हैया पाठक, दीप्तिमान  सेनगुप्ता, जूली तमांग नंटू पाल, अमित जैन रणवीर मुजूमदार समेत बड़ी संख्या में भाजपाई उपस्थित थे।

महामारी को ध्यान में रखते हुए सभी बंगाल में चल रहे हिंसा और अघोषित आपातकाल के संबंध में तरह तरह के पोस्टर लगाए हुए थे। इस मौके पर प्रदेश महासचिव रथीन बोस, विधायक आनंदमय बर्मन ने कहा कि आज 46 साल बाद भी बंगाल में आपातकाल से भी खराब स्थिति है। हम लोगों ने आपातकाल के संबंध में जो कुछ पढ़ा उससे खराब स्थिति चुनाव बाद हिंसा में बंगाल में देखने को मिल रहा है। यह कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। राज्यपाल हो या सांसद विधायक हो या जनप्रतिनिधि किसी को भी कुछ सरकार के खिलाफ बोलने की इजाजत नहीं है। यही स्थिति 1975 में स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लागू की थी। क्योंकि वह न्यायालय से चुनाव हार के सदमा को बर्दाश्त नहीं कर पाई थी।

विधायक शंकर घोष ने कहा कि भारत के इतिहास में आज ही के दिन 25 जून 1975 में देशभर में आपातकाल लगाने की घोषणा की गई थी। यह आदेश देश में तात्कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिफारिश पर दिए गए थे। जिसने कई ऐतिहासिक घटनाओं को जन्म दिया। भारतीय राजनीति के इतिहास में यह सबसे विवादस्पद काल रहा क्योंकि आपातकाल में  भारत में चुनाव स्थगित हो गए थे। बंगाल में भी चुनाव नहीं करा कर अपने मनपसंद लोगों को प्रशासक की कुर्सी पर बैठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक की 21 महीने की अवधि का आपातकाल था।

1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने आपातकाल की घोषणा की थी। यह घोषणा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के अंतर्गत की गई थी।उस वक्त इंदिरा गांधी ने सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वले हर शख्स को जेल में बंद करवा दिया था। जेल और अन्य जगहों पर मौतें हुईं जिनका कोई रिकॉर्ड नहीं रखा गया। बंगाल में विरोधियों के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है। उस समय भी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी उस समय अपनी 'अघोषित सरकार' चला रहे थे। बंगाल में आज भी कुछ ऐसे सरकार कौन चला रहा है सबको पता है। घोष ने कहा कि आपातकाल के18 महीने बाद मार्च 1977 में हुए चुनाव में कांग्रेस को आपातकाल की कीमत चुकानी पड़ी। लोकसभा चुनाव में जनता ने इंदिरा गांधी को बैलेट के जरिए जवाब दिया। इस चुनाव में कांग्रेस महज 154 सीटों पर सिमट गई। जबकि जनता पार्टी को 295 सीटों जीत मिली। 

बंगाल में भी नया सवेरा आएगा

उत्तर बंगाल के संयोजक दीप्तिमान सेनगुप्ता और जिला सचिव कन्हैया पाठक  का कहना है कि आपातकाल में समाचार पत्रों में की सामग्री छपने से पहले सरकार स्क्रीनिंग करती थी। सरकार ने संविधान में 42वां संशोधन किया। इसमें व्यवस्था की गई कि राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के चुनाव को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती। चुनाव के और चुनाव के बाद बंगाल दंगों की आग में जल रहा है। गाड़ियों में भर-भर कर दंगाई जाने कहां से आ रहे हैं ।चुन-चुन कर भाजपा समर्थकों की  बस्तियां जलाई जा रही हैं और घरों में घुसकर महिलाओं से अभद्रता की जा रही है। प्रदेश के करीब आधा दर्जन जिलों में दंगाई तांडव किए जा रहे हैं। गोलियां और बम धमाकों के बीच डर से पलायन हो रहा है और हजारों लोग अपना घर-बार छोड़ कर भागने को मजबूर हो गए हैं। पश्चिम बंगाल है और ये सेक्युलरिज्म का मॉडल है। ऐसे अघोषित आपातकाल से बंगाल के लोगों को मुक्ति चाहिए इसके लिए भारतीय जनता पार्टी लगातार अपनी आवाज बुलंद करती रहेगी।

chat bot
आपका साथी