बंगाल में लोकतंत्र नहीं पार्टी तंत्र का राज: भाजपा

-विधायकों ने राज्य की ममता सरकार पर बोला हमला -चुनाव बाद हिंसा के विरोध में आज धरना-प्रदश्

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Jul 2021 08:47 PM (IST) Updated:Tue, 20 Jul 2021 08:47 PM (IST)
बंगाल में लोकतंत्र नहीं पार्टी तंत्र का राज: भाजपा
बंगाल में लोकतंत्र नहीं पार्टी तंत्र का राज: भाजपा

-विधायकों ने राज्य की ममता सरकार पर बोला हमला

-चुनाव बाद हिंसा के विरोध में आज धरना-प्रदर्शन जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी: पंचायत चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव तक 138 कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है। दो मई से अभी तक 8 लोगों की हत्या की गयी है। आज ही दक्षिण बंगाल के विष्णुपुर में देवेश वर्मन की हत्या कर दी गई है। लोगों को डराने के लिए पेड़ पर लटका दिया जा रहा है। लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है। यह कहना है भाजपा विधायक डा.शंकर घोष का। उनके साथ विधायक फांसीदेवा दुर्गा मूर्मू, विधायक शिखा चटर्जी, जिला महासचिव राजू साहा आदि मौजूद थे। ये सभी मंगलवार को भाजपा कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बुधवार को बंगाल में भारतीय जनता पार्टी जनतंत्र बचाओ दिवस के रुप में धरना प्रदर्शन करेगी। भाजपा विधायकों ने कहा कि बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद राज्य के हर हिस्से में फैली बर्बर हिंसा को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने हाईकोर्ट में जो रिपोर्ट दी है, वह दिल दहलाने वाली है। कहीं पता चला है कि 60 साल की महिला का उसके पोते के सामने दुष्कर्म किया गया है तो कहीं पिता के सामने बेटी का उत्पीड़न हुआ है। बंगाल में चुनाव नतीजों के बाद हुई हिंसा में हजारों भाजपा सर्मथकों पर जमकर अत्याचार किया गया। कई स्थानों पर आज भी ये लोग अपने घर को छोड़कर दूसरी जगह रह रहे हैं। उनके घरों को तोड़ दिया गया है। बीते दो महीने में कई बार उनके घरों को निशाना बनाया गया। विधायकों ने कहा कि आज बंगाल में गणतंत्र के बदले दलतंत्र हावी है। हाल ही में जब कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा की जाच कर रहे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक टीम ने दौरा किया तो कथित तौर पर तृणमूल काग्रेस समर्थकों द्वारा टीम का पीछा किया गया और हमले की भी कोशिश हुई। आयोग की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में ममता बनर्जी सरकार पर हिंसा पर आखें मूंदने का इल्जाम लगाया गया है। लोगों में अब भी भय का माहौल है। पीड़ित परिवार अभी भी किसी से मिलने से बच रहे हैं। 40 परिवारों में से सिर्फ आठ ने नए स्थानों पर मीडिया से मुलाकात करने के लिए सहमति जताई है, जबकि दो अन्य ने फोन पर बात की। दो परिवार सड़क के किनारे मिले। पीड़ित परिवारों के कई लोगों ने दावा किया कि उन्होंने पुलिस से संपर्क किया था किन्तु पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज नहीं की। अंत में कुछ ने आयोग को शिकायत भेजी थी। हालांकि पुलिस का दावा है कि उन्होंने कॉलोनी के डोमपाड़ा इलाके में हिंसा की एक घटना के लिए दो लोगों को अरेस्ट किया है। किन्तु किसकी गिरफ्तारी हुई पुलिस ने ये बताने से मना कर दिया। पूरे मामले को लेकर तृणमूल का कहना है कि इस हिंसा में उनका कोई रोल नहीं था। पलायन करने वाले परिवारों में शामिल होने का दावा करते हुए मेघा और अमित डे ने कहा कि वे अपने तीन वर्षीय बेटे के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर भटकते रहे हैं।

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