अंतरराष्ट्रीय सुपारी तस्करों पर अब केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की नजर

-म्यांमार से वाया उत्तर बंगाल होती है सुपारी तस्करी -प्रतिदिन कम से कम 50 ट्रकों से तस्करी

By JagranEdited By: Publish:Thu, 24 Dec 2020 03:07 PM (IST) Updated:Thu, 24 Dec 2020 07:53 PM (IST)
अंतरराष्ट्रीय सुपारी तस्करों पर अब केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की नजर
अंतरराष्ट्रीय सुपारी तस्करों पर अब केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की नजर

जागरण एक्सक्लूसिव - बंगाल होते हुए हर दिन पचास ट्रक से हेराफेरी

- सिंडिकेट के बीच संघर्ष ने और बढ़ाई चिंता

-कई हाई प्रोफाइल लोगों से भी जार जुड़े होने की संभावना

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50

हजार रुपये पर मिलता है टोकन

500

करोड़ रुपये की सेटिंग का खुलासा

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : विधानसभा चुनाव के पूर्व एक बार फिर से म्यांमार से उत्तर बंगाल होते हुए कम से कम प्रतिदिन 50 ट्रक विदेशी सुपारी की तस्करी हो रही है। इस अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट के बीच खूनी संघर्ष के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने इसकी पड़ताल शुरु की है। एजेंसी को जांच में पता चला है कि इस तस्करी की जानकारी डीआरआई, कस्टम्स और पुलिस समेत राज्य के सुरक्षा एजेंसियों को है। उसके बाद भी वह चुप्पी साधे बैठे हैं। कोई भी इस तस्करी को रोकने के लिए आगे नहीं आ रहे है। इसको लेकर पूर्वोत्तर में केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी ने इस अंतरराष्ट्रीय सुपारी तस्करी का गिरोह का इतिहास और भूगोल खंगालना शुरु किया है। अधिकारियों के एक बड़े वर्ग का कहना है कि यह तस्करी हाई प्रोफाइल है। अगर कुछ किया तो नौकरी भी जा सकती है। पिछले वर्ष विदेशी सुपारी तस्करी की खबर 'दैनिक जागरण' में उजागर होने के बाद तस्करी पर रोक लग गयी थी। लेकिन एक बार फिर साल के अंत में बेरोक-टोक यह धंधा परवान चढ़ रहा है। इसके लिए प्रत्येक ट्रक में एक टोकन दिया जा रहा है। टोकन देखने के बाद कोई भी एजेंसी या पुलिस के अधिकारी ट्रक को रोकने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। कहते हैं कि यह मामला बड़ा हाई प्रोफाइल है। इसके तार बड़ी-बड़ी हस्तियों से जुड़े हैं। मिली जानकारी के अनुसार उत्तर बंगाल के रास्ते 500 करोड़ रुपये मूल्य की सुपारी की तस्करी की सेटिंग हुई है। इसके लिए तय राशि प्रत्येक सप्ताह देनी पड़ रही है।

सुरक्षा एजेंसियों के पास जो जानकारी मिली है उसके अनुसार इस धंधे का सिंडिकेट सरगना अंजन पाल, बाबूल अहमद, निजामुद्दीन, बाबा खान, खलील अहमद, राजदीप राय, नारु साहा, विनय वर्मन और काजल साहा है। ये सभी सिलचर से उत्तर बंगाल तक अपनी देखरेख में इस तस्करी को अंजाम देते है। प्रति ट्रक असम में एक लाख रुपये और उत्तर बंगाल में 50 हजार रुपये के दर से भुगतान करने का एक टोकन दिया जाता है। इस टोकन का मतलब होता है उन्हें इस अवैध धंधे को अंजाम देने के लिए कोई नहीं रोकने वाला। उत्तर बंगाल में प्रत्येक सप्ताह वसूली की राशि का एक बड़ा हिस्सा बागडोगरा एयरपोर्ट के माध्यम से कोलकाता भेजा जाता है।

नाम के खुलासे के बाद खलबली

सुरक्षा एजेंसियों के पास कुछ नाम और तस्करी के तरीके का खुलासा होने के बाद से सुपारी तस्करी से जुड़े तस्करों में खलबली मची हुई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रतिदिन 50 ट्रकों से म्यांमार से कोलकाता समेत उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, पंजाब समेत विभिन्न प्रांतों में ले जाया जाता है। प्रत्येक ट्रक में करीब 20 से 25 टन सुपारी लदी होती है। इसकी कीमत करीब 50 से 55 लाख रुपये होती है। इसके आधार पर प्रतिदिन करीब 23 से 25 करोड़ रुपये की सुपारी तस्करी से भारत सरकार को राजस्व का चूना लगाया जा रहा है।

ऐसे होती है तस्करी

इंडोनेशिया से म्यांमार के मिजोरम चंपाई व टियाहू नामक अंतरराष्ट्रीय सीमा से भारतीय सीमा में सुपारी की तस्करी की जाती है। फिर उसे ताम्बूल, हालाईकारी, इंफाल, दीमापुर, सिल्चर में डंप किया जाता है। वहां से इसे सड़क मार्ग से कंटेनर से 90 किलोग्राम के बोरे में लाया जाता है। उसके बाद 50 किलोग्राम के बोरे में पैकिंग करने के बाद उसे उत्तर बंगाल के फालाकाटा और धूपगुड़ी लाया जाता है। यहां से तस्करों के खुद के तैयार ट्रांसपोर्ट के माध्यम से भारतीय बाजारों में भेजा जाता है। तस्करी की सुपारी का सबसे बड़ा खरीददार कोलकाता, उत्तर प्रदेश के कानपुर के नयागंज और ऐशबाग व महाराष्ट्र का नागपुर है।

भाजपा और तृणमूल ने की चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी

चुनाव के दौरान सुपारी तस्करी को भारतीय जनता पार्टी की ओर से चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी शुरू हो गया है। इसकी पुष्टि स्वयं राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने दी है। उन्होंने कहा कि सत्ता के संरक्षण में बंगाल के प्रत्येक गलत कार्य की जानकारी जनता को दी जाएगी। वही इसका जबाव देने के लिए तृणमूल कांग्रेस की ओर से कमर कसा जा रहा है। पार्टी के उत्तर बंगाल पर्यवेक्षक मंत्री अरूप विश्वास का कहना है कि असम समेत पूर्वोत्तर के राज्यों में भाजपा का शासन है। ऐसे में वह उत्तर बंगाल तक कैसे पहुंच रही है इसका जबाव भी भाजपा को देना होगा। प्रत्येक वार पर पलटवार के लिए तृणमूल तैयार है।

मोटी कमाई का होता है लाभ

एजेंसियों के अनुसार पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यों और उत्तर बंगाल के तराई-डुवार्स क्षेत्र में दो लाख से अधिक परिवार सुपारी उत्पादन से जुड़े हुए हैं। यहां का उत्पादित सुपारी की कीमत 300 से 350 रूपये किलोग्राम तक होती है। इंडोनेशिया से म्यांमार के रास्ते आ रही सुपारी की कीमत 250 से 260 रूपये किलोग्राम तक है। इसे तस्करों द्वारा भारतीय बाजार और गुटखा व पान मसाला कारोबारियों के को बेचा जाता है।

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