सिलीगुड़ी में 'भारत बंद' असरदार

सिलीगुड़ी व आसपास में भारत बंद रहा असरदार -बंद समर्थकों ने जगह-जगह निकाली रैली किया प्रदर्शन -सरकार की जनविरोधी नीति

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 06:20 PM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 06:20 PM (IST)
सिलीगुड़ी में 'भारत बंद' असरदार
सिलीगुड़ी में 'भारत बंद' असरदार

फोटो : -बंद समर्थकों ने जगह-जगह निकाली रैली, किया प्रदर्शन

-सरकार की जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध की गई देशव्यापी हड़ताल

-दुकानें व बाजार रहे बंद, चाय बागानों में प्रभावित रहा कामकाज

-सड़कों पर कुछ-कुछ रही वाहनों की आवाजाही

-किसी भी अप्रिय परिस्थिति से निपटने को जगह-जगह मुस्तैद रही पुलिस

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :

नए कृषि विधेयकों, न्यूनतम समर्थन मूल्य नियमों, लेबर कोड और विद्युत बिल को रद्द करने एवं पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस की मूल्यवृद्धि एवं आसमान छूती महंगाई को नियंत्रित करने की मांग को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से सोमवार 27 सितंबर को आहूत भारत बंद सिलीगुड़ी व आसपास में असरदार रहा। इस दिन भले ही सड़कों पर कुछ-कुछ वाहनों की आवाजाही रही। मगर, इक्का-दुक्का छोड़, सारी दुकानें व प्रतिष्ठान बंद रहे। हरेक बाजार में भी सन्नाटा पसरा रहा। चाय बागानों में भी काम-काज प्रभावित रहा। बंद के चलते दूर-दराज के यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

इस बंद के समर्थन में जगह-जगह बंद समर्थकों की ओर से रैली निकाल कर व पिकेटिंग कर प्रदर्शन भी किया गया। प्रदर्शनकारियों ने शहर के हाशमी चौक, हिलकार्ट रोड, सेवक मोड़, एयर व्यू मोड़ एवं बिधान रोड आदि इलाकों में पिकेटिंग भी की। हालांकि, किसी भी अप्रिय परिस्थिति से निपटने के लिए हर जगह काफी संख्या में पुलिस मुस्तैद रही। इस दिन का यह बंद पूरी तरह शांतिपूर्ण गुजरा। कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं मिली है।

'भारत बंद' को लेकर इस दिन वामपंथी ट्रेड यूनियनों की ओर से सीटू जिला कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें सीटू नेता व संयुक्त किसान मोर्चा के नेता झरेन राय ने कहा कि इस दिन का भारत बंद सिलीगुड़ी व आसपास समेत पूरे दार्जिलिंग जिला बल्कि पूरे उत्तर बंगाल में बहुत प्रभावी रहा। आम जनता का इसे भरपूर समर्थन मिला। इसी से स्पष्ट हुआ कि यह लड़ाई केवल किसानों के हितों की रक्षा की लड़ाई नहीं है बल्कि हर एक के हितों की रक्षा की लड़ाई है। खेती किसानी को भी यदि पूंजीपतियों के हवाले कर दिया गया तो तो फिर घर-घर में दाने के लाले पड़ जाएंगे। दो जून रोटी भी इतनी महंगी हो जाएगी कि लोगों को खाना तक नसीब नहीं हो पाएगा। इसके खिलाफ हमारा आंदोलन सतत रूप में जारी रहेगा। उन्होंने इस दिन के बंद को सफल बनाने के लिए हर किसी का आभार जताया।

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