फंड नहीं मिलने से भड़के प्रशासनिक बोर्ड के चेयरमैन

तनातनी - राज्य सरकार से श्वेत पत्र जारी करने की मांग - सिलीगुड़ी के साथ भेदभाव करने का लगाया आ

By JagranEdited By: Publish:Tue, 01 Dec 2020 07:11 PM (IST) Updated:Tue, 01 Dec 2020 07:11 PM (IST)
फंड नहीं मिलने से भड़के प्रशासनिक बोर्ड के चेयरमैन
फंड नहीं मिलने से भड़के प्रशासनिक बोर्ड के चेयरमैन

तनातनी

- राज्य सरकार से श्वेत पत्र जारी करने की मांग

- सिलीगुड़ी के साथ भेदभाव करने का लगाया आरोप 05

साल में धन के ब्यौरे की मांग

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वित्तीय वर्ष से धन बकाया

जागरण संवाददाता, सिलिगुड़ी: गाधी मूíत के उद्घाटन मंच से एक साथ बैठने वाले सिलीगुड़ी नगर निगम प्रशासनिक बोर्ड के चेयरमैन अशोक नारायण भट्टाचार्य ने राज्य सरकार पर सिलीगुड़ी के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है। मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए शहरी विकास मंत्री ने कहा था कि सिलीगुड़ी के साथ कोई भेदभाव नहीं हुआ है यह पूरी तरह गलत है। उनके इस बयान पर अशोक भट्टाचार्य ने राज्य सरकार से फंड देने के मामले में श्वेत पत्र जारी करने की मांग। सरकार यह बताए कि पिछले 5 वर्षो में उन्होंने बंगाल के सभी नगरपालिका और सिलीगुड़ी नगर निगम को कितनी राशि मुहैया कराई। उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्र सरकार के अमरुद प्रकल्प के तहत सरकार को 6000 करोड़ रूपए मिले जबकि सिलीगुड़ी को कुछ भी नहीं दिया गया है। सिलीगुड़ी कोलकाता के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण शहर है। शहरी विकास मंत्रालय को 600 करोड़ रुपए का तीन प्रकल्प जिसमें पेयजल, ड्रेन और जल निकासी के लिए डीपीआर बनाकर भेजा गया था। इन वर्षो में इन तीनों प्रोजेक्ट में एक भी प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं दी गई है। अशोक भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत कोई भी धनराशि नगर निगम सिलीगुड़ी को नहीं दी गई है। अभी हाल ही में कचरा निस्तारण के लिए 18 करोड़ का एक प्रकल्प मंजूर किया है। जिसे कोलकाता केएमडी के द्वारा किया जाएगा। उन्होंने नगर निगम के विपक्ष द्वारा बार-बार आरोप लगाए जाने पर कहा कि वे सरकार से कहकर श्वेत पत्र जारी कराएं। मेरे द्वारा भी 5 साल के कामकाज का श्वेत पत्र जारी किया जाएगा। इससे जनता के बीच दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अभी भी राज्य सरकार से 3 वित्तीय वर्ष का पैसा नहीं मिला है। अगर राज्य सरकार चाहती है कि फंड नहीं देकर विपक्ष के बोर्ड को हरा पाएगी तो यह उनकी भूल है। प्रशासनिक बोर्ड के चेयरमैन के रूप में बिना फंड के वह कैसे काम कर पाएंगे यह सरकार को सोचना है।

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