जब तक भारतीय समाज नहीं बदलेगा, तब तक प्रेमचंद प्रासंगिक रहेंगे

प्रेमचंद जयंती पर विचार गोष्ठी आयोजित सिलीगुड़ी प्रेमचंद जयंती के अवसर पर हिंदी विभाग सिक्किम वि

By JagranEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 08:34 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 08:34 PM (IST)
जब तक भारतीय समाज नहीं बदलेगा, तब तक प्रेमचंद प्रासंगिक रहेंगे
जब तक भारतीय समाज नहीं बदलेगा, तब तक प्रेमचंद प्रासंगिक रहेंगे

प्रेमचंद जयंती पर विचार गोष्ठी आयोजित

सिलीगुड़ी: प्रेमचंद जयंती के अवसर पर हिंदी विभाग, सिक्किम विश्वविद्यालय और गगनाचल पत्रिका के संयुक्त तत्वावधान में विचार गोष्ठी सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई। हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. हरदीप सिंह द्वारा आयोजन की प्रस्तावना एवं स्वागत वक्तव्य से कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सिक्किम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अविनाश खरे ने प्रेमचंद की रचनाशीलता पर विस्तार से चर्चा करते हुए उसके महत्त्व एवं कुछ अनछुए पहलुओं पर गंभीर चर्चा की। प्रो. खरे ने कहा कि जब तक भारतीय समाज नहीं बदलेगा प्रेमचंद तब तक प्रासंगिक रहेंगे। कार्यक्रम की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि हमें प्रसन्नता है कि हिंदी विभाग निरंतर इस तरह के आयोजनों को लेकर सक्रिय है।

बीज वक्ता के रूप में मौजूद प्रो. कैलाश कौशल ने कहा कि प्रेमचंद हमारे समय के सबसे सचेत रचनाकार हैं, उनकी रचनाओं में मौजूद सामाजिकता ही उन्हें कालजयी बनाती है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल गगनाचल पत्रिका के संपादक डॉ. आशीष कंधवे ने प्रेमचंद के भारत बोध पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि प्रेमचंद की रचनाओं में भारतीय संस्कृति एवं परंपरा की विरासत मौजूद है, हमें उसे गंभीरता से समझने की जरूरत है।

कार्यक्रम की अगली कड़ी में विशिष्ट वक्ता के रूप में डॉ. सुवास ने कहा कि प्रेमचंद हमारे समय के सबसे विश्वसनीय लेखक हैं। उनकी रचनाएं हमारे समय और समाज की मुकम्मल दस्तावेज हैं। जर्मनी से जुड़े डॉ. रामप्रसाद भट्ट ने बताया कि प्रेमचंद की रचनाओं का अनुवाद एवं भाषायी पक्ष शोध की दृष्टि से आज भी अछूता है, इस दिशा में युवा पीढ़ी को कार्य करने की जरूरत है। डॉ. प्रदीप त्रिपाठी ने प्रेमचंद की प्रासंगिकता पर चर्चा करते हुए प्रेमचंद को एक जिम्मेदार एवं प्रतिबद्ध लेखक बताया। कार्यक्रम में तकनीकी रूप से सहयोग कर रहे पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. श्रीराम ने पुस्तकालय में प्रेमचंद से संबंधित सामग्रियों के विस्तार हेतु प्रतिबद्धता जाहिर की। कार्यक्रम में बतौर सान्निध्य श्री एस. बहादुर सुब्बा, डॉ. जयश्री, डॉ. धृति रॉय, डॉ. निधि सक्सेना, डॉ. सुजाता उपाध्याय एवं डॉ. वीर मयंक आदि की उपस्थिति महत्त्वपूर्ण रही। कार्यक्रम का कुशल संचालन हिंदी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. चुकी भूटिया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. दिनेश साहू द्वारा किया गया।

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