दीपावली पर सिर्फ दो घंटे पटाखे जलाने की मोहलत

- कोविड मरीजों को ध्यान में रखकर आया निर्देश - इंटरनेट मीडिया पर कुछ ने सराहा तो कुछ दि

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 07:49 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 07:49 PM (IST)
दीपावली पर सिर्फ दो घंटे पटाखे जलाने की मोहलत
दीपावली पर सिर्फ दो घंटे पटाखे जलाने की मोहलत

- कोविड मरीजों को ध्यान में रखकर आया निर्देश

- इंटरनेट मीडिया पर कुछ ने सराहा तो कुछ दिखे नाराज

-सभी प्रकार के पटाखों की खरीब-बिक्री पर रोक

-पर्यावरण अनुकूल पटाखे जलाने की ही मिली है अनुमति

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी: पश्चिम बंगाल में ग्रीन क्रैकर को छोड़कर सभी तरह से पटाखों के बेचने व बजाने पर रोक लगा दी गयी है। वेस्ट बंगाल पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से इस बारे में एक निर्देशिका जारी करते हुए कहा गया है कि दीपावली और छठ पूजा के दौरान आतिशबाजी से फैलने वाले प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने का काम किया गया है। इसी के साथ पश्चिम बंगाल में सभी तरह के पटाखों की खरीद व बिक्री पर रोक लगा दी गयी है, हालाकि ग्रीन क्रैकर्स के इस्तेमाल की अनुमति दी गयी है। ऐसे में पश्चिम बंगाल में सिर्फ ग्रीन क्रैकर ही बिकेंगे। वहीं दीपावली के दिन रात 8 बजे से 10 बजे तक और छठ पूजा पर सुबह 6 बजे से 8 बजे तक केवल ग्रीन पटाखों को फोड़ने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा क्रिसमस और नए साल की पूर्व रात को लगभग 35 मिनट तक ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति है। बता दे कि एक दिन पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी लोगों से दीपावली के दिन पटाखे कम फोड़ने की अपील की थी और प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए कम से कम आतिशबाजी का सुझाव दिया था। निर्देश में कहा गया है कि कोविड के चलते काफी लोग बीमार है। कई लोग कोविड के बाद गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। ऐसे में पटाखों से उन्हें दिक्कत हो सकती है। निर्देशिका वेस्ट बंगाल पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सचिव की ओर से जारी किया गया है। बताते चलें कि गत कुछ वषरें में जिस तरह से प्रदूषण के चलते पर्यावरण को नुकसान पहुंचा है उसको लेकर इस तरह के फैसले आना स्वभाविक था, क्योंकि प्रदूषण बढ़ने से कई तरह की समस्याएं बढ़ती है। खासतौर से दीपावली के समय अधिक आवाज वाले पटाखे के जलाने से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं जानवरों को भी इससे बेहद तकलीफ होती है। हजारों की संख्या में पक्षियों की मौत भयानक आवाज वाले पटाखों के शोर से हो जाती है। ऐसे में कहीं ना कहीं पटाखे पर्यावरण के लिए खतरा बनते हैं। वहीं एनजीटी के इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया के जरिये तरह - तरह की प्रतिक्रिया आ रही है। कुछ लोग इसे जायज ठहरा रहे हैं तो कुछ इसे एकतरफा फैसला बता रहे हैं। लेकिन पर्यावरण प्रेमी इस फैसले को जायज ठहरा रहे हैं। नेचर एंड एडवेंचर फाउंडेशन के प्रमुख अनिमेश बोस ने इसे सही बताया है। उन्होंने कहा कि तेज आवाज वाले पटाखे न फोड़े जाये तो अच्छा है। यह जीव , जन्तु व पर्यावरण के लिए सही नहीं है।

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