Amartya Sen: विश्वभारती की जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों की सूची में अमर्त्य सेन का भी नाम

Amartya Sen विश्वभारती विश्वविद्यालय प्रबंधन ने बंगाल सरकार एक पत्र और विश्वविद्यालय के कई भूखंडों पर अवैध रूप से कब्जा करने वालों की सूची भेजी है। उस सूची में नोबेल विजेता अमर्त्य सेन का भी नाम शामिल है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Thu, 24 Dec 2020 08:13 PM (IST) Updated:Thu, 24 Dec 2020 08:13 PM (IST)
Amartya Sen: विश्वभारती की जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों की सूची में अमर्त्य सेन का भी नाम
विश्वभारती की जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों की सूची में अमर्त्य सेन का भी नाम शामिल। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। Amartya Sen: कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर के सपनों के शांतिनिकेतन स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय प्रबंधन ने बंगाल सरकार एक पत्र और विश्वविद्यालय के कई भूखंडों पर अवैध रूप से कब्जा करने वालों की सूची भेजी है। उस सूची में नोबेल विजेता अमर्त्य सेन का भी नाम शामिल है। विवि प्रबंधन लिखा है कि कई निजी लोगों ने गलत तरीके से जमीन पर कब्जा किए हुए है। कुछ ने तो जमीन भी बेच दी है। गर्ल्स हॉस्टल, अकादमिक विभाग, कार्यालय यहां तक कि कुलपति के आधिकारिक बंगले को भी गलत दर्ज किए गए भूखंडों की सूची शामिल किया गया है। प्रबंधन का आरोप है कि राज्य सरकार के रिकार्ड में गलत स्वामित्व दर्ज करने की वजह से विश्वविद्यालय की भूमि को अवैध रूप से हस्तांतरित कर दिया गया है और निजी लोगों ने रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा खरीदी गई भूमि पर रेस्तरां, स्कूल और अन्य व्यवसाय खोल लिए हैं।

कुलपति हमलोगों को हटाने की बेवजह सपना देख रहे हैंः अमर्त्य सेन

अमर्त्य सेन की जमीन को लेकर विश्वभारती प्रबंधन ने कहा है कि विश्वविद्यालय सेन के दिवंगत पिता को कानूनी तौर पर पट्टे पर 125 डिसमिल जमीन पट्टे पर दी थी। उन्होंने इस जमीन के साथ-साथ और 13 डिसमिल जमीन पर अवैध रूप कब्जा कर रखा है। इस पर अमर्त्य सेन का कहना है कि विश्वभारती के कुलपति बिद्युत चक्रवर्ती कैंपस में पट्टे की भूमि पर अनधिकृत कब्जे को हटाने की व्यवस्था करने में व्यस्त हैं। मेरा नाम भी उनकी सूची में है। विश्व भारती भूमि पर हमारा घर है। हमारे पास लंबी अवधि का पट्टा है। कुलपति हम लोगों को हटाने का बेवजह सपना देख रहे हैं। शांतिनिकेतन में जन्म लेने और यहां पले-बढ़े होने के कारण मैं यह कह सकता हूं कि शांतिनिकेतन की संस्कृति और कुलपति के बीच बड़े अंतर हैं। वीसी दिल्ली में केंद्र सरकार की ओर से नियुक्त किए गए हैं वह पूरे बंगाल को नियंत्रित करना चाहते हैं।

विश्वभारती के ममु गलत रिकॉर्ड 1980 और 1990 के दशक में तैयार किए गए थे। इन भूखंडों में से अधिकांश शांतिनिकेतन के पूर्वपल्ली इलाके में हैं, जो कि आश्रम में रहने वालों के आवासीय हब के रूप में जाना जाता है। विश्व-भारती के कार्यालयों के दस्तावेज और सीएजी की उक्त रिपोर्ट शिक्षा मंत्रालय को भेजी गई है जिसमें विश्वविद्यालय की भूमि के अतिक्रमण को 1990 के दशक के अंत में होना बताया गया है। सेन ने 2006 में 99 साल की लीज-होल्ड भूमि को अपने नाम पर ट्रांसफर करने के लिए तत्कालीन कुलपति को लिखा था। कार्यकारी परिषद के फैसले के बाद यह हो गया, लेकिन अतिरिक्त भूमि विश्वविद्यालय को सेन ने वापस नहीं की।

77 भूखंडों के स्वामित्व के रिकॉर्ड का है मामला

जुलाई 2020 में विश्वभारती के संपत्तियों का लेखाजोखा रखने वाले दफ्तर ने विभिन्न कार्यालयों को जारी एक गोपनीय आंतरिक रिपोर्ट में कहा कि विश्वविद्यालय ने 77 भूखंडों के स्वामित्व के रिकॉर्ड में सुधार का मामला उठाया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पुर्वपल्ली, दक्षिणपल्ली, श्रीपल्ली क्षेत्रों के पट्टे वाले भूखंडों से अनधिकृत कब्जे हटाए जाने हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये बहुत ही हाई प्रोफाइल लोग हैं। वहीं, वीसी बिद्युत चक्रवर्ती ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया। हालांकि, संपत्ति कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर और बाद में उनके बेटे रतिंद्रनाथ को आइसीएस अधिकारियों, शिक्षाविदों और शाही परिवार के सदस्यों जैसे प्रतिष्ठित लोगों को शांति निकेतन में निवास करने का आश्वासन मिला, इस आश्वासन के साथ कि उन्हें घर बनाने के लिए जमीन दी जाएगी।

99 साल की लीज के बदले में, उनमें से कुछ ने विश्व-भारती के विकास कोष में धन का योगदान दिया। हालांकि, मूल पट्टेदारों में से कई ने टैगोर और उनके बेटे के निधन के बाद अपने भूखंडों को अवैध रूप से ट्रांसफर करवा लिया। वर्तमान में अधिकांश वारिस गैर-निवासी शांतिनिकेतन हैं, जो परिसर में प्रमुख भूमि के बड़े हिस्से पर कब्जा किए हुए हैं। कई व्यवसाय कर रहे हैं। ये लोग इन जमीनों को विश्वविद्यालय परिसर के तौर पर नहीं देखते हैं। विश्वभारती के एक अधिकारी ने हालांकि कहा कि सेन अच्छी तरह से जानते हैं कि उनके पास विश्वविद्यालय की भूमि का बड़ा हिस्सा अनाधिकृत तौर पर है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके परिवार ने परिसर के आसपास के क्षेत्र में भूखंडों को बेचकर बड़ा लाभ कमाया है। इन हिरण पार्क और श्रीपल्ली क्षेत्रों में जाने के लिए परिसर के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है।

दुष्प्रचार और साजिश की जा रहीः ममता

अमर्त्य सेन विश्वभारती की भूमि पर कब्जा करने के लिए क्यों जाएंगे? वास्तव में वह वैचारिक रूप से भाजपा विरोधी हैं। इसीलिए उनके खिलाफ दुष्प्रचार और साजिश की जा रही है। परंतु, यह ध्यान रहे कि अमर्त्य सेन का अपमान करना बंगाल का अपमान है। उनके जैसे विश्व प्रसिद्ध व्यक्ति के लिए इसत रही साजिश निंदनीय है।

-ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, बंगाल।

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