विरासत की सियासत पर विधान ने लगाई हैट्रिक

आसनसोल अपने बुजुर्गों की विरासत संभाल रहे विधान उपाध्याय ने इस बार बाराबनी विधानसभा क्षेत्र से

By JagranEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 12:31 AM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 12:31 AM (IST)
विरासत की सियासत पर विधान ने लगाई हैट्रिक
विरासत की सियासत पर विधान ने लगाई हैट्रिक

आसनसोल : अपने बुजुर्गों की विरासत संभाल रहे विधान उपाध्याय ने इस बार बाराबनी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीत कर हैट्रिक लगाई है। इस बार तृकां से चुनाव लड़े विधान उपाध्याय और भाजपा के अरिजीत राय के बीच मुकाबला था। जिसमें विधान को 88,430 मत मिले और अरिजीत को 64973 मत। 23,457 मतों से विधान ने जीत हासिल की। विधान उपाध्याय पश्चिम ब‌र्द्धमान जिले में सबसे अधिक मत से जीतने वाले प्रत्याशी हैं। विधान उपाध्याय अपने चचेरे बाबा मिहिर उपाध्याय और पिता मानिक उपाध्याय से विरासत में मिली इस सीट पर सियासत कर उसे आगे बढ़ा रहे हैं। विधान के चचेरे बाबा मिहिर उपाध्याय कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं। उनके पिता मानिक उपाध्याय भी एक बार कांग्रेस और एक बार तृकां से विधायक रह चुके हैं। अपने बुजुर्गों से विरासत में मिली राजनीति पर बाराबनी में वह लगातार तीन बार जीत दर्ज कर अपना लोहा मनवा चुके हैं। क्षेत्र के लोग उनके मिलनसार और मृदुभाषी स्वभाव के कायल है। सालानपुर इलाका पहले कांग्रेस का गढ़ था। लेकिन यहां की राजनीति बदली और कांग्रेस के लोग पाला बदलकर तृकां के साथ हो गए। इस विधानसभा से 1967 में कांग्रेस के मिहिर उपाध्याय विजयी हुए। लेकिन 1969 में वह चुनाव हार गए। इसके बाद 1987 में कांग्रेस आई से मानिक उपाध्याय चुनाव में खड़े हुए, लेकिन वह चुनाव हार गए। 1991 में मानिक उपाध्याय फिर खड़े हुए लेकिन चुनाव हार गए। 1996 में कांग्रेस से मानिक उपाध्याय फिर खड़े हुए और विजय हासिल की। 2001 में मानिक उपाध्याय कांग्रेस को छोड़कर तृकां के टिकट पर खड़े हुए और विजयी हुए। 2006 में तृकां से मानिक उपाध्याय फिर खड़े हुए, लेकिन माकपा से चुनाव हार गए। इसके बाद मानिक उपाध्याय की मौत के पश्चात बाराबनी विधानसभा सीट से तृकां ने उनके पुत्र विधान उपाध्याय को इस सीट से मैदान में उतारा। 2011, 2016,2021 में अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए विधान ने जीत हासिल की।

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