हरेराम ने लालदुर्ग जामुड़िया पर कब्जा कर रचा इतिहास

संवादसूत्र जामुड़िया पश्चिम ब‌र्द्धमान जिले की जामुड़िया विधानसभा सीट पर तृणमूल प्रत्याशी हरेर

By JagranEdited By: Publish:Mon, 03 May 2021 12:35 AM (IST) Updated:Mon, 03 May 2021 12:35 AM (IST)
हरेराम ने लालदुर्ग जामुड़िया पर कब्जा कर रचा इतिहास
हरेराम ने लालदुर्ग जामुड़िया पर कब्जा कर रचा इतिहास

संवादसूत्र, जामुड़िया : पश्चिम ब‌र्द्धमान जिले की जामुड़िया विधानसभा सीट पर तृणमूल प्रत्याशी हरेराम सिंह ने 44 वर्षो से माकपा के लालदुर्ग पर कब्जा कर इतिहास रच दिया। 2011 के परिवर्तन की लहर में भी इस सीट पर तृकां जीत हासिल नहीं कर पाई थी। जामुड़िया में टीएमसी से हरेराम सिंह, भाजपा से तापस राय एवं संयुक्त मोर्चा से माकपा की आइशी घोष मैदान में थी। यहां संयुक्त मोर्चा को 20407 वोट, भाजपा को 51764 वोट, तृकां को 59533 वोट मिले। यहां हरेराम सिंह के जीतने की खबर से टीएमसी नेता एवं कर्मियों में खुशी की लहर दौर गई और हरे अबीर से होली खेलते हुए खुशियां मनाईं।

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1977 से माकपा के कब्जे में थी सीट

तृणमूल कांग्रेस को पिछले दो विधानसभा चुनावों में जामुड़िया से हार नसीब हुई है। सन 1977 से यहां माकपा लगातार जीत हासिल करती आई थी। तृणमूल कांग्रेस ने जामुड़िया सीट पर कब्जा करने के लिए हिदी भाषी नेता हरे राम सिंह को उतारा था। शुरुआती दौर में लोग हरेराम सिंह को एक कमजोर उम्मीदवार समझ रहे थे। बांग्ला भाषा में बेहतर पकड़ न होने के कारण लोग हरेराम सिंह की जीत को लेकर आशांवित नहीं थे। जामुड़िया बांग्ला भाषी बहुल क्षेत्र है, इसी कारण भाजपा एवं संयुक्त मोर्चा ने बांग्ला भाषी को प्रत्याशी बनाया था। परंतु हरेराम सिंह ने चुनाव प्रचार के दौरान जिस मेहनत एवं निष्ठा के साथ परिश्रम किया, उसका फल उनको जीत के साथ मिला। हरेराम सिंह टीएमसी से संबंधित कोयला खदान श्रमिक कांग्रेस (केकेएससी) के महासचिव के साथ-साथ तृणमूल के एक पुराने कार्यकर्ता थे।

............... कार्यकर्ताओं ने मनाई खुशियां

हरेराम सिंह के जीत की खबर मिलते ही जामुड़िया विधानसभा क्षेत्र में तृणमूल नेताओं, कर्मियों एवं समर्थकों को बीच उत्साह का माहौल होना स्वाभाविक था। हरेराम सिंह की जीत सुनिश्चित होने के साथ ही समर्थकों ने खुशियां मनाई। ढोल नगाड़ों के साथ हरे रंग के गुलाल से होली खेली गई। समर्थकों ने खुशियां मनाते हुए लोगों को मिठाई खिलाई। आइशी को जेएनयू विवाद का भुगतना पड़ा परिणाम

जामुड़िया विधानसभा में पिछले 44 वर्षों से लगातार माकपा का शासन रहा है। इस बार के चुनाव में संयुक्त मोर्चा (कांग्रेस और सीपीएम) ने मिलकर चुनाव लड़ा था। माकपा ने प्रत्याशी के रूप में जेएनयू की पूर्व छात्र अध्यक्ष आइशी घोष को मैदान में उतारा था। आइशी घोष अपनी तेज तर्रार छवि के लिए विख्यात है। वह जेएनयू विवाद के लिए चर्चाओं में बनी रही है।

जनता ने प्रगति के नाम पर दिया वोट : हरेराम सिंह

जीत के बाद हरेराम सिंह ने कहा जनता ने टीएमसी को विकास कार्यों के आधार पर विजय दिलाई है। उनकी जीत ने यह स्पष्ट कर दिया कि राज्य की जनता को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर पूरा भरोसा है। टीएमसी के तीसरे शासनकाल में राज्य में और भी ज्यादा विकास होगा। जामुड़िया की जनता ने तृणमूल को विजय दिलाकर यह स्पष्ट कर दिया कि माकपा शासनकाल में जामुड़िया के लोगों के संग विश्वासघात हुआ है।

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