भाजपा नेताओं के अहंकार के कारण मिली हार
संवाद सहयोगी सांकतोड़िया रघुनाथपुर विधानसभा क्षेत्र के सांतुड़ी प्रखंड में भाजपा का संगठ
संवाद सहयोगी, सांकतोड़िया : रघुनाथपुर विधानसभा क्षेत्र के सांतुड़ी प्रखंड में भाजपा का संगठन मजबूत रहते हुए भी इस बार विधानसभा चुनाव में तृणमूल को भारी बढ़त मिली है। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस प्रखंड से भाजपा को करीब 6500 वोटों की बढ़त मिली थी। वहीं इस बार विधानसभा में तृणमूल को 4,081 मतों से बढ़त मिली है। वोट कम हो जाने से भाजपा नेता चितित है। मतों में आई गिरावट के कारणों का पता लगाने के लिए भाजपा ब्लॉक नेतृत्व ने आत्ममंथन शुरू कर दिया है।
रघुनाथपुर विधानसभा में सांतुड़ी, नितुरिया, रघुनाथपुर ब्लॉक नंबर 1 और रघुनाथपुर नगर पालिका आता हैं। विधानसभा के सभी प्रखंडों में भाजपा का संगठन हैं, इनमें सांतुड़ी का संगठन मजबूत बताया जाता है। विधानसभा की 20 में से सात पंचायतों में भाजपा काबिज है। इनमें सांतुड़ी की छह में चार पंचायत पर भाजपा का कब्जा हैं। पंचायत समिति के 13 सदस्यों में से 5 सदस्य भाजपा के हैं। राजनैतिक गलियारे में यह चर्चा है कि एक मजबूत संगठन होने के बावजूद ब्लॉक में भाजपा नेताओं के अहंकार ने ही पार्टी को पतन के कगार पर धकेला है।
बांकुड़ा के सांसद डॉ सुभाष सरकार को लोकसभा चुनाव में भारी बढ़त मिली थी। लेकिन दो साल में ही ऐसा क्या हो गया कि लोगों का भाजपा से मोहभंग हो गया।
इस बार रघुनाथपुर विधानसभा चुनाव में भाजपा को रघुनाथपुर 1 नंबर ब्लॉक में 6423 वोट, रघुनाथपुर शहर में 2420 वोट और नितुरिया ब्लॉक में 551 वोट से बढ़त मिली है। तृणमूल एक मात्र सांतुड़ी से 4071 मतों से बढ़त हासिल कर पाई है।
बताया जाता है कि लोकसभा चुनाव में बढ़त हासिल करने के बाद भाजपा नेताओं ने यह मान लिया था कि वे आसानी से विधानसभा चुनाव जीत जाएंगे। भाजपा नेता धीरे-धीरे संगठन और पद के अहम में लोगों से दूर होते चले गए, यही पार्टी के पतन का कारण बना। उम्मीदवारों की घोषणा के बाद भाजपा नेता नजर नहीं आए। जिसका नतीजा यह हुआ कि निचले स्तर के कई भाजपा कार्यकर्ता चुनाव के पहले ही घर में बैठ गए।
सांतुड़ी मंडल भाजपा के अध्यक्ष अरूप आचार्य ने कहा कि चुनाव के नतीजे ऐसे होंगे सचमुच पता नहीं था। इसके कारणों की जांच की जा रही है। सांतुड़ी प्रखंड तृणमूल अध्यक्ष रामप्रसाद चक्रवर्ती ने कहा कि भाजपा ने लोकसभा में धांधली कर वोट लिया था। लोग समझ गए हैं कि कौन भाषण देता है और कौन राशन देता है। इसलिए भाषण बाज भाजपा को लोगों ने किनारे कर दिया है।