मासूम निकल पड़े सब्जी बेचने

जागरण संवाददाता बर्नपुर अंकल अभी स्कूल बंद है दादाजी नहीं आए तो खुद निकल पड़े सब्जी बेचने।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 11:19 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 11:19 PM (IST)
मासूम निकल पड़े सब्जी बेचने
मासूम निकल पड़े सब्जी बेचने

जागरण संवाददाता, बर्नपुर : अंकल अभी स्कूल बंद है, दादाजी नहीं आए तो खुद निकल पड़े सब्जी बेचने। दो मासूम की जुबान से निकली यह बात रोंगटे खड़े करने वाले थे। पेट की भूख मिटाने के लिए रुपये की जरूरत ने इन नन्हीं जान को ठेला लेकर गलियों में घूम-घूम कर सब्जी बेचने को मजबूर कर दिया। ये दोनों बच्चे आपस में चचेरे भाई बहन हैं। दोनों के पिता दिहाड़ी मजदूरी करते हैं। इनके दादाजी रोज गलियों में घूम-घूमकर सब्जी बेचते थे। तीन दिन से उनकी तबीयत गड़बड़ है तो यह बच्चे ही दादा जी ननकू कालिदी के बदले सब्जी बेचने निकल पड़े। गरीब के घर तीन दिन अगर कमाई न हो तो उनका चूल्हा ठंडा पड़ जाता है। दादाजी की कमाई से उनके घर का राशन चलता है। अगर यह कमाई नहीं आएगी तो घर का राशन बंद हो जाएगा। इन बच्चों का घर बर्नपुर के लालमिटिया के स्लम इलाके में है। पड़ोसी राज्य के रहने वाला है इनका परिवार, लेकिन पिछले 25 साल से इनका परिवार बर्नपुर में ही झोपड़ी में रह कर समय बिता रहा है। इसका एक मात्र कारण है रोजगार, दिहाड़ी मजदूरी कर इनके दो जून की रोटी का जुगाड़ होता है।

नहीं मिलती सरकारी सुविधा : वर्षों से बर्नपुर के लालमिटिया में बसे इन परिवार के भरण पोषण का एक मात्र जरिया मजदूरी है। इन्हें सरकारी राशन भी नहीं मिलता। लाकडाउन में तो इनके समक्ष भुखमरी की स्थित उत्पन्न हो गई थी, किसी तरह परिवार की जान बचा सके। सबसे बड़ी बात है कि भले ही ये रहने वाले हो पड़ोसी राज्य के लेकिन वर्षों से ये बंगाल के मतदाता हैं। इनके एक-एक वोट से यहां के नेताओं की तकदीर बनती है। लेकिन इनकी जरूरतों पर कभी किसी की नजर नहीं पड़ी। अगर नजर पड़ती तो आज इन बच्चों को दिहाड़ी करने वाले दादाजी की जगह नहीं लेनी पड़ती।

दोनों शांतिनगर विद्यामंदिर के विद्यार्थी हैं : इन बच्चों से पूछने पर बताया कि ये दोनों पास के शांतिनगर विद्यामंदिर में पढ़ते हैं। लेकिन कोरोनाकाल से स्कूल बंद है, आज तक नहीं खोला गया है जिस कारण इनकी पढ़ाई ठप है। इन्हें मोबाइल की सुविधा भी नहीं जो आनलाइन क्लास कर पढ़ सकें। विजय कक्षा 5 और उसकी चचेरी बहन नूपुर कक्षा 2 में पढ़ते हैं।

न शिकवा किसी से न शिकायत : इन बच्चों के परिवार वालों को व्यवस्था से किसी प्रकार का शिकवा है न ही कोई शिकायत। दोनों कहते भी हैं कि सरकार से क्या चाहिए कुछ नहीं कुछ समझते भी नहीं, बस कमा कर ले जाएंगे और घर वालों की हाथ मजबूत करेंगे। उनका बोझ कम हो जाएगा।

chat bot
आपका साथी