सीमांत जनपद में आत्‍मनिर्भता की ओर बढ़ती आधी आबादी

पहाड़ों में चौका-चूल्हा से लेकर खेती किसानी और मवेशियों की देखभाल की पूरी जिम्मेदारी महिलाओं के सिर होती है। महिलाओं को आर्थिक रूप मजबूत बनाने के लिए सरकार ने गैरसैण के बजट सत्र में भूमिधरी अधिकार वाले पुरुषों की पत्नियों को भूमि में अंशधारक बनाने का संशोधन विधेयक लाया है।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 06:41 PM (IST) Updated:Thu, 04 Mar 2021 11:04 PM (IST)
सीमांत जनपद में आत्‍मनिर्भता की ओर बढ़ती आधी आबादी
सीमांत जनपद उत्तरकाशी में कई महिलाएं अपनी मेहनत के बूते स्वरोजगार और आत्मनिर्भर की नजीर बनी हैं।

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी : पहाड़ों में चौका-चूल्हा से लेकर खेती किसानी और मवेशियों की देखभाल की पूरी जिम्मेदारी महिलाओं के सिर होती है। इसके बावजूद भी पहाड़ों की महिलाएं स्वयं आर्थिक रूप से सशक्त नहीं हैं। इन्हीं महिलाओं को आर्थिक रूप मजबूत बनाने के लिए राज्य सरकार ने गैरसैण के बजट सत्र में भूमिधरी अधिकार वाले पुरुषों की पत्नियों को भूमि में अंशधारक बनाने का संशोधन विधेयक लाया है। जिससे पहाड़ की महिलाएं सबल बन सके। लेकिन, सीमांत जनपद उत्तरकाशी में कई महिलाएं अपनी मेहनत के बूते स्वरोजगार और आत्मनिर्भर की नजीर बनी हैं। खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने भी इन महिलाओं की तस्वीर अपने फेसबुक व ट्विटर एकाउंट पर पोस्ट की है। जनपद में स्वरोजगार की ओर बढ़ती इन महिलाओं की कड़ी निरंतर जुड़ती जा रही है। 

चिन्यालीसौड़ के तुल्याड़ा मल्ली गांव की सरिता रमोला, रीना रमोला, शशि रमोला, निर्मला रमोला और अंजू रमोला ने वर्ष 2019 में 15 दिन का एलईडी, सोलर लाइट, लड़ी, फोकस लाइट बनाने का प्रशिक्षण लिया। गांव लौटने पर इन पांचों महिलाओं ने अपर्णा स्वयं सहायता समूह का गठन किया। जिसके बाद इन महिलाओं ने अपने गांव तुल्याड़ा मल्ली में खेतीबाड़ी के कार्य के साथ एलईडी बल्ब बनाने का कार्य करते रहे। उत्तरकाशी जिले के सभी विभागों में एलईडी बल्ब के लिए संपर्क किया।

विभिन्न विभागों में पांच सौ से अधिक तैयार किए हुए बल्ब दिए। इन महिलाओं की कार्य क्षमता और कार्य कुशलता देखते हुए जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने चिन्यालीसौड़ के आर्च ब्रिज पर लाइटिंग करने का कार्य इन महिलाओं को सौंपा। गत 15 जनवरी 2021 से पुल की लाइटिंग का कार्य शुरू किया। लाइटिंग के लिए दिल्ली से कच्चा माल मंगवाया। एलईडी लडिय़ां बनाने के कार्य में गांव की 15 महिलाओं को भी जोड़ा। पांच लडिय़ां और 54 फोकस लाइट तैयार करने के बाद पुल लाइटिंग करवायी। आज यह पुल तिरंगी रोशनी में जगमगा रहा है। जो भी यह जानता है कि इस पुल पर लाइटिंग का कार्य स्थानीय महिलाओं ने किया वह आश्चर्य चकित हो जाता है। अपर्णा स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष रीना रमोला कहती हैं कि अपने चौका-चूल्हा के कार्य के साथ घर बैठे इस वित्तीय वर्ष में साढ़े चार लाख रुपये कारोबार किया है। जिसमें उन्होंने 95 हजार रुपये का मुनाफा कमाया है। 

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स्वरोजगार के जरिये स्वावलंबी बनने वाली ये महिलाएं अकेले नहीं हैं। उत्तरकाशी के नेताला गांव में 40 महिलाएं नमदा क्राफ्ट की बारीकियां सीख रही हैं। इन महिलाओं का तीन माह का प्रशिक्षण 8 मार्च को महिला दिवस पर समाप्त होगा। लेकिन, प्रशिक्षण में ये महिलाएं एक कुशल कामगार की तरह भेड़ की ऊन से बेहतरीन आसन, चटाई, दन तैयार करने लगी है।

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने जब इन महिलाओं की कार्य कुशलता को देखा तो उन्होंने भी इन महिलाओं का उत्साह बढ़ाया। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए ऊन आधारित पारंपरिक नमदा हस्तशिल्प को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए जल्द ही उत्तरकाशी में एक ग्रोथ सेंटर का निर्माण किया जाएगा। ताकि जनपद की अधिक से अधिक महिलाएं रोजगार से जुड़ सकें। महिलाओं को आश्वस्त किया गया कि हस्तशिल्प उत्पाद को देश- विदेश में विशिष्ट पहचान दिलाने एवं इसकी मार्केटिंग व बिक्री की व्यवस्था ग्रोथ सेंटर के माध्यम से सुनिश्चित की जाएगी। 

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