Water Conservation: उत्‍तरकाशी के मठ पंचायत ने छेड़ी बूंद-बूंद सहेजने को अनूठी मुहिम

तहसील मुख्यालय पुरोला से छह किमी दूर स्थित उत्तरकाशी जिले की मठ ग्राम पंचायत ने जल संरक्षण के क्षेत्र में मिसाल कायम की है। यह कार्य ग्राम पंचायत ने बीते वर्ष लॉकडाउन के दौरान किया। इसके सार्थक परिणाम इस वर्ष देखने को मिल रहे हैं।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 09:21 AM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 09:21 AM (IST)
Water Conservation: उत्‍तरकाशी के मठ पंचायत ने छेड़ी बूंद-बूंद सहेजने को अनूठी मुहिम
उत्‍तरकाशी के मठ गांव में बारिश के पानी को एकत्र कर जल संरक्षण के लिए बनाई खंती।

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी।  Water Conservation तहसील मुख्यालय पुरोला से छह किमी दूर स्थित उत्तरकाशी जिले की मठ ग्राम पंचायत ने जल संरक्षण के क्षेत्र में मिसाल कायम की है। यह कार्य ग्राम पंचायत ने बीते वर्ष लॉकडाउन के दौरान किया। इसके सार्थक परिणाम इस वर्ष देखने को मिल रहे हैं। इसके लिए ग्राम पंचायत को पंचायती राज दिवस पर दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 

जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 126 किमी दूर स्थित मठ ग्राम पंचायत सड़क से जुड़ी हुई है। 347 परिवारों वाली इस ग्राम पंचायत की आबादी 1200 से अधिक है। 31-वर्षीय अरविंद पंवार मठ के प्रधान हैं। अरविंद वर्ष 2014 में पहली बार प्रधान बने और ग्राम पंचायत को विकास की राह पर लाने में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद दोबारा प्रधान चुने जाने पर उन्होंने ग्राम पंचायत को एक नई पहचान दी। गत वर्ष लॉकडाउन के दौरान विभिन्न शहरों में होटल में नौकरी करने वाले 24 युवा गांव वापस लौटे तो अरविंद ने उन्हें भी रोजगार दिया। 

इन युवाओं ने प्रधान के निर्देश पर ग्राम पंचायत के डांडा तोक के जंगल में सौ रिचार्ज पिट बनाए। हर रिचार्ज पिट एक मीटर गहरा, एक मीटर चौड़ा और एक मीटर लंबा बनाया गया है। इसके साथ वर्षा जल संग्रहण को तीन-तीन मीटर लंबी दो हजार खंती (गड्ढे) बनी। साथ ही 12 चाल-खाल (छोटे-बड़े तालाब) और मवेशियों के लिए आठ चरी भी बनाई गई। यह कार्य छह लाख की लागत से मनरेगा के तहत किया गया। डांडा तोक के प्राकृतिक जलस्रोत से ग्राम पंचायत मठ में जलापूर्ति होती है। 

बीते वर्ष पुणे से लौटे नरेंद्र पंवार कहते हैं कि जल संरक्षण के कार्य में उन्हें बीते वर्ष रोजगार मिला और इस बार ग्राम पंचायत में पानी का संकट काफी हद तक दूर हुआ है। जो रिचार्ज पिट, खंती, चाल-खाल और चरी उन्होंने बनाई थी, उनमें बारिश का पानी एकत्र हो रहा है। ग्रामीण उर्मिला देवी कहती हैं कि ग्राम पंचायत से विशेष संघटक योजना (एससीपी) में उन्हें गाय पालने को 30 हजार रुपये मिले। मनरेगा में भी अच्छा रोजगार मिल रहा है। अब वह मैं दूध बेचकर परिवार का पालन-पोषण करने के साथ आर्थिकी भी मजबूत कर रही हैं। ग्रामीण जयदेव सिंह कहते हैं कि ग्राम पंचायत ने न केवल प्रवासियों को रोजगार दिया, बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को स्वरोजगार के लिए आर्थिक सहायता भी दी। वह स्वयं स्वरोजगार कर रहे हैं।

नशामुक्त ग्राम पंचायत है मठ 

ग्राम पंचायत मठ में पांच वर्ष पहले तक कई परिवार कच्ची शराब बनाते थे। प्रधान अरविंद कहते हैं कि अब ग्राम पंचायत का कोई भी परिवार शराब नहीं बनाता। महिलाओं की ओर से नशे के खिलाफ मुहिम ने ग्राम पंचायत को शराब से मुक्त करा दिया।

20 परिवार स्वरोजगार से जोड़े 

ग्राम पंचायत मठ में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को स्वरोजगार से जोड़ा गया है। स्पेशल कम्पोनेंट प्लान के तहत गांव के 20 परिवारों को गाय, भैंस, भेड़ और नगदी फसलों के उत्पादन के लिए सहायता दी गई। इससे ये परिवार अपनी आजीविका चला रहे हैं।

ग्राम पंचायत में सब साक्षर 

ग्राम पंचायत में तीन प्राथमिक विद्यालय, एक इंटर कालेज, आयुर्वेदिक अस्पताल, डाकघर सभी कुछ है। ग्राम पंचायत के मोल्टाड़ी और कुमारकोट राजस्व ग्राम हैं। मठ के सभी ग्रामीण साक्षर हैं। जिन्हें हस्ताक्षर करने नहीं आते थे, उन्हें गांव के युवाओं ने हस्ताक्षर करना सिखा दिया। 

अरविंद पंवार (प्रधान, ग्राम पंचायत मठ) का कहना है कि बीते वर्ष जल संरक्षण का जो कार्य हुआ, उसके सकारत्मक नतीजे ग्राम पंचायत में पेयजल आपूर्ति पर दिख रहे हैं। प्राकृतिक जलस्रोत रिचार्ज हुए हैं। आगे भी जल संरक्षण के लिए वृहद स्तर पर कार्य करने की योजना है। पुरस्कार की धनराशि से पौधरोपण और चाल-खाल का निर्माण कराया जाएगा।

मयूर दीक्षित (जिलाधिकारी उत्तरकाशी) का कहना है कि दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार से सम्मानित इस ग्राम पंचायत में प्रवासियों को रोजगार देने, ग्रामीणों को स्वरोजागर से जोड़ने, पर्यावरण संरक्षण के तहत पौधे रोपने, जल संरक्षण के लिए चाल-खाल, खंती व रिचार्ज पिट का निर्माण करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं। अन्य गांवों को भी इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।

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