स्वरोजगार अपनाकर स्वावलंबी बनी यह महिला, गांव की अन्‍य महिलाओं को भी दिया रोजगार; जानिए इनके बारे में

उत्‍तरकाशी की लता नौटियाल राह में कई बाधाएं सामने आई लेकिन दृढ़ निश्चय वाली लता के कदमों में सफलता खुद चली आई। कड़ी मेहनत और स्वरोजगार अपनाकर लता नौटियाल आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनकर गांव में दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बनी हैं।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 16 Mar 2021 10:51 AM (IST) Updated:Tue, 16 Mar 2021 05:16 PM (IST)
स्वरोजगार अपनाकर स्वावलंबी बनी यह महिला, गांव की अन्‍य महिलाओं को भी दिया रोजगार; जानिए इनके बारे में
उत्‍तरकाशी के नगर पंचायत नौगांव के वार्ड नंबर छह की लता नौटियाल।

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। दूर जंगलों से घास चारे का इंतजाम करने से लेकर घर का चौका-चूल्हा और खेत खलियान का काम का जिम्मा संभालने वाली पहाड़ की महिलाओं को किसी भी क्षेत्र में कमतर आंकना नासमझी होगी। बस पहाड़ की महिलाओं का सिर्फ मनोबल बढ़ाने की जरूरत है। इन्हें बुलंदियों को छूने से कोई भी नहीं रोक सकता। इन्हीं महिलाओं में शामिल है नगर पंचायत नौगांव के वार्ड नंबर छह की लता नौटियाल। बेशक लता नौटियाल राह में कई बाधाएं सामने आई, लेकिन दृढ़ निश्चय वाली लता के कदमों में सफलता खुद चली आई। कड़ी मेहनत और स्वरोजगार अपनाकर लता नौटियाल आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनकर गांव में दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बनी हैं।

लता नौटियाल रवांई घाटी के स्थानीय उत्पादों को देश के विभिन्न क्षेत्रों में पहचान दिलाने के साथ ही आमजन को उचित बाजार और बेहतर दाम देने के लिए काम कर रही है। लता नौटियाल को गत 10 मार्च को दिल्ली में स्वर्ण भारत परिवार व महिला सशक्तिकरण कल्याण बोर्ड की ओर से मोस्ट इंस्पायरिंग वूमेंस आफ इंडिया नारी शक्ति सम्मान-2021 से सम्मानित भी किया गया। लता को यह पुरस्कार समाज में महिलाओं के लिए किए गए महत्वपूर्ण कार्य और सकारात्मक बदलाव की दिशा में स्वरोजगार से जोड़ने लिए दिया गया।

लता नौटियाल ने बताया कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। उनके पति नरेश नौटियाल की भी कोई सरकारी नौकरी नहीं थी। 2009 में उनके पति ने सीमाद्वार देहरादून में रवाईं के उत्पादों को लेकर एक दुकान खोली, लेकिन वह भी सही ढंग से संचालित नहीं हुई। 2011 में पति के साथ उन्होंने विभिन्न गांवों में जाकर स्थानीय उत्पादों में पहाड़ी दाल, मंडूवा, झंगोरा, अचार, अखरोट आदि को बाजार भाव के मूल्य पर खरीदा और उन्हें देहरादून की दुकानों में बेचना शुरू किया। जिससे उनकी बाजार में अच्छी पहचान बनने लगी।

पहाड़ी उत्पादों को पहचान दिलाने के लिए उन्होंने स्टॉलों के माध्यम से देहरादून से लेकर अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला दिल्ली, मुंबई, उत्तरायणी मेला बरेली, गुजरात, इलाहाबाद समेत हिमाचल के विभिन्न जगहों पर स्टॉल लगाकर पहाड़ी उत्पादों को नई पहचान दिलाई। गांव में रूद्रेश्‍वर स्वंय सहायता का गठन किया। उसमें महिलाओं को जोड़ा। लता नौटियाल कहती हैं कि गांव में उन्होंने उत्पादों की पैकिंग करने, उनको तैयार करने आदि कार्य के लिए 15 महिलाओं को भी रोजगार दिया है। रवांई घाटी के 80 से अधिक उत्पाद उनके पास हर समय तैयार रहते हैं।

लता नौटियाल कहती हैं कि मंडूवा का आटा, झंगोरा, राजमा, रवाईं के लाल चावल, सिलवटे का नमक, बुरांश के जूस समेत दूसरे उत्पाद ग्राहकों को बेहद लुभाते हैं। वह कहती हैं कि दिल्ली में लगने वाले अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला-2019 में चार लाख रुपये के उत्पाद भी बिके हैं। वह कहती हैं कि कभी घर से भी निकलना बेहद मुश्किल था, लेकिन पति ने मनोबल बढ़ाया और प्रेरित किया। जिससे वे दोनों मिलकर आज लाखों रुपये का कारोबार कर रहे हैं। राजभवन देहरादून में लगे वसंतोत्सव में उन्होंने अपना स्टॉल लगाया। जहां से कई उत्पाद बिके हैं।

इन उत्पादों को बेच रही है लता नौटियाल

हर्षिल, मोरी व चकराता की राजमा, मिक्स राजमा, सिलबटे का पीसा नमक, हाथ से बनी बडिया (उड़द, नाल), उड़द, पुरोला का लाल चावल, गहथ, तोर, सूठै (लोबिया), झंगोरा, काले भट्ट, सोयाबीन, जखिया, हल्दी, धनिया, मिर्च पाउडर, अखरोट, तिल आदि विभिन्न उत्पादों के साथ विभिन्न प्रकार की दाले व बुरांश, माल्टा, पुदीना, खुमानी आदि का जूस आदि।

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