उत्तराखंड में दो ट्रांसजेंडर महिलाओं को मिली कानूनी पहचान, ठान लिया था दुनिया को बताकर रहेंगी सच्चाई

उत्तराखंड में पहली बार दो ट्रांसजेंडर महिलाओं को समाज कल्याण विभाग देहरादून की ओर से पहचान प्रमाण पत्र जारी किया गया है। ये पुरुष के रूप में पैदा हुई थीं और इनके नाम थे सुनील (उत्तरकाशी) और विक्रम थापा (देहरादून)।

By Edited By: Publish:Mon, 28 Jun 2021 03:01 AM (IST) Updated:Mon, 28 Jun 2021 12:40 PM (IST)
उत्तराखंड में दो ट्रांसजेंडर महिलाओं को मिली कानूनी पहचान, ठान लिया था दुनिया को बताकर रहेंगी सच्चाई
उत्तराखंड में दो ट्रांसजेंडर महिलाओं को मिली कानूनी पहचान।

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। उत्तराखंड में पहली बार दो ट्रांसजेंडर महिलाओं को समाज कल्याण विभाग देहरादून की ओर से पहचान प्रमाण पत्र जारी किया गया है। ये पुरुष के रूप में पैदा हुई थीं और इनके नाम थे सुनील (उत्तरकाशी) और विक्रम थापा (देहरादून)। दोनों ने ठान लिया था कि वो दुनिया को अपने ट्रांसजेंडर होने की सच्चाई बताकर ही रहेंगे। इसलिए उन्होंने दिल्ली में जेंडर रीअसाइनमेंट सर्जरी करवाई। लेकिन, कानूनी रूप से अलग पहचान मिल पाने का सपना उनके दृढ़ निश्चय से ही संभव हो पाया। अब इनकी पहचान अदिति शर्मा (सुनील) और काजल (विक्रम थापा) के रूप में है।

अदिति बताती हैं कि पुरुष के रूप में जन्म लेने के बावजूद धीरे-धीरे उनमें शारीरिक बदलाव होने लगे। तब एहसास हुआ कि दरअसल वो एक ट्रांसजेंडर महिला हैं। लेकिन, झूठी लोकलाज के इस राज को उसने ग्रेजुएशन करने के बाद तक छिपाकर रखा। इसी वजह से वो अपने अंदर एक टीस-सी महसूस करती थी। लगता था, जैसे वह बिल्कुल अकेली है। समाज की अपेक्षाएं पूरी करने के लिए वह एक नकली जिंदगी जी रही थी। बताया कि शारीरिक बदलाव होने के कारण समाज भी उसे अलग नजरिए से देखता था। जैसे वह इंसान न होकर एलियंस हो।

बकौल अदिति, 'आखिरकार इस सबसे खिन्न होकर मैंने इस सच्चाई को परिवार और दुनिया के सामने लाने का फैसला किया। परिवार और रिश्तेदारों ने स्वीकार नहीं किया तो मुझे परिवार छोड़कर देहरादून आना पड़ा। मैं नहीं चाहती थी कि मेरी वजह से माता-पिता को कोई तकलीफ झेलनी पड़े।' अदिति ने ग्रेजुएशन के साथ फैशन डिजाइन का कोर्स भी किया है और इसी से जुड़ा व्यवसाय चलाती हैं। जबकि, देहरादून की काजल अपने परिवार के साथ ही रह रही हैं।

नताशा का महत्वपूर्ण योगदान

ट्रांसजेंडर महिलाओं को पहचान पत्र दिलाने में चमोली निवासी पोस्ट ग्रेजुएट नताशा नेगी की अहम भूमिका रही है। नताशा कहती हैं कि उनका जन्म पुरुष के रूप में हुआ, लेकिन धीरे-धीर लगने लगा कि वो एक ट्रांसजेंडर महिला हैं। उन्हें कई परेशानियां झेलनी पड़ीं। वह 2016 से स्वयं को पहचान दिलाने के लिए प्रयास कर रही हैं। अदिति और काजल के साथ उन्होंने भी पहचान पत्र के लिए आवेदन किया था। लेकिन, कुछ कमियों के चलते उनका आवेदन निरस्त हो गया। बताया कि वो अब फिर से आवेदन कर रही हैं। इसके अलावा सात अन्य ट्रांसजेंडर महिलाओं ने भी आवेदन की प्रक्रिया के बारे जानकारी ली है, जबकि तीन ऐसी ट्रांसजेंडर महिलाएं भी हैं, जिन्होंने जेंडर रीअसाइनमेंट सर्जरी की है।

जिला समाज कल्याण अधिकारी हेमलता पांडेय ने बताया कि केंद्र ने ट्रांसजेंडर पर्संस एक्ट 2019 के तहत ट्रांसजेंडर को आइडी कार्ड जारी करने के उद्देश्य से विशेष पोर्टल बनाया है। उत्तराखंड में ट्रांसजेंडर महिलाओं की दो आइडी जारी की गई हैं। इस आइडी के जरिये ट्रांसजेंडर महिलाएं आधार कार्ड से लेकर सभी शैक्षिक व अन्य दस्तावेजों में अपना नाम बदल सकती हैं। रोजगार सहित सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकती हैं।

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