सरुताल में प्रकृति ने लुटाया सुंदरता का खजाना, सरकार ने फेरा मुंह
उत्तरकाशी जिले के सरुताल में कदम-कदम पर प्रकृति ने अपनी सुंदरता का खजाना लुटाया हुआ है। इसके बावजूद सरकार ने इसकी तरफ से आंखें मूंद रखी है।
उत्तरकाशी, [मनोज राणा]: सीमांत जिले में कदम-कदम पर प्रकृति ने अपनी सुंदरता का खजाना लुटाया है। यहां ताल, बुग्याल, झरना, कलकल बहती नदियां सैलानियों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेती हैं। जो जगह पर्यटन मानचित्र पर जगह बना चुकी हैं उन क्षेत्रों में सैलानियों की चहलकदमी बहुतायत होती है। इन क्षेत्रों में सैलानियों की चहलकदमी से स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिलता है। लेकिन जिले में आज भी कुछ ऐसे खूबसूरत क्षेत्र हैं, जो पर्यटन मानचित्र से दूर हैं। इन क्षेत्रों में सरुताल भी है, जो सरकार की एक नजर को तरस रहा है।
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 200 किमी दूर पुरोला ब्लॉक में सरबडियार क्षेत्र पड़ता है। इस ट्रैक पर जाने के लिए पर्यटकों को 200 किमी दूर सरनोल तक वाहनों के माध्यम से पहुंचना पड़ता है।
सरनोल से पर्यटकों को पांच किमी की पैदल दूरी तय कर डिंगाड़ी गांव पहुंचना होगा। यहां से करीब 45 किमी का यह पैदल लंबा ट्रेक शुरू होता है, जिसका पहला पड़ाव डिंगाड़ी से करीब 20 किमी दूर डोबलुकाधार हैं। यहां पर्यटक गांव वालों की छानियों में रहकर रात्रि विश्राम करेंगे।
इसके बाद यहां से अगले दिन वह 25 किमी दूरी तय कर सरुताल पहुंचेंगे। स्थानीय ग्रामीण तो इस दूरी को एक दिन में ही पूरी कर लेते हैं। यहां पर्यटकों को विभिन्न प्रजातियों के फूल, औषधीय पादप, ब्रह्मकमल, लेसर, लेणुभटु, जियाणु, पुसटारा, झरने, चोटियां, बुग्याल के हरे मैदान आकर्षित करेंगे। सामाजिक कार्यकर्ता कैलास सिंह रावत ने बताया कि सरुताल एक सौ मीटर के दायरे में फैला हुआ है। इस ताल का प्राकृतिक पानी सर गांव में आता है।
मान्यता है कि कभी किसी चरवाहे की इस ताल में बांसुरी गिर गई थी, जो बांसुरी ग्रामीणों को सर गांव के प्राकृतिक स्त्रोत से बाहर निकलते दिखी। इस ताल में ग्रामीणों को नागदेवता के दर्शन होते हैं। उन्होंने बताया कि ट्रेकरों के लिए यह लंबा ट्रेक बहुत ही रोमांचक होगा। यदि पर्यटन मानचित्र पर इस जगह को स्थान मिला तो यहां पर्यटकों की चहलकदमी के साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा।
उन्होंने बताया कि इस ट्रेक को विकसित करने के लिए उन्होंने कई बार शासन-प्रशासन से पत्राचार किया है। जिला पर्यटन विकास अधिकारी प्रकाश खत्री ने बताया कि इस जगह के बारे में पता नहीं है। यदि यह जगह इतनी खूबसूरत है, तो यहां का निरीक्षण कर उसे विकसित करने का प्रयास किया जाएगा।
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