रोमांच के गलियारा तैयार, अब खुलने का इंतजार

दुनिया के खतरनाक रास्तों में शुमार भारत-चीन सीमा पर उत्तरकाशी जिले की जाड़ गंगा घाटी में स्थित गर्तागली के पुनरूद्वार का कार्य पूरा हो गया है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 09:51 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 09:51 PM (IST)
रोमांच के गलियारा तैयार, अब खुलने का इंतजार
रोमांच के गलियारा तैयार, अब खुलने का इंतजार

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी

दुनिया के खतरनाक रास्तों में शुमार भारत-चीन सीमा पर उत्तरकाशी जिले की जाड़ गंगा घाटी में स्थित गर्तांगली (सीढ़ीनुमा रास्ता) के पुनरुद्धार का कार्य पूरा हो गया है। इसमें चार माह का समय लगा। उम्मीद है कि इस साल विश्व पर्यटन दिवस (27 सितंबर) से पहले इसे रोमांच के शौकीनों के लिए खोल दिया जाएगा।

समुद्रतल से 10500 फीट की ऊंचाई पर एक खड़ी चट्टान को काटकर बनाए गए इस सीढ़ीनुमा मार्ग से गुजरना बेहद रोमांचकारी अनुभव है। 140 मीटर लंबा यह सीढ़ीनुमा मार्ग 17वीं सदी में पेशावर से आए पठानों ने बनाया था। 1962 से पहले भारत-तिब्बत के बीच व्यापारिक गतिविधियां संचालित होने के कारण नेलांग घाटी दोनों तरफ के व्यापारियों से गुलजार रहती थी। दोरजी (तिब्बती व्यापारी) ऊन, चमड़े से बने वस्त्र व नमक लेकर सुमला, मंडी व नेलांग से गर्तांगली होते हुए उत्तरकाशी पहुंचते थे। भारत-चीन युद्ध के बाद गर्तांगली से व्यापारिक आवाजाही बंद हो गई। हालांकि, सेना की आवाजाही होती रही। भैरव घाटी से नेलांग तक सड़क बनने के बाद 1975 से सेना ने भी इस रास्ते का इस्तेमाल करना बंद कर दिया। देख-रेख के अभाव में इसकी सीढि़यां और किनारे लगाई गई लकड़ी की सुरक्षा बाड़ जर्जर होती चली गई।

लोनिवि भटवाड़ी (उत्तरकाशी) के अधिशासी अभियंता आरएस खत्री ने बताया कि बीते मार्च में 64 लाख की लागत से गर्तांगली के पुनरुद्धार का कार्य शुरू हुआ, लेकिन अप्रैल में बर्फबारी होने के कारण कार्य धीमा पड़ा गया। हालांकि, जून में कार्य ने रफ्तार पकड़ी और जुलाई आखिर में पूरा भी हो गया।

------------

गर्तांगली का पुनरुद्धार कार्य पूरा हो चुका है। जल्द कोविड गाइडलाइन के तहत इसे पर्यटकों के लिए खोला जाएगा। साहसिक पर्यटन के लिहाज से गर्तांगली काफी अहम है। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।

- मयूर दीक्षित, जिलाधिकारी, उत्तरकाशी

chat bot
आपका साथी