पहाड़ी शैली में नवनिर्मित मुख्य द्वार का उद्घाटन

दीपावली के शुभ अवसर पर बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर के पहाड़ी शैली में नव निर्मित मुख्य द्वार का उद्घाटन किया गया। यह द्वार ब्रह्मलीन महंत शिव नारायण पुरी की पुण्य स्मृति में तैयार किया गया है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 05 Nov 2021 10:27 PM (IST) Updated:Fri, 05 Nov 2021 10:27 PM (IST)
पहाड़ी शैली में नवनिर्मित मुख्य द्वार का उद्घाटन
पहाड़ी शैली में नवनिर्मित मुख्य द्वार का उद्घाटन

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: दीपावली के शुभ अवसर पर बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर के पहाड़ी शैली में नव निर्मित मुख्य द्वार का उद्घाटन किया गया। यह द्वार ब्रह्मलीन महंत शिव नारायण पुरी की पुण्य स्मृति में तैयार किया गया है। द्वार का उद्घाटन बाड़ाहाट क्षेत्र के आराध्य ईष्ट देव कंडार देवता महाराज, बाड़ागड्ड आराध्य ईष्टदेव हरि महाराज व कुपड़ा से आए परम आराध्य शेषनाग महाराज की मौजूदगी में किया गया।

मुख्य द्वार का निर्माण ब्रह्मलीन महंत शिव नारायण पुरी के पौत्रगण स्वतंत्र पुरी, विजय पुरी एवं अजय पुरी की ओर से अपने पिता महंत जयेंद्र पुरी की प्रेरणा से किया गया। द्वार की दीवारों पर शिलापट भी लगाए गए हैं, जिसमें उत्तरकाशी बाड़ाहाट नगर की महत्वता तथा विश्वनाथ मंदिर के इतिहास के बारे में जानकारी दी गई है। यह द्वार करीब 15 लाख रुपये की लागत से तैयार किया गया है। कार्यक्रम में बाल व्यास आयुष कृष्ण नयन महाराज, व्यास शांति प्रसाद भट्ट, शांति गोपाल रावत, पूर्व विधायक विजयपाल सिंह सजवाण, वृंदा प्रसाद शास्त्री, मेजर जमनाल, भगत सिंह राणा, हरि सिंह राणा, राम चंद राणा, शैलेंद्र नौटियाल, प्रताप सिंह बिष्ट, वीरेन्द्र पंवार, नौबर कठैत, मोहन डबराल, सुरेंद्र गंगाडी, रवि नेगी, उत्तम गुसाईं, किरन पंवार, किरन खरोला आदि मौजूद थे। दीपावली- श्रद्धालुओं ने गोवर्धन पर्वत की पूजा-अर्चना

उत्तरकाशी : नगर क्षेत्र के केदार घाट स्थित केदार मंदिर के अलावा शहर के विभिन्न मंदिरों में अन्नकुट गोवर्धन पूजा की। श्रद्धालुओं ने गोवर्धन पर्वत की पूजा अर्चना की और परिक्रमा कर छप्पन भोग का प्रसाद चढ़ाया।

शुक्रवार की सुबह से शहर के मुख्य मंदिर गोपाल मंदिर, केदार मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों में श्रद्धालुओं ने गोवर्धन पर्वत की पूजा अर्चना की। वहीं श्रीकृष्ण की लीलाओं का बखान किया। केदार मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में स्वामी राघवानंद महाराज ने श्रद्धालुओं को बताया कि ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति दिखाते हुए विशाल गोवर्धन पर्वत को महज छोटी अंगुली में उठाकर हजारों जीव-जतुंओं और इंसानी जिदगियों को भगवान इंद्र के कोप से बचाया था। (जासं)

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