निराकोट गांव में दो दिन बाद पहुंची टीम

रविवार की रात को मांडो गांव में तबाही मचाने वाला सैलाब निराकोट में दो दिन बाद टीम पहुंची।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Jul 2021 11:32 PM (IST) Updated:Tue, 20 Jul 2021 11:32 PM (IST)
निराकोट गांव में दो दिन बाद पहुंची टीम
निराकोट गांव में दो दिन बाद पहुंची टीम

जागरण संवाददाता उत्तरकाशी : रविवार की रात को मांडो गांव में तबाही मचाने वाला सैलाब निराकोट गांव से आया था तथा बादल फटने की पहली सूचना भी निराकोट गांव से ही आई थी। निराकोट गांव के दोनों ओर से उफान आने के कारण ग्रामीण खौफजदा थे तथा खेतों और जंगल में भागकर उन्होंने अपनी जान बचाई। लेकिन, जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर की पैदल दूरी पर स्थित निराकोट पहुंचने में प्रशासन की टीम को दो दिन लग गए। मंगलवार दोपहर को जिला आपदा प्रबंधन के मास्टर ट्रेनर मस्तान भंडारी और राजस्व उप निरीक्षक शिव प्रसाद बिजल्वाण निराकोट गांव पहुंचे, जहां उन्होंने ग्रामीणों की समस्याओं को सुना।

बाड़ागड्डी पट्टी के निराकोट गांव में दस से अधिक मकानों को भू-कटाव से खतरा हो गया है। दस परिवार मंदिर परिसर में रह रहे हैं। निराकोट को जोड़ने वाली दो पुलिया भी बाढ़ में बह गई है, जिससे गांव को बाजार से संपर्क कट गया है। निराकोट के प्रधान जितेंद्र गुसाई ने कहा कि निराकोट गांव के ऊपर की पहाड़ी पर 18 जुलाई की रात को बादल फटा, जहां से सैलाब दो नालों के जरिये नीचे की ओर आया। निराकोट गांव दोनों नालों के बीच घिर गया था। भारी कटाव होने के कारण ग्रामीणों के कई मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। घरों में जाने के रास्ते टूट गए हैं। ग्रामीण पहले जान बचाने के लिए खेतों में भागे। जब खेतों भी जल सैलाब आया, तो वे जंगल की ओर भागे। वह तो शुक्र है कि गांव में किसी तरह की जनहानि नहीं हुई। ग्रामीण सत्यदेव पंवार, विकास नौटियाल और उर्मीला देवी ने कहा कि गांव में पेयजल व्यवस्था ठप पड़ गई है, जो प्राकृतिक जलस्रोत थे, वे बह गए हैं। गांव में जिन परिवारों के मकान भूस्खलन की जद मे हैं, उनके लिए टैंट, तिरपाल, दरी, आवागमन के लिए पुलिया निर्माण, सौर ऊर्जा लाइट आदि की जरूरत है। प्रशासन और आपदा प्रबंधन की टीम ने ग्रामीणों की जरूरतों नोट किया तथा जल्द ही राहत पहुंचाने का आश्वासन दिया।

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