इटली के स्टेफानो और जूलिया ने गढ़वाली रीति-रिवाज से की शादी

उत्तरकाशी में इटली के स्टेफानो और जूलिया ने गढ़वाली रीति-रिवाज से शादी की। शादी समारोह में युगल के परिजनों के साथ ही दक्षिण भारत से करीब 50 लोग शामिल हुए।

By Edited By: Publish:Fri, 21 Sep 2018 10:03 PM (IST) Updated:Sat, 22 Sep 2018 08:57 PM (IST)
इटली के स्टेफानो और जूलिया ने गढ़वाली रीति-रिवाज से की शादी
इटली के स्टेफानो और जूलिया ने गढ़वाली रीति-रिवाज से की शादी

उत्तरकाशी, [जेएनएन]: उत्तरकाशी के गणेशपुर गांव स्थित योग विद्या गुरुकुल आश्रम में इटली निवासी स्टेफानो पिपितोने और जूलिया परिणय सूत्र में बंध गए हैं। उनका विवाह गढ़वाली रीति-रिवाज और दक्षिण भारतीय पद्धति से संपन्न हुआ। 

उत्तरकाशी से करीब पांच किमी दूर भटवाड़ी ब्लॉक के गणेशपुर गांव स्थित योग विद्या गुरुकुल आश्रम में इटली निवासी स्टेफानो पिपितोने और जूलिया का विवाह संपन्न हुआ। सात फेरे लेने के बाद नवदंपती ने आश्रम के अध्यक्ष स्वामी आनंद सरस्वती से आशीर्वाद लिया। शादी समारोह में युगल के परिजनों के साथ ही दक्षिण भारत से करीब 50 लोग शामिल हुए।

स्वामी आनंद सरस्वती ने बताया कि अप्रैल 2017 में जूलिया और स्टेफानो उनसे वैदिक ज्ञान की दीक्षा लेने आश्रम में पहुंचे थे। इस दौरान दोनों ने गढ़वाली रीति-रिवाज और वैदिक पंरपरा से शादी करने की इच्छा जताई। उन्होंने बताया कि विवाह से पूर्व जूलिया का लक्ष्मी और स्टेफानो का अनंत शर्मा नाम रखा गया। विवाह समारोह में ओडिशा से आए कुछ कलाकारों ने वहां की संस्कृति का प्रदर्शन कर वातावरण को सतरंगी बना दिया। साथ ही गढ़वाली लोकवाद्य ढोल-दमाऊ समारोह के मुख्य आकर्षण रहे। मेहमानों को दक्षिण भारतीय पकवान परोसे गए। उन्होंने बताया कि जूलिया इटली की एक कंपनी में कार्यरत हैं, जबकि स्टेफानो वकील हैं। इस मौके पर जूलिया के पिता अंद्रेया व मां सेफानिया और स्टेफानो के पिता अंतोनियो व मां मरीना भी मौजूद रहे।

दक्षिण भारतीय परिधानों में सजा विदेशी जोड़ा

विवाह के दौरान जूलिया ने दक्षिण भारतीय कांजीवरम सिल्क साड़ी और स्टेफानो ने सिल्क की धोती पहनी हुई थी। फेरे भी गढ़वाली रीति-रिवाज और दक्षिण भारतीय परंपरा के अनुसार लिए गए। मंजूनाथ भट्ट विनायक और आर. नवीन कुमार ने इस जोड़े का विवाह संपन्न कराया।

कांजीवरम सिल्क में दिखे विदेशी

गणेशपुर शादी-समारोह में शामिल होने आए विदेशी मेहमानों के परिधान भी आकर्षण का केंद्र रहे। विदेशी महिलाएं कांजीवरम सिल्क साड़ी और पुरुष सिल्क की धोती व कुर्ता और गढ़वाली टोपी पहने हुए थे। उत्तर-दक्षिण की संस्कृति का यह अनूठा संगम सभी को भावविभोर कर रहा था।

विवाह पूर्व रस्में गढ़वाली रीति-रिवाज से

इससे पूर्व 20 सितंबर को गढ़वाली रीति-रिवाज से मंगल स्नान, महिला संगीत और मेंहदी की रस्में संपन्न हुई। इन रस्मों में उत्तर-दक्षिण के मेहमानों के साथ ही युगल के परिजनों ने भी भाग लिया।

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