वरुणावत की तलहटी से जिले के सुदूरवर्ती गांवों तक पहुंच रहा घर-घर गिलोय रोपने का अभियान

कोरोना संक्रमण काल शहर से लेकर गांव तक गिलोय के काढ़े की तलाश हुई। काढ़ा तैयार करने के लिए जंगलों से गिलोय की बेल लायी गई। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए गिलोय वटी गिलोय पाउडर का भी आमजन ने खूब उपयोग किया।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Sun, 06 Jun 2021 04:30 PM (IST) Updated:Sun, 06 Jun 2021 04:30 PM (IST)
वरुणावत की तलहटी से जिले के सुदूरवर्ती गांवों तक पहुंच रहा घर-घर गिलोय रोपने का अभियान
कोरोना संक्रमण काल शहर से लेकर गांव तक गिलोय के काढ़े की तलाश हुई

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी : कोरोना संक्रमण काल शहर से लेकर गांव तक गिलोय के काढ़े की तलाश हुई। काढ़ा तैयार करने के लिए जंगलों से गिलोय की बेल लायी गई। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए गिलोय वटी, गिलोय पाउडर का भी आमजन ने खूब उपयोग किया। साथ ही गिलोय जैसे औषधीय पौधे की महत्वता को समझा। आमजन की इसी समझ का धरातल पर उतारने के लिए हिमालय प्लांट बैंक ने गिलोय पौधे को घर-घर रोपित करने का अभियान शुरू किया है। पर्यावरण के लिहाज से भी यह मुहिम खास है।

वरुणावत की तलहटी से शुरू हुआ यह अभियान जिले की सुदूरवर्ती गांवों तक पहुंच रहा है। हिमालय प्लांट बैंक ने बरसात के सीजन तक पांच हजार गिलोय के पौधों को निशुल्क देने और रोपित करने का लक्ष्य रखा है। जिससे घर-घर में गिलोय के बेल हो और आमजन की प्रतिरोधक क्षमता अच्छी हो सके। और भविष्य में कोरोना संक्रमण जैसी महामारी प्रतिरोधक क्षमता से हार जाए। 

उत्तरकाशी में हिमालय प्लांट बैंक ने उत्तरकाशी के जिला कोविड हेल्थ केयर सेंटर व जिला कोविड केयर सेंटर में भर्ती कोरोना संक्रमितों तथा कोरोना वॉरियर्स को गत अप्रैल मई माह में दो हजार लीटर गिलोय का काढ़ा निशुल्क रूप से दिया। जबकि गत वर्ष कोरोना काल में हिमालय प्लांट बैंक के अध्यक्ष प्रताप पोखरियाल ने एक हजार लीटर काढ़ा और दो हजार पैकेट हर्बल टी के तैयार किए थे। जिनको उन्होंने निशुल्क रूप से कोरोना संक्रमितों और आमजनों को वितरित किया। अब संक्रमण कुछ कम हुआ तो हिमालय प्लांट बैंक ने घर-घर में गिलोय की पौध रोपित करने का लक्ष्य रखा।

पिछले दस दिनों से हिमालय प्लांट बैंक ने उत्तरकाशी में जिलाधिकारी कार्यालय, मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय, पुलिस अधीक्षक कार्यालय व पुलिस लाइन, मुख्य शिक्षाधिकारी कार्यालय परिसर और 70 घरों में 150 गिलोय के पौधे रोपित किए गए हैं। इसके अलावा हिमालय प्लांट बैंक उत्तरकाशी में दो हर्बल गार्डन भी तैयार कर रहा है। जिलाधिकारी कार्यालय में एक हर्बल गार्डन बना दिया है। जिसमें हिमालय प्लांट बैंक ने अपने संसाधनों से 80 प्रजाति के औषधीय पौधों का रोपण किया।

दूसरा हर्बल गार्डन मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय के पास पड़ी भूमि पर तैयार किया जाना है। यही नहीं, हिमालय प्लांट बैंक गिलोय के अलावा 25 से अधिक औषधीय पौधों को भी निशुल्क दे रहा है। गत मार्च से लेकर अभी तक करीब एक हजार पौधें निशुल्क दिए गए हैं। इसी मुहिम के असली पुरोधा हिमालय प्लांट बैंक के अध्यक्ष पर्यावरण प्रेमी प्रताप पोखरियाल और उनकी टीम है। जो अपने संसाधनों के बूते इस अभियान को संचालित कर रहे हैं।

कोरोना काल में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले गिलोय को लेकर इनका खास अभियान है। जिससे हर घर में गिलोय की बेल हो। गिलोय के सेवन से आमजन रोग मुक्त रह सकें। इस कार्य के लिए हिमालय प्लांट बैंक की टीम के सदस्य अपने-अपने क्षेत्रों के घरों में जा रहे हैं तथा आमजन को गिलोय और औषधीय पौधों के रोपण के लिए प्रेरित कर रहे हैं। 

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पर्यावरण के प्रति प्रेम जागृत करने का है लक्ष्य

उत्तरकाशी : हिमालय प्लांट बैंक के अध्यक्ष प्रताप पोखरियाल और प्लांट बैंक के सदस्य डॉ. शंभू प्रसाद नौटियाल कहते हैं कि कुछ शिक्षकों, चिकित्सकों व सामाजिक कार्यकत्र्ताओं के सहयोग से गत मार्च माह में हिमालय प्लांट बैंक का गठन किया गया। इसका उद्देश्य आमजन में पर्यावरण के प्रति प्रेम जागृत करना है। अपने घरों की छत, गार्डन में भी छोटे प्लांट लगाए जा सकते हैं। जो बेहद उपयोगी भी होते हैं। इस प्लांट बैंक में 200 से अधिक प्रजातियों के पौधों को रखा गया है। इन पौधों को सुशीला तिवाड़ी हर्बल गार्डन ढालवाला से मंगाया जाता है। प्लांट बैंक से पर्यावरण प्रेमी प्रताप पोखरियाल के साथ डॉ. शंभू प्रसाद नौटियाल, मंजीरा देवी आयुर्वेदिक कालेज के चेयरमैन डॉ. भगवन नौटियाल, उमेश प्रसाद बहुगुणा, डॉ. प्रेम पोखरियाल, रजनी चौहान, रमा डोभाल, कोमल असवाल, जमुना पोखरियाल, मंगल ङ्क्षसह पंवार, माधव जोशी सहित 15 से अधिक शिक्षक व चिकित्सक हैं।

घर से मिली पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा

उत्तरकाशी : जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर डुंडा ब्लाक के भैंत गांव में 1958 को श्याम पोखरियाल के घर प्रताप पोखरियाल का जन्म हुआ। बेटे के जन्म पर श्याम पोखरियाल ने 11 पौधों का रोपण किया। प्रताप पोखरियाल को पर्यावरण से प्रेम की शिक्षा घर से मिली। आजीविका के लिए मोटर मैकेनिक का काम भी किया। लेकिन, बचपन में पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा से भैंत गांव में चार वन तैयार किए। फिर 2004 में उत्तरकाशी की वरुणावत की तलहटी पर पौधा रोपण करना शुरू किया। जो आज जंगल बन चुका है और करीब 15 हेक्टेयर में फैलकर अपनी हरियाली तथा खुशबू बिखेर रहा है।

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