तीनों पोर्टर थे अपने परिवार की आर्थिकी की रीढ़

भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल के गश्ती दल में शामिल तीनों पोर्टरों की मौत होने से उनके परिवार की आर्थिकी की रीढ़ टूट गई है। तीनों के घरों में मातम छाया हुआ है। स्वजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 09:21 PM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 09:21 PM (IST)
तीनों पोर्टर थे अपने परिवार की आर्थिकी की रीढ़
तीनों पोर्टर थे अपने परिवार की आर्थिकी की रीढ़

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल के गश्ती दल में शामिल तीनों पोर्टरों की मौत होने से उनके परिवार की आर्थिकी की रीढ़ टूट गई है। तीनों के घरों में मातम छाया हुआ है। स्वजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह सहित कई नेताओं ने मृतक युवक के स्वजन को ढांढस बंधाया तथा साथ ही आइटीबीपी और सरकार से तीनों के स्वजनों को उचित मुआवजा व नौकरी देने की मांग की।

मृतकों में शामिल दिनेश चौहान निवासी पाटा गंगोरी की इसी वर्ष मार्च माह में शादी हुई थी। दिनेश चौहान की पहली शादी की पांच साल की बिटिया हैं। दिनेश चौहान पहली बार पोर्टर के कार्य के लिए गया था। इससे पहले दिनेश चौहान ने कभी पोर्टर का कार्य नहीं किया था तथा उसे पोर्टर गाइड का भी अनुभव नहीं था। मृतक संजय सिंह निवासी चिवां, नाल्ड के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। संजय की शादी पांच वर्ष पहले हुई थी। संजय की एक बेटी और एक बेटा हैं। संजय ट्रैकिग के जरिये अपनी आजीविका चलाता था। वहीं मृतक राजेंद्र सिंह निवासी स्यूणा, सिरोर अपने घर में सबसे बड़ा था। परिवार की जिम्मेदारियां राजेंद्र के सिर थी। लेकिन राजेंद्र की मौत की खबर सुनकर उसकी मां और अन्य स्वजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। वहीं मृतकों के स्वजनों का ढांढस बांधने वालों में पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण, पालिकाध्यक्ष रमेश सेमवाल, सूरत राम नौटयाल, भाजपा जिलाध्यक्ष रमेश चौहान, प्रमुख विनीता रावत, जगमोहन रावत, शैलेंद्र कोहली, हंस राज चौहान आदि थे। आइटीबीपी ने एजेंसी के जरिये पोर्टर लिए थे। फिर भी नैतिकता के आधार पर आइटीबीपी मृतक पोर्टरों के स्वजनों की हर संभव आर्थिक मदद की जाएगी। मृतकों के स्वजनों के रोजगार के लिए आइटीबीपी मुख्यालय से पत्राचार किया जाएगा।

-नेहाल सिंह भंडारी, द्वितीय कमान अधिकारी, 12वीं वाहिनी आइटीबीपी मातली

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